प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा से भारत और ओमान के रणनीतिक संबंध होंगे और मजबूत

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 18-12-2025
Prime Minister Modi's visit will further strengthen the strategic relations between India and Oman.
Prime Minister Modi's visit will further strengthen the strategic relations between India and Oman.

 

मोहम्मद मुदस्सिर कमर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 17-18 दिसंबर 2025 को होने वाली ओमान यात्रा बहुत ही सही समय पर हो रही है। यह प्रधानमंत्री मोदी की ओमान की दूसरी यात्रा है; इससे पहले वे फरवरी 2018 में वहाँ गए थे। यह यात्रा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत और ओमान एक व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) पर हस्ताक्षर करेंगे। संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के बाद किसी खाड़ी देश के साथ भारत का यह दूसरा ऐसा समझौता होगा।

भारत और ओमान के बीच बहुत पुराने और गहरे संबंध हैं, जिन्हें अब एक 'रणनीतिक साझेदारी' (Strategic Partnership) माना जाता है। ओमान की भौगोलिक स्थिति 'होर्मुज जलडमरूमध्य' (Strait of Hormuz) के मुहाने पर है, जो भारत की ऊर्जा आपूर्ति (गैस और तेल) के लिए बहुत जरूरी है। साथ ही, अरब सागर और हिंद महासागर में भारत के समुद्री हितों के लिए भी ओमान का स्थान बहुत महत्वपूर्ण है। ओमान भारत को एक उभरती हुई आर्थिक महाशक्ति के रूप में देखता है, जबकि भारत ओमान को अपने रक्षा और आर्थिक हितों के लिए एक भरोसेमंद साथी मानता है।

प्रधानमंत्री मोदी यह यात्रा सुल्तान हैथम बिन तारिक के निमंत्रण पर कर रहे हैं। यह यात्रा दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 70 साल पूरे होने के अवसर पर हो रही है। इससे पहले दिसंबर 2023 में सुल्तान हैथम ने भारत का दौरा किया था, जो 1997 के बाद किसी ओमानी सुल्तान की पहली भारत यात्रा थी।

भारत और ओमान के रिश्ते सदियों पुरानी दोस्ती, व्यापार और आपसी मेलजोल पर टिके हैं। 1990 के दशक में शीत युद्ध खत्म होने के बाद, ओमान खाड़ी क्षेत्र और मध्य पूर्व में भारत के लिए एक महत्वपूर्ण 'प्रवेश द्वार' (Gateway) बन गया। हाल के वर्षों में दोनों देशों ने आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया है। 2023 में भारत ने अपनी अध्यक्षता के दौरान ओमान को G20 शिखर सम्मेलन में एक अतिथि देश के रूप में आमंत्रित किया था।

इस यात्रा का मुख्य एजेंडा CEPA समझौते पर हस्ताक्षर करना है, जिससे वर्तमान में चल रहे 10.6 अरब डॉलर के व्यापार को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। दोनों देश समुद्री सुरक्षा, ऊर्जा, ग्रीन एनर्जी, अंतरिक्ष (Space), डिजिटल भुगतान (Digital Payments), स्वास्थ्य, पर्यटन, सूचना प्रौद्योगिकी (IT) और खाद्य सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के इच्छुक हैं।

ओमान खाड़ी क्षेत्र में भारत के प्रमुख व्यापारिक भागीदारों में से एक है। भारत ओमान को चावल, खनिज तेल, एल्युमीनियम ऑक्साइड, मशीनरी और बिजली के उपकरण निर्यात करता है। वहीं, भारत ओमान से मुख्य रूप से कच्चा तेल, एलएनजी (LNG), यूरिया (उर्वरक), उर्वरक और अन्य औद्योगिक कच्चा माल आयात करता है।

निवेश के मामले में भी दोनों देशों के बीच काफी संभावनाएं हैं। वर्तमान में दोनों देशों के बीच लगभग 6,000 संयुक्त उपक्रम (Joint Ventures) चल रहे हैं। ओमान ने भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के रूप में 600 मिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है।

प्रमुख परियोजनाओं में 'ओमान इंडिया ज्वाइंट इन्वेस्टमेंट फंड' (OIJIF) शामिल है, जो भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और ओमान इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (OIA) का साझा उपक्रम है। एक और महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट 'ओमान इंडिया फर्टिलाइजर कंपनी' (OMIFCO) है, जो 2006 से ओमान के 'सूर' में काम कर रही है।

रक्षा और सुरक्षा संबंध भारत-ओमान रिश्तों की रीढ़ हैं। ओमान खाड़ी में भारत का सबसे करीबी रक्षा साझेदार है। ओमान एकमात्र ऐसा खाड़ी देश है जिसके साथ भारत की तीनों सेनाएं (थल सेना, वायु सेना और नौसेना) संयुक्त अभ्यास करती हैं। दोनों देश हिंद महासागर में समुद्री डकैती रोकने और आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम कर रहे हैं। भारत को ओमान के रणनीतिक 'दुकम बंदरगाह' (Port of Duqm) के इस्तेमाल की अनुमति भी मिली हुई है, जो भारतीय नौसेना के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी दोनों देश बहुत करीब हैं। ओमान में लगभग 7 लाख भारतीय रहते हैं। इनमें इंजीनियर, डॉक्टर, नर्स, शिक्षक और प्रबंधन से जुड़े पेशेवरों के साथ-साथ बड़ी संख्या में श्रमिक भी शामिल हैं, जो ओमान के निर्माण और विकास में योगदान दे रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा भारत-ओमान संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ेगी। इससे व्यापार, निवेश, रक्षा, खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में रणनीतिक साझेदारी को नई मजबूती मिलेगी।

मोहम्मद मुदस्सिर कमर, एसोसिएट प्रोफेसर, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय