तीन दिवसीय अमेरिका यात्रा : फिर छा गए पीएम मोदी

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 26-09-2021
तीन दिवसीय अमेरिका यात्रा
तीन दिवसीय अमेरिका यात्रा

 

मलिक असगर हाशमी
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा कई मायनों में महत्वपूर्ण रही. कोविड महामारी के चलते तकरीबन दो वर्ष बाद लंबी विदेश यात्रा, अमेरिका पहुंचे पीएम मोदी अपने विचारों से न केवल वैश्विक स्तर पर अपनी अलग छाप छोड़ने में कामयाब रहे. क्वाड के साथी देश अमेरिका, जापान और आॅस्ट्रेलिया पर भी कई मामले में भारी पड़ते दिखे. 
 
पूरी दुनिया की निगाहें पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा पर थीं. संयुक्त राष्ट्र महासभा में उन्हांेने रही सही कसर पूरी कर दी. आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को जोरदार ढंग से घेरा. विदेश मंत्री एस जयशंकर पीएम नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा की महत्ता समझाने   के लिए इसके 12 अहमद बिंदु गिनाते हैं.
 
बहरहाल, माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के बाद क्वाड नेताओं के साथ द्विपक्षीय संबंधों को नई गति मिलेगी. चूंकि मोदी ने अमेरिका यात्रा के दौरान व्यक्तिगत रूप से कई महत्वाकांक्षी पहल की घोषणा की है, वह अवश्य ही दूरगामी असर डालेगी. 
 
अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चैड़ा होकर अपनी उपलब्धियां लगातार गिना रहा है. मगर क्वाड और संयुक्त राष्ट्र महासभा में मोदी ने अपने वक्तव्य से उसकी सारी हवा निकाल दी.
 
अमेरिका यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ने तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान की स्थिति पर चर्चा कर जता दिया कि वहां जो कुछ हो रहा है और जिसने यह हालात पैदा किए, दुनिया के लिए अच्छा साबित नहीं होगा. जाहिर है मोदी ने ऐसी बातें अमेरिका, पाकिस्तान और पर्दे के पीछे षड़यंत्र रचने में शामिल चीन को ध्यान में रखकर ही की होंगी.
 
वाशिंगटन में अपनी व्यस्तताओं के बाद न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने वाले प्रधानमंत्री का कहना है कि वैश्विक प्रगति पर भारत के विकास का प्रभाव स्पष्ट है. अपने भाषण में कहा, ‘‘जब भारत बढ़ता है, तो दुनिया बढ़ती है. जब भारत सुधार करता है तो दुनिया बदल जाती है.‘‘
 
यह कहने के पीछे पीएम मोदी की अवश्य ही यह सोच रही होगी कि अफगानिस्तान का बुनियादी ढांचा खड़ा करने और उसे विकास की पटरी पर दौड़ाने में भारत का अहम रोल रहा है. इसपर अरबों रुपये खर्च किए गए हैं.
 
मगर भारत को बिना विश्वास में लिए जिस तरह अमेरिका रातों रात भागा, यह निर्णय कहीं से उचित नहीं है. शायद इसके मद्देनजर ही पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 2593 को रेखांकित करते हुए अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल किसी भी देश को धमकाने, हमला करने और आतंकवादी समूहों को शरण या प्रशिक्षण देने के लिए नहीं किए जाने पर जोर दिया.
 
उन्होंने पाकिस्तान जैसे देशों पर निशाना साधते हुए आतंकवाद को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल न करने की चेतावनी. कहा कि उन पर उल्टा पड़ सकता है. उन्होंने प्रतिगामी सोच और उग्रवाद के खिलाफ भी आगाह किया.
 
कहा कि अफगानिस्तान की धरती को आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल नहीं करने दिया जाना चाहिए. भारत ने आतंकवादी प्रॉक्सी के किसी भी उपयोग की निंदा की. आतंकवादी समूहों को सैन्य, वित्तीय और सैन्य सहायता से वंचित करने के महत्व पर जोर दिया.
 
प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए क्वाड के संदर्भ में कहा कि चार सदस्य देशों - भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के बीच सहयोग से इंडो-पैसिफिक और पूरी दुनिया में शांति और समृद्धि सुनिश्चित करेगा.
 
अमेरिका यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ने लोगों के दैनिक जीवन में प्रौद्योगिकी की परिवर्तनकारी भूमिका पर भी प्रकाश डाला. साथ ही विविध, लचीला और विस्तारित वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं पर जोर दिया.प्रधानमंत्री ने ‘‘परंपरा, प्रौद्योगिकी, व्यापार, ट्रस्टीशिप और प्रतिभा‘‘ पर जोर देते हुए अमेरिका-भारत संबंधों में परिवर्तनकारी साझेदारी याद दिलाई.
 
उन्होंने भारतीय समुदाय से जुड़े कई मुद्दों को उठाया, जिसमें एच1-बी वीजा के मामले में भारतीय पेशेवरों के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका तक पहुंच और संयुक्त राज्य छोड़ने पर भारतीय पेशेवरों के सामाजिक सुरक्षा योगदान की वापसी शामिल है.
 
पीएम मोदी ने व्यापार और आर्थिक संबंधों के विकास पर जोर दिया. दोनों पक्षों ने प्रौद्योगिकी, विशेष रूप से अंतरिक्ष, साइबर, स्वास्थ्य, एआई, 5जी, 6जी और साइबर स्पेस के क्षेत्रों में संबंधों पर भी चर्चा की.
रक्षा पर दोनों पक्षों ने व्यावहारिक नई परियोजनाओं को देखने का फैसला किया जो रक्षा संबंधों को नई गति प्रदान करेगी.
 
भारत संयुक्त राज्य अमेरिका का प्रमुख रक्षा भागीदार है. रक्षा क्षेत्र में सह-विकास, सह-उत्पादन और औद्योगिक सहयोग के क्षेत्र के विस्तार पर जोर दिया गया.मूल यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री ने पांच वैश्विक सीईओ के साथ बातचीत की और 23 सितंबर को ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा के साथ द्विपक्षीय बैठकें की. 
 
पीएम मोदी ने अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस से भी मुलाकात की. यात्रा के दूसरे दिन प्रधानमंत्री  अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ द्विपक्षीय बैठक में शामिल हुए. इस दौरान दोनों शीर्ष नेता गर्मजोशी से मिले.
 
इसका बाइडेन ने अपने वक्तव्य के दौरान कई बार इजहार भी किया. पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफी अच्छे संबंध थे. इस लिए लिहाज से मोदी के अमेरिका यात्रा पर जाने से पहले बाइडेन से पहली मुलाकात को लेकर कई तरह की चर्चाएं और सरगोशियां चल रही थीं.
 
मगर दोनों शीर्ष नेतृत्व की मुलाकात ने न केवल तमाम आशंकाओं पर निश्चित ही विराम लगाया है, बल्कि मोदी-बाइडेन की अच्छी केमिस्ट्री भी देखने को मिली.बाइडेन मोदी से विशेष तौर प्रभावित दिखे. विशेष रूप से अफगानिस्तान के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की अध्यक्षता की सराहना की गई. राष्ट्रपति बिडेन यहां तक कहा कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक स्थायी सीट मिलनी चाहिए.
 
पीएम मोदी भी अमेरिका छोड़ने से पहले राष्ट्रपति बाइडने और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को भारत आने का न्योता दे आए हैं.
 
इनपुटः आईएएनएस