India-Oman Free Trade Agreement: Opening new doors for trade, investment, and employment.
मस्कट।
भारत और ओमान के बीच आर्थिक सहयोग को नई ऊँचाई देने वाला ऐतिहासिक क्षण गुरुवार को देखने को मिला, जब दोनों देशों ने एक व्यापक मुक्त व्यापार समझौते (CEPA – Comprehensive Economic Partnership Agreement) पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते से न केवल द्विपक्षीय व्यापार को जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा, बल्कि भारतीय निर्यातकों, सेवा क्षेत्र के पेशेवरों और निवेशकों के लिए पश्चिम एशिया और अफ्रीका के बाजारों के द्वार भी और अधिक खुलेंगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और ओमान के वाणिज्य, उद्योग एवं निवेश संवर्धन मंत्री कैस बिन मोहम्मद अल यूसुफ ने मस्कट में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता अगले वर्ष 2026 की पहली तिमाही से लागू होने की उम्मीद है।
98 प्रतिशत भारतीय निर्यात को ओमान में शुल्क-मुक्त प्रवेश
इस ऐतिहासिक समझौते के तहत ओमान ने अपनी कुल शुल्क श्रेणियों के 98 प्रतिशत से अधिक उत्पादों पर भारत को शून्य शुल्क की पेशकश की है। इसका सीधा लाभ यह होगा कि भारत के लगभग 99.38 प्रतिशत निर्यात को ओमान के बाजार में बिना किसी आयात शुल्क के प्रवेश मिलेगा।
विशेष रूप से वस्त्र, रत्न एवं आभूषण, चमड़ा, जूते, खेल सामग्री, प्लास्टिक उत्पाद, फर्नीचर, कृषि उत्पाद, इंजीनियरिंग सामान, औषधियां, मेडिकल उपकरण और मोटर वाहन जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों को पूरी तरह शुल्क-मुक्त किया गया है। इनमें से करीब 98 प्रतिशत उत्पादों पर शुल्क तत्काल समाप्त कर दिया जाएगा।
यह समझौता ऐसे समय में हुआ है, जब भारत को अमेरिका जैसे प्रमुख बाजारों में ऊँचे आयात शुल्क का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में ओमान जैसे रणनीतिक साझेदार के साथ यह करार भारतीय निर्यातकों के लिए बड़ी राहत और अवसर लेकर आया है।
ओमान के उत्पादों पर भारत ने भी दिखाई उदारता
दूसरी ओर, भारत ने भी ओमान से आने वाले उत्पादों के लिए अपने कुल शुल्क ढांचे का लगभग 77.79 प्रतिशत हिस्सा उदार बनाने की पेशकश की है। इससे ओमान से भारत आने वाले करीब 94.81 प्रतिशत आयात को लाभ मिलेगा।
हालांकि, भारत ने अपने संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए खजूर, संगमरमर और पेट्रो-रसायन उत्पादों जैसे कुछ महत्वपूर्ण ओमानी उत्पादों के लिए शुल्क-दर कोटा (TRQ) आधारित रियायतें दी हैं।
वहीं, दुग्ध उत्पाद, चाय, कॉफी, रबर, तंबाकू, सोना-चांदी, आभूषण, जूते और खेल सामग्री जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को किसी भी रियायत से अलग रखा गया है, ताकि घरेलू उद्योगों के हित सुरक्षित रहें।
सेवा क्षेत्र और पेशेवरों के लिए सुनहरा अवसर
यह समझौता केवल वस्तुओं तक सीमित नहीं है, बल्कि सेवा क्षेत्र में भी भारतीय कंपनियों और पेशेवरों के लिए नई संभावनाएँ खोलता है। ओमान ने आईटी सेवाओं, पेशेवर सेवाओं, ऑडियो-विजुअल, अनुसंधान एवं विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में महत्वपूर्ण प्रतिबद्धताएं जताई हैं।
विशेष रूप से भारतीय पेशेवरों की आवाजाही को आसान बनाने के लिए मोड-4 के तहत बड़े सुधार किए गए हैं। कंपनी के भीतर स्थानांतरित कर्मचारियों की सीमा 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दी गई है। वहीं, संविदा सेवा प्रदाताओं के लिए ठहरने की अवधि 90 दिन से बढ़ाकर दो वर्ष कर दी गई है, जिसे आगे और बढ़ाया जा सकता है।लेखांकन, कराधान, वास्तुकला, चिकित्सा और संबद्ध सेवाओं में भारतीय पेशेवरों को अधिक सहज प्रवेश और लंबे समय तक काम करने की सुविधा मिलेगी।
निवेश और सामाजिक सुरक्षा पर भी सहमति
समझौते की एक और अहम विशेषता यह है कि ओमान के प्रमुख सेवा क्षेत्रों में भारतीय कंपनियों को 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति दी गई है। इससे भारतीय कंपनियाँ ओमान में अपनी व्यावसायिक उपस्थिति और विस्तार कर सकेंगी।इसके साथ ही, दोनों देशों ने भविष्य में सामाजिक सुरक्षा समझौते पर बातचीत करने पर भी सहमति जताई है, जिससे प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा और अधिकारों को और मजबूती मिलेगी।
रणनीतिक साझेदारी को मिलेगा नया आयाम
ओमान भारत के लिए पश्चिम एशिया और अफ्रीका तक पहुँच का एक अहम प्रवेश द्वार है। वर्तमान में ओमान में लगभग सात लाख भारतीय नागरिक रहते हैं और भारत को हर साल करीब दो अरब अमेरिकी डॉलर की प्रेषण राशि प्राप्त होती है।भारत–ओमान के बीच वित्त वर्ष 2024–25 में द्विपक्षीय व्यापार 10.5 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँच चुका है।
यह समझौता न केवल व्यापार बढ़ाएगा, बल्कि रोजगार, निवेश और क्षेत्रीय स्थिरता को भी मजबूती देगा। ब्रिटेन के बाद पिछले छह महीनों में यह भारत का दूसरा बड़ा व्यापार समझौता है, जो यह दर्शाता है कि भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी भूमिका को और सशक्त करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।