– डॉ. अनिल कुमार निगम
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान की स्थिति ‘आगे कुआँ, पीछे खाई’ जैसी हो गई है. वह पहले से ही गहरे आंतरिक संकटों से जूझ रहा था, लेकिन अब उस पर एक साथ कई मोर्चों पर दबाव बढ़ गया है. जहां इज़राइल ने गाज़ा पट्टी में हमास जैसे आतंकी संगठनों के ठिकानों को पूरी तरह तबाह कर दिया, वहीं भारत को पाकिस्तान को पूरी तरह तबाह करने की ज़रूरत नहीं पड़ी – उसके हालात अपने आप ही बद से बदतर होते जा रहे हैं.
तेज़ी से बिगड़ते हालात
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की स्थिति गाज़ा पट्टी से भी ज़्यादा दयनीय और जर्जर हो रही है. भारत ने इस सैन्य कार्रवाई से पहले ही पाकिस्तान पर कूटनीतिक, व्यापारिक और द्विपक्षीय स्तर पर सख्त प्रतिबंध लागू कर दिए थे – जिसमें सिंधु जल संधि का निलंबन, वीज़ा रोकना, हवाई और व्यापारिक संपर्कों को सीमित करना शामिल था.
इसका सीधा असर पाकिस्तान की कृषि व्यवस्था पर पड़ा है. सिंधु जल संधि से मिलने वाले जल के बिना उसकी लगभग 80% कृषि भूमि सूखने लगी है. हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि पाकिस्तान ने भारत के जल शक्ति मंत्रालय से जल समझौते को पुनः बहाल करने की गुहार तक लगा दी है. आने वाले समय में पाकिस्तान भूख और प्यास से बिलखता हुआ भारत से मैत्री की भीख माँग सकता है.
भरोसे के काबिल नहीं पाकिस्तान
लेकिन सवाल उठता है – क्या भारत को पाकिस्तान की इन घड़ियाली भावनाओं पर यक़ीन करना चाहिए? क्या सिंधु जल संधि को फिर से लागू करना चाहिए? क्या पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) को वापस लिए बिना कोई रियायत दी जानी चाहिए?
उत्तर स्पष्ट है – बिलकुल नहीं.
पाकिस्तान एक ऐसा देश है जो विश्वासघात, दुष्टता और अमानवीयता का प्रतीक बन चुका है. वास्तव में, इसे ‘पाकिस्तान’ नहीं, ‘आतंकिस्तान’ कहना ज़्यादा उचित हो.।
चीन की पोल खुली
ऑपरेशन सिंदूर में जब पाकिस्तान ने चीन निर्मित जेएफ-17 लड़ाकू विमान और पीएल-15 मिसाइल का इस्तेमाल किया, तब भारतीय वायुसेना ने उन्हें हवा में ही ध्वस्त कर दिया.
इससे चीन के हथियारों की गुणवत्ता पर भी सवाल उठे हैं और उसका अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में भरोसा डगमगाने लगा है. इससे न केवल पाकिस्तान, बल्कि चीन भी वैश्विक सैन्य बाज़ार में घिर गया है.
दुनिया को दिखा पाकिस्तान का असली चेहरा
भारत में हुए आतंकी हमले और उसके जवाब में की गई कार्रवाई के बाद पाकिस्तान के झूठ और प्रपंच की पोल खुल चुकी है.
ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए आतंकियों के जनाज़ों में पाकिस्तानी सेना की मौजूदगी और उन्हें राष्ट्रीय झंडे में लपेटने से यह साफ हो गया है कि पाकिस्तान सीधे-सीधे आतंकवाद का समर्थन करता है.
यहाँ तक कि अफगानिस्तान पर भारत द्वारा मिसाइल दागने के झूठे आरोप को भी अफगानिस्तान ने ही खारिज कर दिया, जिससे पाकिस्तान की किरकिरी और भी बढ़ गई.
आर्थिक मोर्चे पर तबाही
पाकिस्तान इस समय गंभीर आर्थिक संकट में है। महंगाई चरम पर है, बेरोजगारी और भुखमरी फैली हुई है. उसकी कुल जीडीपी का 67% कर्ज़ में डूबा है – जो लगभग 21.6 लाख करोड़ रुपये है. वह बार-बार अंतरराष्ट्रीय संगठनों, चीन और अमेरिका के सामने आर्थिक मदद के लिए कटोरा लेकर खड़ा हो रहा है.
बलूचिस्तान में विद्रोह
पाकिस्तान का बलूचिस्तान प्रांत एक अलग ही आग में जल रहा है. बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) लगातार पाकिस्तानी सेना पर हमले कर रही है. बलूच नेता मीर यार ने साफ कहा है कि अब बलूचिस्तान पाकिस्तान का हिस्सा नहीं, बल्कि एक स्वतंत्र राष्ट्र है – और उन्होंने भारत से सहायता की अपील भी की है.
गाज़ा पट्टी को बमों और सैन्य कार्रवाई से तबाह करने की ज़रूरत इज़राइल को पड़ी, लेकिन पाकिस्तान अपनी करतूतों की वजह से खुद ही बिखर रहा है. भारत को ज़रूरत है कि वह पाकिस्तान की हर चाल पर सख्त नजर बनाए रखे और विश्व पटल पर उसका असली चेहरा उजागर करता रहे.
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं.)