ऑस्कर विजेता फिल्मकार सत्यजित राय और उनकी फिल्मों के मुस्लिम किरदार

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 22-04-2023
शतरंज के खिलाड़ी के सेट पर सत्यजित रे, सईद जाफरी और संजीव कुमार
शतरंज के खिलाड़ी के सेट पर सत्यजित रे, सईद जाफरी और संजीव कुमार

 

जयनारायण प्रसाद/ कोलकाता

चार्ली चैप्लिन कहा करते थे, 'एक महान फिल्मकार की सबसे बड़ी खूबी यह होती है कि वह अपने किरदारों को अंततः खोज ही लेता है.' सत्यजित राय ऐसे ही फिल्मकार थे.

राय मोशाय आज जीवित होते, तो 102 वर्ष पार कर रहे होते!

सत्यजित राय का जन्म कलकत्ता में 2 मई, 1921 को हुआ था और निधन 23 अप्रैल, 1992 को कोलकाता में ही. अभी पिछले साल सत्यजित राय की शताब्दी वर्ष खत्म हुई है.

सत्यजित राय में सृजनशीलता कूट-कूट कर भरी हुई थीं. उनकी फिल्मों की फेहरिस्त में एक से बढ़कर एक किरदार सत्यजित राय के सिनेमा से जुड़े हुए हैं. इनमें मुस्लिम किरदार भी अनगिनत हैं. मुस्लिम शख्सियतों, मुस्लिम संगीतकारों और मुस्लिम किरदारों के बगैर सत्यजित राय खुद को अधूरा पाते थे.

सत्यजित रे

बेगम अख़्तर, फिल्म 'जलसाघर' और सत्यजित राय

सत्यजित राय की एक मशहूर बांग्ला फिल्म है 'जलसाघर' (द म्यूजिक रूम). यह फिल्म वर्ष 1958 में बनी थीं. ताराशंकर बनर्जी की एक कहानी पर बनीं इस फिल्म से अनेक मुस्लिम शख्सियत जुड़े थे.

इस फिल्म का संगीत मशहूर सितारवादक विलायत खां ने दिया था और इस बांग्ला फिल्म में बेगम अख़्तर ने एक गाना भी गाया था और गाना गाते हुए अभिनय भी किया था.

बेगम अख़्तर का सत्यजित राय और उनकी इस 'जलसाघर' नामक फिल्म से जुड़ना अब एक इतिहास है. कहते हैं कि सत्यजित राय ने जब बेगम अख़्तर को अपनी इस बांग्ला फिल्म में गाना गाते हुए अभिनय करने को कहा था, तो वे खुशी-खुशी राज़ी हो गई थीं.

फिल्म 'शतरंज के खिलाड़ी'‌‌ में अमजद खान और विक्टर बनर्जी

तब लैंडलाइन फोन का ज़माना था. बेगम अख़्तर ने राय मोशाय को फोन पर ही कहा था‌, 'राय साहेब आप जब कहेंगे, मैं कलकत्ता हाज़िर हो जाऊंगी.'

उसके बाद तो सत्यजित राय और उनकी प्रतिभाशाली टीम के साथ बेगम अख़्तर का जुड़ना एक इतिहास है. 7 अक्तूबर, 1914 को फैजाबाद में जन्मीं और 30 अक्तूबर, 1974 को अहमदाबाद, गुजरात में गुजरी बेगम अख़्तर ने और भी भारतीय फिल्मों में काम किया है.

हिंदुस्तानी फिल्म 'जवानी का नशा' (1935) और बांग्ला फिल्म 'जलसाघर' (1958) मील का पत्थर मानी जाती हैं. 'जवानी का नशा' मदान थिएटर के जमाने की मूवी थीं. फरदून एक ईरानी इस फिल्म के निर्देशक थे और आगा हश्र कश्मीरी ने इसमें गीत लिखा था.

फिल्म 'जलसाघर' में बेगम अख़्तर

विलायत खां ने दिया था 'जलसाघर' में संगीत

विलायत खां के सितारवादन के लिए भी सत्यजित राय की 'जलसाघर' जानी जाती है. विलायत खां ‌‌‌‌ने हिंदी फिल्म 'मदहोश' (1951) और 'द गुरु'‌(1969) फिल्म में भी संगीत दिया था. बांग्लादेश के मैमनसिंह में 1928 को पैदा हुए विलायत खां की मौत बंबई में 13 मार्च, 2004 को हुई थीं, लेकिन विलायत खां का संगीत अब भी सार्वकालिक है.

