विवेक पानमंद
‘‘दूसरों की खुशी के लिए खुद को कुर्बान कर दो, अल्लाह तुम्हें इसका अज्र जरुर देगा..’’. ऐसी बातें हमने सिर्फ सुफियाना किस्से कहानियों में सुनी होती हैं. पर हमारे इर्द-गिर्द ऐसे लोग भी होते हैं, जो खामोशी से इसी राह पर चल रहे होते हैं. पुणे के एक नौजवान जावेद शेख उन्ही में से एक हैं. जिंदगी में रौशनी और खुशहाली का सबब बने जावेद की कहानी सभी के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन का जरिया बन सकती है.
लगभग हर शहर में हर जगह चमकदार होती है. लेकिन इस चकाचौंध में अंधेरी झोपड़ियां और बिना बिजली वाले घर अक्सर नजरअंदाज हो जाते हैं. हमारी नजरें उन अंधेरे घरों की तरफ जाती ही नहीं. लेकिन इन घरों के अंधेरे ने संजीदा जावेद का ध्यान अपनी ओर खींचा. और जावेद ने उन्हें फिर से रौशन करने का जिम्मा उठाया.
जावेद पुणे के येरवडा इलाके में रहते हैं. इस इलाके से गुजरते हुए वो कई घरों में अंधेरा फैला हुआ देखते थे. वहां जाकर पूछताछ करने पर उन्हें जवाब मिलता था, ‘‘बिजली कनेक्शन लेने के लिए पैसे नहीं हैं’’ या ‘‘बिल न चुकाने के कारण लाइट कनेक्शन हटा दिया गया है’’. गरीबों की इस लाचारी से जावेद दुखी हुआ करते थे. उन्होंने इन जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए अपने इल्म का इस्तेमाल करने का निर्णय लिया. इस अंधेरे को दूर करने के लिए सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करने का उन्होंने फैसला किया, क्योंकि यह उर्जा का अक्षय्य स्रोत है.
चौतींस साल के वर्षीय जावेद शेख का जन्म पुणे में हुआ. घर का अंधेरा उनके लिए कोई नई बात नहीं थी, क्योंकि बचपन से ही उनका परिवार बिजली लोड शेडिंग की समस्याओं से जूझता रहता था. इसलिए बड़े होकर ऐसे अंधेरे घरों में रोशनी लाने का सपना उन्होंने देखा. उन्होंने पुणे के सिंहगढ़ कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से डिग्री हासिल की.
जरूरतमंदों को इमदाद करना जावेद की खानदानी परंपरा रही है. इसलिए जावेद का मन बचपन से ही समाज सेवा की ओर आकर्षित हो गया था. आमतौर पर शिक्षा पूरी करने के बाद छात्र नौकरी की तलाश में लग जाते हैं. अधिकांश लोग कम जोखिम और आर्थिक स्थिरता वाली नौकरियां पसंद करते हैं. लेकिन जावेद ने बिजनेस शुरू किया. ऐसा कहा जाता है कि घर में विचारों की विरासत अगली पीढ़ी को खुद-ब-खुद ही मिल जाती है. जावेद अपने चाचा सादिक शेख को देखकर बड़े हुए. उनके काम को देखकर वह चाहते थे कि हम समाज के लिए और कुछ करें. जावेद इस बात पर जोर देते हैं कि उन्हें अपने काम की प्रेरणा अपने चाचा से मिली.
जावेद का छोटा परिवार है. परिवार में मां, पत्नी और बड़ी बहन हैं. जावेद की तरह उनकी बड़ी बहन वाजिया भी समाज सेवा करना चाहती थीं. इसलिए भाई-बहनों ने मिलकर अपने अब्बा की याद में ‘यूसुफ फाउंडेशन’ की स्थापना की. उनका उद्देश्य एक ही था, पिता के नाम की खुशबू सामाजिक कार्य के रूप में समाज में सदैव बनी रहे. परिवार ने भी दोनों के फैसले का समर्थन किया और काम शुरू हो गया. 2020 में जब कोरोना महामारी चरम पर थी, यूसुफ फाउंडेशन के काम की नींव रखी गई.
अब जावेद के पास समाजसेवा का जरिया भी था और खुला आसमान भी. उनका दृढ़ विश्वास था कि किसी भी समस्या का समाधान आपसी सहयोग से किया जा सकता है. इसी विश्वास के आधार पर उन्होंने अपने काम की शुरुवात की. उनका मानना था कि सामाजिक कार्य में पहला लक्ष्य बुनियादी जरूरतों को पूरा करना होना चाहिए. सड़क और पानी जैसी बुनियादी जरूरतें आंशिक रूप से सरकार द्वारा मुहय्या की जाती हैं, लेकिन कई गरीब परिवारों के पास अभी भी बिजली कनेक्शन या बिल चुकाने के लिए पैसे नहीं होते है और वो अंधेरे में अपनी जिंदगी बसर करते हैं. जावेद इस बात पर मंथन करने लगे कि इस समस्या का समाधान कैसे निकाला जाए.
