तृप्ति नाथ / कैराना, उप्र
उत्तर प्रदेश के शामली जिले में अपने गृह क्षेत्र कैराना से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रही अट्ठाईस वर्षीय इकरा हसन को अपने पहले लोकसभा चुनाव में जीत की उम्मीद है. निर्वाचित होने पर इकरा महिलाओं विशेषकर मुस्लिम महिलाओं और किसानों को सशक्त बनाने, शिक्षा सुविधाओं में सुधार करने, उद्योग के लिए निवेश आकर्षित करने और मुस्लिम बुनकरों के लिए अवसर पैदा करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना चाहती हैं.
तीसरी पीढ़ी की राजनीतिज्ञ, इकरा को स्पष्ट रूप से उत्तर प्रदेश के शामली जिले के कैराना में अपार सद्भावना प्राप्त है. उनके दादा चौधरी अख्तर हसन एक कार्यकाल के लिए कैराना निर्वाचन क्षेत्र से संसद सदस्य थे. इसी तरह पिता चौधरी मुनव्वर हसन किराना से दो बार लोकसभा सांसद और दो बार राज्यसभा सांसद भी रहे. वह किराना से विधायक और एमएलसी भी रहे.
इकरा राजनेताओं के परिवार से आती हैं. मां बेगम तबस्सुम हसन भी किराना से 2009 से 2014 तक सांसद रह चुकी हैं. इकरा के भाई नाहिद हसन भी किराना से सपा के मौजूदा विधायक हैं. वह कहती हैं कि हालांकि वह विशेषाधिकार प्राप्त क्षेत्र से आती हैं, जिसने उन्हें एक मंच दिया है, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि उन्हें अपने लिए जगह बनानी होगी. उन्होंने कहा, ‘‘सांसद बनना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है.’’
Iqra Hasan addressing an election rally
धूल भरी गैर-मोटर योग्य सड़कों और गन्ने के खेतों के माध्यम से अपने अभियान के अंतिम दिन, इकरा अपनी पार्टी के वरिष्ठों का अनुसरण करती है, जो उसके परिवहन के तरीके को तय करते हैं - चाहे वह राजपूत बहुल खीरी खुशनम में एक लाल महिंद्रा ट्रैक्टर हो या सन रूफ वाली एसयूवी हो यसा लव्वा दाउदपुर, राजपूतों का एक और गांव. यूके में एसओएएस, स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज के शांतिपूर्ण माहौल से मीलों दूर, जहां उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय कानून में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है. इकरा कैराना में भी उतनी ही सहज है, जो अपनी पितृसत्तात्मक व्यवस्था के लिए जाना जाता है. उन्होंने कहा, “मैं घबराया हुई हूं और जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, घबराहट बढ़ती जा रही है, लेकिन मुझे मतदाताओं का विश्वास भी प्राप्त है, क्योंकि मेरे परिवार के सदस्यों ने वर्षों से अपार सद्भावना अर्जित की है. उन्होंने ट्रैक्टर पर उनके साथ शामिल हुए एटीवी संवाददाता से कहा, ‘‘मुझे भी मतदाताओं का आशीर्वाद प्राप्त है.’’
यह सच है कि बुधवार सुबह-सुबह यहां पार्टी कार्यालय में आए समर्थकों की भारी भीड़ में उनका परिवार और समाजवादी पार्टी के वफादार चौधरी रईस राणा भी शामिल थे. मुजफ्फरनगर के जोला गांव के रहने वाले 60 साल के ये सज्जन इकरा के लिए वोट मांगने के लिए दस दिनों से कैराना में डेरा डाले हुए हैं. रईस राणा का इकरा के परिवार से जुड़ाव चार दशकों से अधिक पुराना है. “चौधरी राणा ने इकरा को आगे बढ़ते देखा है और बड़े उत्साह के साथ उसके करियर को आगे बढ़ाया है.” वह पुरानी यादों के साथ एक तस्वीर दिखाते हैं, जिसमें वह इकरा को अपनी बाहों में पकड़े हुए हैं, जब वह केवल चार साल की थीं. यह तस्वीर उनके पारिवारिक घर में ली गई थी.
23 Iqra Munawwar Hasan with farmers' leader Rakesh Tikait
रईस कहते हैं, ‘‘मेरे पिता चौधरी महमूद हसन ने इकरा के दादा के लिए प्रचार किया था, जब वह लोकसभा से चुनाव लड़े थे. इसलिए, हमारे बीच बहुत अच्छे पारिवारिक संबंध हैं. यह एक ऐसा परिवार है, जो न केवल अपने बल्कि बुलंदशहर, गाजियाबाद, मेरठ, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर समेत कई जिलों के घटकों की सही मायने में परवाह करता है. मुझे वह दिन अच्छी तरह याद है, जब मैं लखनऊ में समाजवादी पार्टी में शामिल हुआ था.’’