शतरंज के खिलाड़ी'‌‌ की शूटिंग के दौरान ‌लखनऊ में सत्यजित राय

बिस्मिल्लाह खां भी ने शहनाई बजाई थीं उस मूवी में

सत्यजित राय की इस बांग्ला फिल्म (जलसाघर) में ऑन स्क्रीन बिस्मिल्लाह खां ने भी शहनाई बजाई थीं. 21 अगस्त, 2006 को गुज़रे बिस्मिल्लाह खां की अनूठी शहनाई वादन के लिए भी सत्यजित राय की यह फिल्म जानी जाती है. कहते हैं सत्यजित राय का फोन आते ही उन्होंने पांच मिनट के भीतर 'जलसाघर' में शहनाई बजाने के लिए 'हां' कह दिया था.

सुरबहार बजाने वाले वहीद खान भी थे इसमें

सत्यजित राय की 'जलसाघर' फिल्म में वहीद खान ने भी ऑन स्क्रीन सुरबहार बजाया था. वहीद खान सुरबहार और सितार दोनों बजाने में सिद्धहस्त थे. इटावा में इमदादखानी घराने से ताल्लुक रखने वाले वहीद खान शुरू में ध्रुपद, खयाल और ठुमरी गायिकी में मास्टर माने जाते थे.

सत्यजित राय की फिल्म 'शतरंज के खिलाड़ी'‌‌ में ‌शबाना आजमी

ऑफ स्क्रीन इमरत खान भी थे 'जलसाघर' में

संगीत नाटक अकादमी‌ पुरस्कार प्राप्त इमरत खान भी थे सत्यजित राय की इस बांग्ला फिल्म में, पर ऑफ स्क्रीन ! 17 नवंबर, 1935 को कलकत्ता में जन्मे इमरत खान बाद में अमेरिका में बस गए थे ‌‌‌‌और अमेरिका में ही 22‌ नवंबर, 2018 को चल बसे. इमरत खान सितार और सुरबहार दोनों बजाते थे.

अली अकबर खां और सत्यजित राय की 'देवी'

सत्यजित राय की एक मशहूर बांग्ला फिल्म है 'देवी' यानी 'द गॉडेस'. वर्ष 1960 में बनीं इस फिल्म में अभिनेता ‌‌‌‌‌‌‌‌छवि विश्वास, सौमित्र चटर्जी और शर्मिला टैगोर ने बहुत डूबकर अभिनय किया है. 'देवी' को ढेर सारे पुरस्कार मिले हैं.

अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सवों में सत्यजित राय की फिल्म 'देवी' की तारीफ आज भी होती है. बहुत कम लोगों को मालूम है फिल्म 'देवी' का संगीत मशहूर सरोद वादक अली अकबर खां ने दिया था.

14 अप्रैल, 1922 को बांग्लादेश के कुमिल्ला में जन्मे अली अकबर खां की मौत अमेरिका के कैलिफोर्निया में 18 जून, 2009 को हुई थीं. अली अकबर खां ने सत्यजित राय की फिल्म के अलावा चेतन आनंद की फिल्म में भी संगीत दिया था. वे चेतन आनंद की फिल्म 'आंधियां' (1952) के संगीतकार थे.

'आंधियां' में अभिनेता देवानंद, कल्पना कार्तिक और निम्मी थीं. 'आंधियां' के गीतकार थे नरेंद्र शर्मा. एएन बनर्जी निर्देशित फिल्म 'हमसफर' (1953) में अली अकबर खां ने संगीत दिया था. इस फिल्म में देवानंद, कल्पना कार्तिक ‌‌‌‌और जॉनी वॉकर भी थे। गीत लिखा था साहिर लुधियानवी ‌‌‌‌ने.

