तेलंगाना में मुस्लिम आरक्षण की राजनीति

Story by  हरजिंदर साहनी | Published by  [email protected] | Date 17-03-2024
Muslim reservation politics in Telangana
Muslim reservation politics in Telangana

 

harjinderहरजिंदर
 
बहलाने-फुसलाने और भड़काने की राजनीति चुनाव से पहले ही दस्तक दे देती है. यही इस बार भी हो रहा है.चुनाव की घोषणा के ठीक दो दिन पहले तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवांथ रेड्डी ने रोज़ा इफ्तार के लिए हैदराबाद में एक आयोजन किया। इसमें बड़ी संख्या में राज्य के और खासकर शहर के मुसलमानों को आमंत्रित किया गया था। वैसे यह पूरा आयोजन ही राजनीतिक था और राजनीति शुरू भी हो गई.

इस मौके पर राज्य के मुख्यमंत्री ने मौके पर कहा कि राज्य के मुसलमानों को सरकारी नौकरियों में जो चार फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है वह जारी रहेगा. बात को राजनीतिक रंग देते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी के लोग जो यह कह रहे हैं कि अगर केंद्र में फिर से बीजेपी की सरकार बन गई तो यह आरक्षण पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा.
 
मुख्यमंत्री ने इसके आगे कहा कि यह पूरी तरह गलत है, अगर नरेंद्र मोदी और अमित शाह चाहें भी तो दोनों मिलकर भी इसे खत्म नहीं कर सकते.मुख्यमंत्री की बात से ऐसा लगता है कि जैसे चार फीसदी का यह आरक्षण खुद उन्होंने शुरू किया था जबकि सच यह है कि आरक्षण उनके पहले की सरकारों के समय से ही लागू है.
 
उस समय से जब आंध्र प्रदेश और तेलंगाना अलग-अलग नहीं थे. सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ एक याचिका भी दायर की गई है. और अब यह फैसला सुप्रीम कोर्ट में ही होगा। अगर सुप्रीम कोर्ट इसके खिलाफ फैसला दे देता है तो शायद रेवांथ रेड्डी भी इसे रोक नहीं पाएंगे.
 
यह भी सच है कि अमित शाह कईं बार इसका जिक्र कर चुके हैं और इसे हटाने की बात भी कह चुके हैं, लेकिन वहां भी यह चुनावी मुद्दा ही रहा है जिसका मकसद धार्मिक आधार पर वोटों का ध्रुवीकरण करना था.इस बार जब चुनाव प्रचार शुरू होगा तो दोनों ही तरफ से इसे लेकर राजनीति किया जाना भी लगभग तय है. तब यह मुद्दा कहीं नहीं होगा कि इस आरक्षण का वास्तविक फायदा अभी तक कितने लोगों को मिला है.
 
वैसे जब रेवांथ रेड्डी यह बयान दे रहे थे उसके ठीक एक दिन पहले ही यह मुद्दा हैदराबाद की राजनीति में गर्माने लग पड़ा था. तब राज्य सरकार के सलाहकार मुहम्मद अली शब्बीर ने भी यही बयान दिया था कि फैसला आखिर में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ही करेगी। अमित शाह और बीजेपी इसे खत्म नहीं कर सकते.
 
लेकिन शब्बीर सिर्फ इतने पर ही चुप नहीं रहे. उन्होंने कहा कि अगर अमित शाह इस बार भी इस चार फीसदी आरक्षण की बात उठाते हैं तो वे उस पर रोक लगवाने की कोशिश करेंगे, क्योंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में इसलिए इस पर बयान नहीं दिया जा सकता.लेकिन इस पर बयानबाजी ही नहीं राजनीति भी शरू हो गई है.