हवलदार अब्दुल माजिद कौन हैं, क्यों मिला कीर्ति चक्र ?

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 29-01-2024
Who is Havildar Abdul Majid, why did he get Kirti Chakra?
Who is Havildar Abdul Majid, why did he get Kirti Chakra?

 

आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली

75 वें गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सशत्र सुरक्षा बलों के 80 कर्मियों को वीरता पुरस्कार दिए जाने का ऐलान किया था. इनमें चार जवानांे को कीर्ति चक्र देने की घोषणा की गई थी.

राष्ट्रपति मुर्मू ने मरनोपरांत शहीद हवलदार अब्दुल माजिद को भी कीर्ति चक्र से सम्मानित करने का ऐलान किया था. इस अवसर पर उनकी बहादुरी को भी याद किया गया. शहीद हवलदार अब्दुल माजिद ने आतंकवादियों से लोहा लेते हुए सीधे सीने पर गोली खाई थी.
 
आइए जानते हैं कि हवलदार अब्दुल माजिद कौन थे. उनका ऐसा कौन सा कारनामा रहा जिसकी वजह से उन्हें कीर्ति चक्र से नवाजा गया.
 
सेना परिवार से थे माजिद

हवलदार अब्दुल माजिद जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले के अजोटे गांव के रहने वाले थे. उनके भाई-बहन के रूप में उनके एक भाई और चार बहनें हैं. वह एक ऐसे परिवार से आते थे, जिसके कई सदस्यों ने सशस्त्र बलों में सेवा की है, इसलिए वह भी सेना में सेवा करने के झुकाव के साथ बड़े हुए.
 
परिणामस्वरूप, स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद वह सेना में शामिल हो गए. उन्हें पैराशूट रेजिमेंट में भर्ती किया गया. वह एक विशिष्ट पैदल सेना रेजिमेंट थे जो अपने साहसी पैरा कमांडो और कई साहसिक अभियानों के लिए जानी जाती है.
 
स्वेच्छा से स्पेशल फोर्स में शमिल हुए 

बाद में उन्होंने विशेष बलों के लिए स्वेच्छा से काम करने का फैसला किया. उन्हें विशिष्ट 9 पैरा (एसएफ) में शामिल कर लिया गया, जो 1966 में गठित एक इकाई है, जो माउंटेन वारफेयर और काउंटर इंसर्जेंसी-आतंकवाद विरोधी अभियानों में विशेषज्ञता रखती है.
 
कुछ समय तक सेवा करने के बाद, उन्होंने सुश्री सुगरा बी से शादी कर ली. दंपति के दो बेटे और एक बेटी हुई.
 
राजौरी मुठभेड़, जिसकी वजह से माजिद को मिला कीर्ति सम्मानत

बात 22 नवंबर 2023 की है.हवलदार अब्दुल माजिद की यूनिट 9 पैरा (एसएफ) को भारतीय सेना के कोर के परिचालन नियंत्रण के तहत कार्यरत रोमियो बल के हिस्से के रूप में कश्मीर घाटी के राजौरी सेक्टर में तैनात किया गया था.
 
चूंकि यूनिट की जिम्मेदारी का क्षेत्र (एओआर) उग्रवादियों से प्रभावित क्षेत्र में पड़ता था, इसलिए यूनिट को नियमित आधार पर उग्रवाद विरोधी अभियान चलाना पड़ता था.
 
स्रोतों से मिली जानकारी के आधार पर, यूनिट ने 22 नवंबर 2023 को 63 आरआर और जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ एक खोज और घेरा अभियान शुरू करने का निर्णय लिया गया.
 
तदनुसार, 21-22 नवंबर 2023 की मध्यरात्रि को एक संयुक्त अभियान शुरू किया गया. इसमें 9 पैरा (एसएफ), 63 आरआर और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान शामिल थे.
 
योजना के अनुसार संयुक्त टीम राजौरी जिले के गुलाबगढ़ जंगल के संदिग्ध कालाकोट इलाके में पहुंची और घेराबंदी एवं तलाशी अभियान शुरू किया. हवलदार अब्दुल माजिद उस संयुक्त बल का हिस्सा थे जिसे इस ऑपरेशन को अंजाम देने का काम सौंपा गया था.
 
आतंकियों का घेरा तोड़ने में शहीद हुए हवलदार अब्दुल माजिद

जब तलाशी अभियान चल रहा था, आतंकवादियों ने खतरे को भांपते हुए भागने की कोशिश में सैनिकों पर गोलीबारी की. इसके बाद दोनों ओर से भारी गोलीबारी के साथ भीषण गोलीबारी शुरू हो गई.
 
आतंकवादी अपने नेता सहित एक ढोक (अस्थायी फूस की छत वाला मिट्टी का घर) में छिपे हुए थे. वहां से सैनिकों को निशाना बना रहे थे. हवलदार अब्दुल माजिद, अन्य सैनिकों और नागरिकों के लिए भी खतरे को भांपते हुए, आतंकवादियों को पकड़ने के लिए कवर से बाहर आ गए.
 
हालाँकि, ऐसा करते समय, हवलदार अब्दुल माजिद आग की चपेट में आ गए और गोली लगने से घायल हो गए. उन्होंने जल्द ही दम तोड़ दिया और शहीद हो गए.
 
ऑपरेशन जारी रहा और अंततः सभी आतंकवादियों को मार गिराया गया. हालाँकि, हवलदार अब्दुल माजिद के अलावा, 9 पैरा (एसएफ) और 63 आरआर के चार अन्य बहादुर जवानों ने भी ऑपरेशन के दौरान अपनी जान गंवा दी.
 
अन्य शहीद सैनिकों में कैप्टन एमवी प्रांजल, कैप्टन शुभम गुप्ता, एल-एनके संजय बिष्ट और पैराट्रूपर सचिन लौर शामिल थे.हवलदार अब्दुल माजिद एक बहादुर और समर्पित सैनिक थे, जिन्होंने ऑपरेशन के दौरान उल्लेखनीय साहस दिखाया.
 
देश की सेवा में अपना जीवन लगा दिया.हवलदार अब्दुल माजिद के परिवार में उनके माता-पिता, पत्नी सुगरा बी, दो बेटे, एक बेटी, एक भाई और चार बहनें हैं.