Khan Sir became an example of humanity, a unique confluence of equality and compassion was seen in the wedding ceremony
ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली
देशभर में शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना चुके ख़ान सर ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया कि वे न सिर्फ़ एक बेहतरीन शिक्षक हैं, बल्कि एक महान इंसान भी हैं। हाल ही में संपन्न हुए उनके विवाह समारोह में उन्होंने जो कार्य किए, वे समाज में एक नई सोच और दिशा का संकेत देते हैं।
ख़ान सर ने अपने विवाह समारोह में न केवल विशिष्ट अतिथियों और परिवार के सदस्यों के लिए व्यवस्था की, बल्कि उन लोगों के लिए भी विशेष व्यवस्था की, जो आमतौर पर पर्दे के पीछे रह जाते हैं — जैसे टेंट लगाने वाले मज़दूर, कैमरामैन, कैटरिंग स्टाफ और अन्य सेवाकर्मी। उन्होंने इन सभी को भी उसी प्रकार सम्मानित और सम्मानपूर्वक भोजन कराया, जैसे कि वीआईपी मेहमानों को। उनके लिए विशेष टेबल, गुणवत्तापूर्ण भोजन और गर्मजोशी से भरा स्वागत व्यवस्था का हिस्सा था।
इतना ही नहीं, जब समारोह समाप्त हो गया और अधिकांश मेहमान अपने घरों को लौट गए, तब रात के क़रीब 4 बजे ख़ान सर स्वयं पटना के गांधी नगर क्षेत्र की फुटपाथों पर पहुँचे, जहाँ उन्होंने भूखे और बेसहारा लोगों को अपने हाथों से खाना परोसा। यह दृश्य उन सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत था, जो समाज में बदलाव की उम्मीद रखते हैं।
ख़ान सर का यह कदम न केवल मानवता की सच्ची तस्वीर पेश करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि वे जाति, धर्म, वर्ग और रंगभेद जैसी रुढ़ियों के खिलाफ खड़े हैं। उनका मानना है कि हर इंसान को समान अधिकार और सम्मान मिलना चाहिए, चाहे वह किसी भी वर्ग या पृष्ठभूमि से क्यों न हो।
"शादी सिर्फ़ दो लोगों का मिलन नहीं, बल्कि दो विचारों और दो समाजों के बीच सेतु होती है। मैं चाहता था कि मेरी शादी में हर व्यक्ति खुद को महत्वपूर्ण और सम्मानित महसूस करे," – ख़ान सर ने अपने एक बयान में कहा।
ख़ान सर के इस कार्य की सराहना पूरे देश में हो रही है। सोशल मीडिया पर लोग उन्हें "नए भारत का असली नायक" कहकर संबोधित कर रहे हैं।
इस तरह के कार्य यह साबित करते हैं कि जब शिक्षा और संवेदना साथ मिल जाएँ, तब एक नया और बेहतर समाज जन्म लेता है।