इकरा कहती हैं, ‘‘मेरी प्राथमिकता महिलाओं के लिए कॉलेज स्थापित करना है. लोग अपनी बेटियों को सह शिक्षण संस्थानों में भेजने में सहज नहीं हैं.’’ शामली में कक्षा एक तक पढ़ाई करने वाली इकरा कहती हैं, ‘‘इस तरह लड़कियों की शिक्षा ठहराव की स्थिति तक पहुंच जाती है.’’ बाद में, वह दिल्ली के क्वींस मैरी स्कूल में शामिल हो गईं और लेडी श्री राम कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में एलसी 1 (लॉ कैंपस-1) से एलएलबी भी किया.
कैराना, जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का हिस्सा है, में पितृसत्तात्मक व्यवस्था से बेपरवाह, लंदन की शिक्षित, मृदुभाषी महिला अपनी छाप छोड़ने को लेकर आश्वस्त दिखती हैं. अपने प्रतिद्वंद्वी और मौजूदा भाजपा सांसद प्रदीप चौधरी के विपरीत, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रदर्शन की झलक पाने का फायदा मिला है, इकरा का कहना है कि उन्हें विश्वास है कि मतदाता उनके परिवार द्वारा वर्षों से किए गए योगदान को पहचानेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पिता, मुनव्वर हसन, मतदाताओं से अच्छी तरह जुड़े हुए थे. मैं भी ऐसा ही करना चाहत हूं.’’
23 Iqra Hasan being blessed by women supporters during campaigning
इकरा कैराना में कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर चिंतित हैं और कहती हैं कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े स्पष्ट रूप से लड़कियों और महिलाओं के खिलाफ अपराध में वृद्धि दर्शाते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘एक महिला होने के नाते, मैं उन महिलाओं के लिए काउंसलिंग सुनिश्चित करना चाहूंगी, जो हिंसा का सामना करती हैं. अक्सर देखा जाता है कि महिलाएं हिंसा की शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा पातीं. मैं उन्हें सशक्त बनाना चाहूंगी, ताकि वे अपनी बात कहने में सक्षम हों.’
इकरा का कहना है कि इस तथ्य के बावजूद कि कैराना के मौजूदा सांसद को भाजपा शासित उत्तर प्रदेश सरकार के साथ-साथ केंद्र में डबल इंजन सरकार का पूरा समर्थन प्राप्त था, निर्वाचन क्षेत्र की बेहतरी के लिए बहुत कुछ नहीं किया गया.
यह युवा राजनेता मुस्लिम बुनकरों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा करना चाहते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘उनमें से कई लोग पानीपत में काम करने जाते हैं. राजमार्ग असुरक्षित है और कुछ मौतों की भी सूचना मिली है. आत्मनिर्भरता पैदा करने के लिए हमारे यहां पर्याप्त कपड़ा इकाइयां होनी चाहिए.’’
वह बताती हैं कि कैराना एक बहुत ही शांतिप्रिय क्षेत्र है जहां विभिन्न धर्मों के 36 समुदायों के लोग पूर्ण सद्भाव के साथ रहते हैं. वह कहती हैं, ‘‘मैं किसान परिवार से हूं और यह सुनिश्चित करना चाहती हूं कि किसानों को उनकी फसलों के लिए बेहतर न्यूनतम समर्थन मूल्य और मुफ्त बिजली मिले. इसके अलावा, कैराना में स्वास्थ्य सेवा की स्थिति संतोषजनक नहीं है. स्वास्थ्य सेवा अधिकारी पर बहुत अधिक दबाव है जो कई मोर्चों पर काम का बोझ है.’’
Iqra Hasan with Chaudhary Raees Rana
जैसे ही इकरा ट्रैक्टर पर एक गांव से दूसरे गांव जा रही थीं, उन्होंने मतदाताओं से धीरे से अपील की कि वे ‘साइकिल’ बटन ‘उन्नीस तारीख’ (19 अप्रैल का मतदान दिवस) को दबाना याद रखें. अख्तर हसन की पोती को देखने के लिए ग्रामीण सड़क के दोनों ओर खड़े थे, जिन्होंने कांग्रेस के टिकट पर कैराना से चुनाव लड़ा था और 1984 में मायावती को 2,44,000 वोटों से हराया था. प्रचार अभियान के दौरान पार्टी समर्थकों ने उन्हें माला पहनाई.
कैराना में पितृसत्तात्मक व्यवस्था पर एक सवाल का जवाब देते हुए इकरा कहती हैं, ‘‘मैं मानती हूं कि यह जगह बहुत रूढ़िवादी और पितृसत्तात्मक है, लेकिन मैं मानदंडों का पालन करती हूं. चुनाव के दौरान मुझे काफी उपहास का सामना करना पड़ा. मुझे ‘बच्ची’ कहकर खारिज कर दिया गया है लेकिन मैं आगे बढ़ती हूं. और मैं अपने विशेषाधिकार को हल्के में नहीं लेती.’’
सिर ढंके हुए कुर्ता और पतलून पहने इकरा का कहना है कि उन्हें अपने प्रचार के लिए अपनी पार्टी से बाहरी लोगों को लाने की जरूरत महसूस नहीं होती है. वो कहती हैं, ‘‘हम ये दिखाना चाहते हैं कि अखिलेश यादव का अदना सा प्यादा ही काफी है.’’