उन्होंने यह सोचना शुरू किया कि कम लागत में अधिक से अधिक लोगों की इस समस्या का समाधान कैसे किया जाए. उन्होंने इस पर रिसर्च शुरू किया कि क्या गैर-पारंपरिक ऊर्जा की मदद से इस अंधेरे का हल निकाला जा सकता है. काफी मुशाहदों के बाद, रिसर्च बाद वो इस नतीजे पर पहुंचे की सौर ऊर्जा एक बेहतर विकल्प हो सकता है. काफी मुशाहदों के बाद, रिसर्च बाद वो इस नतीजे पर पहुंचे की अगर घर पर सोलर पैनल लगा दिया जाए, तो अंधेरे कमरों में भी रोशनी आ सकती है.
जावेद ने जरूरतमंदों के घरों में सौर ऊर्जा उपलब्ध कराने का संकल्प लिया. उन्होंने अपने पड़ोस से शुरुआत करने का फैसला किया. उन्होंने तय किया कि ऐसे परिवारों को प्राथमिकता के आधार पर बिजली देने की जरूरत है, जिनमें कोई पुरुष श्रमिक व्यक्ति नहीं है या कोई विकलांग है.
प्रारंभ में, उन्होंने दस जरूरतमंद परिवारों का चयन करने और उन्हें सौर पैनल देने का फैसला किया. पर्यावरण अनुकूल बिजली उपलब्ध कराने की उनकी मंशा सोलर सिस्टम की मदद से पूरी होनी थी. बिजली के बिना घरों में रहने वाले लोगों की कठिनाइयों को उन्होंने महसूस किया था. इसके चलते उन्होंने जाति और धर्म का भेदभाव किए बिना सभी जरूरतमंद लोगों तक यह बिजली पहुंचाने का संकल्प लिया.
उन्होंने ऐसा सोलर पैनल चुना, जो एक बार चार्ज करने पर आठ घंटे तक पर्याप्त बिजली मुहय्या कराता है. दिलचस्प बात यह है की इस पैनल की मदद से पंखे और मोबाइल को चार्ज किया जा सकता है. जावेद की जद्दोजहद से उन लोगों के घरों और जिंदगी में रौशनी आ पायी, जिनकी कई पीढ़ियां अंधेरे में गुजरीं. अपने यूसुफ फाउंडेशन के जरिये, उन्होंने अंधेरे घरों में सोलर लाइटें लगाईं और वहां रहने वाले लोगो के चेहरों को रोशन किया.
सोलर के प्रति जनजागरूकता न होने की वजह से लोगों को बार-बार पूछा करते थे कि क्या सच में बिजली आयेगी भी? लेकिन जब जावेद और उनकी टीम के बिठाये सोलर पैनल से किसी अंधेरे घर में रोशनी आती थी तो लोग भावुक हो जाते थे. आसपडोस के लोग जावेद को ‘अल्लाह का बंदा’ कहने लगे.
समाजी जिम्मेदारी को सामने रखते हुए यूसुफ फाउंडेशन ने एक और बेहतरीन पहल कि. पूना दुनिया के सबसे व्यस्त शहरों में से एक माना जाता है. यहां की सडकों पर बने गड्ढों ने कईयों की जान ली है. बारीश के मौसम में गड्ढों की समस्या और भी जानलेवा हो जाती है. इसी को मद्देनजर रखते हुए यूसुफ फाउंडेशन ने पुना की कई व्यस्त सडकों पर आधुनिक तकनीक ‘कोल्ड मिक्स’ की मदद से गड्ढों को भरने का बीड़ा उठाया. उनकी इस पहल की काफी सरहाना हुई.
जावेद ने यूसुफ फाउंडेशन की भविष्य की योजनाओं के बारे में उत्साहसे जानकारी दी. वो कहते हैं कि मौजूदा दौर में में पर्यावरण की उपेक्षा हो रही है. इसलिए हम भविष्य में यूसुफ फाउंडेशन की ओर से पर्यावरण अनुकूल कार्य करने में अपना योगदान देते रहेंगे.
कोरोना के दौरान भी जावेद ने यूसुफ फाउंडेशन के जरिए बड़े पैमाने पर सामाजिक कार्य किए. इस दौरान उन्होंने जरूरतमंदों को बड़ी मात्रा में मास्क, खाना और पानी जैसी आवश्यक चीजें बांटी. आजम कैंपस कॉलेज ऑफ आर्ट्स, पुणे और यूसुफ फाउंडेशन के सहयोग से अनाथ बच्चों के लिए एक प्रतियोगिता भी आयोजित की गई थी. इन कार्यक्रमों के लिए जावेद खुद फंड जुटाते हैं.
इसके लिए जावेद अपनी कमाई का कुछ हिस्सा सामाजिक कार्यों के लिए अलग रखते हैं. वो मानते हैं कि खुदा का हम पर अहसान है. और खुदा के बन्दों की खिदमत करके ही इस एहसान का शुक्र अदा किया जा सकता है. जावेद की समाज के प्रति संजीदगी और काम करने के प्रति उनके उत्साह हम सबके लिए एक मिसाल है. जो सिखाती है की हम अगर चाहे, तो अपने इल्म और फन के जरिये लोगों की बड़ी खिदमत कर सकते हैं.