बेगम अख्तर

अभिनेत्री वहीदा रहमान ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌और सत्यजित राय

सत्यजित राय की एक मशहूर बांग्ला फिल्म है 'अभिजान' यानी 'द एक्सपेडीशन'. हिंदी जुबान में इसका मतलब अभियान होता है. इस फिल्म में हिंदी सिनेमा की अभिनेत्री वहीदा रहमान ने खास भूमिका निभाई है.

ताराशंकर बनर्जी की एक कहानी पर बनीं 150 मिनट की यह फिल्म 'अभिजान' बांग्ला सिनेमा के मशहूर अभिनेता सौमित्र चटर्जी ‌‌‌‌और वहीदा रहमान की यादगार फिल्म मानी जाती है.   ‌‌

इस मूवी में वहीदा रहमान 'गुलाबी' के किरदार में हैं. गायक किशोर कुमार की पहली पत्नी रुमा गुहा ठाकुरता भी इस फिल्म में है.

वहीदा रहमान जब भी कलकत्ता आती हैं सत्यजित राय और अपनी इस बांग्ला फिल्म की कहानी जरूर सुनाती है. वह कहती हैं, जब सत्यजित राय ने उन्हें इस बांग्ला मूवी में काम करने का ऑफर दिया,‌‌‌‌‌‌‌‌ वे हतप्रभ रह गई थीं. फिर सत्यजित राय ने उन्हें कहा, आप हिंदी फिल्मों की बड़ी अभिनेत्री हैं. मैं हिंदी सिनेमा की तरह आपको ज्यादा पैसा नहीं दे पाऊंगा.

तब वहीदा रहमान ने सत्यजित राय से कहा - आप शुरू तो कीजिए मैं आपकी इस फिल्म में मुफ्त में काम करूंगी. तो इस तरह काम शुरू हुआ था सत्यजित राय की इस मशहूर फिल्म का.

सत्यजित राय

'शतरंज के खिलाड़ी' और ढेर सारे मुस्लिम अभिनेता

सत्यजित राय की एक हिंदी फिल्म है 'शतरंज के खिलाड़ी' (1977). इसमें ढ़ेर सारे अभिनेता/अभिनेत्रियों के अलावा खास भूमिकाओं में मुस्लिम अभिनेता/अभिनेत्री भी हैं.

एक घंटा ‌‌‌‌‌53 मिनट की 'शतरंज के खिलाड़ी' 3 अक्तूबर, 1977 को रिलीज हुई थीं. मुस्लिम कलाकारों में अमजद खान (वाजिद अली शाह), सईद जाफरी (मीर रौशन अली), फरीदा जलाल (नफीसा), शबाना आजमी (खुर्शीद), फारुख शेख (अकील) ने अभिनय किया था.

सत्यजित राय की इस हिंदुस्तानी फिल्म की कहानी मुंशी प्रेमचंद की लिखी हुई हैं, जबकि सत्यजित राय के साथ इस फिल्म का संवाद शमां ज़ैदी और जावेद सिद्दीकी ने लिखा था‌.

'शतरंज के खिलाड़ी' में कॉस्ट्यूम डिजाइन का काम भी शमां ज़ैदी का ही था. इन सभी की फिल्मों के बारे में हमें पता है. इन अभिनेताओं में अमजद खान, सईद जाफरी, फारुख शेख अब हमारे बीच नहीं हैं. मिर्ज़ा सज्जाद अली बने हिंदीभाषी अभिनेता संजीव कुमार का भी बहुत पहले निधन हो चुका है.

और... नसीरुद्दीन शाह का दुःख

सत्यजित राय जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के एक बड़े फिल्मकार के साथ काम‌‌ नहीं करने का दुःख जिस अभिनेता को सबसे ज्यादा है उनमें पहले पायदान पर एक नाम अभिनेता नसीरुद्दीन शाह का भी है. सत्यजित राय की दूरदर्शन (टेली) फिल्म 'सद्गति' में ओमपुरी और स्मिता पाटिल तक ने काम किया है. ये‌ दोनों भी अब नहीं है.

नसीरुद्दीन शाह अक्सर कहते हैं, “काश ! सत्यजित राय ने उन्हें अपनी किसी फिल्म में लिया होता.”इसका जवाब देने के लिए अब सत्यजित राय भी‌ नहीं है. वे 23 अप्रैल, 1992 को ही गुज़र चुके हैं.