BBCI ने रचा इतिहास: पूर्वोत्तर में पहली MUD स्टेम सेल ट्रांसप्लांट सफल

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 18-12-2025
BBCI makes history: First MUD stem cell transplant successful in Northeast India.
BBCI makes history: First MUD stem cell transplant successful in Northeast India.

 

आरिफ़ुल इस्लाम और सुदीप शर्मा चौधरी / गुवाहाटी

पूर्वोत्तर भारत के प्रमुख कैंसर उपचार संस्थान डॉ. बी. बोरूआह कैंसर संस्थान (BBCI), जो मुंबई के टाटा मेमोरियल अस्पताल की एक इकाई है, ने इलाज के क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। गुवाहाटी स्थित यह संस्थान, जो परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत अनुदान प्राप्त संस्थान है, ने पूर्वोत्तर में पहली बार मैच्ड अनरिलेटेड डोनर (MUD) एलोजेनिक स्टेम सेल ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक कर एक ऐतिहासिक चिकित्सा सफलता हासिल की है।

इस प्रक्रिया में परिवार से बाहर किसी दानदाता से स्टेम सेल लिए जाते हैं, जो क्षेत्र के लिए एक बड़ी चिकित्सा उपलब्धि मानी जा रही है। हाल ही में डॉक्टरों ने 19 वर्षीय एक मरीज पर यह प्रत्यारोपण किया। मरीज अब पूरी तरह स्वस्थ है और उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।
f
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट ल्यूकेमिया सहित कई रक्त संबंधी बीमारियों के इलाज में बेहद ज़रूरी होता है। लेकिन इसकी सबसे बड़ी चुनौती दाता और मरीज के बीच ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन (HLA) का मिलान करना होता है। डॉक्टरों के अनुसार, सगे भाई-बहनों में भी केवल 25 प्रतिशत मामलों में ही HLA मैच होता है, जिससे परिवार के बाहर उपयुक्त दाता ढूँढना और कठिन हो जाता है। पूर्वोत्तर की जातीय और सामाजिक विविधता इस चुनौती को और बढ़ा देती है।

fबीएमटी यूनिट के प्रमुख चिकित्सक और एडल्ट हेमेटोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आसिफ़ इक़बाल ने कहा,“मरीज 19 वर्षीय युवक था, जिसे दोबारा उभरे और गंभीर कैंसर से जूझना पड़ रहा था।

उसके परिवार में कोई उपयुक्त दाता नहीं था। उसके लिए परिवार से बाहर रजिस्ट्री के माध्यम से दाता ढूँढना ही लंबे समय तक जीवन बचाने का एकमात्र विकल्प था।”

BBCI ने जून से देशभर में DATRI ब्लड स्टेम सेल डोनर रजिस्ट्री, जो भारत की सबसे बड़ी रजिस्ट्रियों में से एक है, के ज़रिये दाताओं की तलाश शुरू की। जुलाई तक एक संभावित दाता मिल गया।दाता की पुष्टि के बाद एक जटिल प्रक्रिया शुरू हुई, जिसमें टाइपिंग की पुष्टि, संक्रामक रोगों की जाँच, दाता की चिकित्सीय स्वीकृति और स्टेम सेल को सुरक्षित रखने (क्रायोप्रिज़र्वेशन) जैसी प्रक्रियाएँ शामिल थीं।

दाता पंजाब के लुधियाना में था और स्टेम सेल को कई राज्यों से होकर लाया गया। उस समय मरीज में कोई अवशिष्ट बीमारी (MRD) नहीं थी, जिससे ट्रांसप्लांट आसान हो गया।

करीब 18.5 लाख रुपये की इस प्रक्रिया को दाता के एक दूर के रिश्तेदार के सहयोग से संभव बनाया गया। अस्पताल प्रशासन पहले से सतर्क था क्योंकि स्टेम सेल को कई राज्यों से लाना था। एहतियातन, यदि ट्रांसप्लांट असफल हो जाए, तो मरीज के अपने स्टेम सेल भी पहले ही सुरक्षित कर लिए गए थे।

डॉ. इक़बाल ने कहा,“पूर्वोत्तर में जागरूकता की कमी के कारण स्टेम सेल दाताओं की संख्या बहुत कम है। यह लड़का बहुत भाग्यशाली था, लेकिन ऐसे मरीजों की मदद के लिए हमें और अधिक दाताओं की ज़रूरत है।”

उन्होंने आगे बताया कि पंजाब के लुधियाना से जीवनरक्षक स्टेम सेल को सुरक्षित तरीके से लाने के लिए दाता एजेंसियों, हवाई अड्डा प्राधिकरण, सरकारी विभागों, लुधियाना के अफेरेसिस सेंटर और BBCI ट्रांसप्लांट यूनिट के बीच बेहतरीन समन्वय की आवश्यकता थी।

स्टेम सेल सुरक्षित रूप से अस्पताल पहुँचे और तुरंत ट्रांसप्लांट किया गया, हालाँकि दाता और मरीज का ABO ब्लड ग्रुप मेल नहीं खाता था। मरीज को पूर्ण-खुराक टोटल बॉडी इरैडिएशन (TBI) आधारित उपचार दिया गया, जो BBCI की उन्नत क्षमताओं को दर्शाता है।

यह प्रक्रिया रेडिएशन ऑन्कोलॉजी के सहायक प्रोफेसर डॉ. कौशिक कटक़ी की निगरानी में की गई। इस प्रक्रिया के लिए आवश्यक फेफड़ों की सुरक्षा ढाल (लंग शील्ड) BBCI में ही तैयार की गई।

डॉ. इक़बाल ने कहा कि यह सफलता अस्पताल के विभिन्न विभागों,ट्रांसफ्यूज़न मेडिसिन, हेमेटोपैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, रेडिएशन ऑन्कोलॉजी और बीएमटी नर्सिंग स्टाफ—की कड़ी मेहनत, सटीकता और समर्पण का परिणाम है।

उन्होंने बताया कि वे स्टेम सेल दान को लोकप्रिय बनाने के लिए विशेष कदम उठा रहे हैं और जनवरी से राज्य में जागरूकता अभियान शुरू करेंगे।उन्होंने कहा,“पूर्वोत्तर में 200 से अधिक जनजातीय समुदाय हैं, लेकिन उनमें जागरूकता की भारी कमी है। कैंसर का पता चलने पर मरीजों को स्टेम सेल दाता खोजने के लिए BKMS जैसे संगठनों पर निर्भर होना पड़ता है।”
f
उन्होंने आगे कहा,“पूरे पूर्वोत्तर में स्टेम सेल दान की कोई परंपरा नहीं है। मानव शरीर में लगभग 5 लीटर बोन मैरो होता है, और अगर कोई व्यक्ति केवल 150 मिलीलीटर दान करे, तो कैंसर के कारण बोन मैरो खो चुके व्यक्ति को नया जीवन मिल सकता है। स्टेम सेल दान करके हर व्यक्ति रक्तदान की तरह आसानी से कैंसर के खिलाफ योद्धा बन सकता है।”