भारत-पाक महिला विश्व कप: क्या कोलंबो में भी दोहराए जाएंगे एशिया कप जैसे दृश्य ?

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 03-10-2025
India-Pakistan Women's World Cup: Will Colombo witness similar scenes as the Asia Cup?
India-Pakistan Women's World Cup: Will Colombo witness similar scenes as the Asia Cup?

 

मलिक असगर हाशमी 

आईसीसी महिला विश्व कप 2025 का बहुप्रतीक्षित भारत-पाकिस्तान मुकाबला 5 अक्टूबर को श्रीलंका के कोलंबो में खेला जाएगा. लेकिन यह मैच सिर्फ क्रिकेट नहीं, बल्कि कूटनीतिक सन्नाटे और खेल भावना को लेकर उठ रहे गंभीर सवालों की छाया में खेला जाना है. एशिया कप के दौरान जो घटनाएँ सामने आईं, उन्होंने क्रिकेट की ‘स्पिरिट ऑफ द गेम’ पर गहरी चोट की है  और अब यही डर है कि कहीं महिला विश्व कप में भी वही सब न दोहराया जाए.

दरअसल, दुबई में हुए एशिया कप के दौरान भारत और पाकिस्तान के पुरुष खिलाड़ियों के बीच पारंपरिक ‘हैंडशेक’ नहीं हुआ. मैच से पहले टॉस के दौरान कोई साझा तस्वीर नहीं ली गई और मैच के बाद भी किसी तरह का सौहार्द्रपूर्ण संवाद नहीं हुआ.

यह असहजता और दूरी अब महिला क्रिकेट तक पहुँचती दिखाई दे रही है, जिससे इस बात को लेकर संशय गहराता जा रहा है कि क्या कोलंबो में भी यही रवैया देखने को मिलेगा ?

इस मुद्दे पर बीसीसीआई के सचिव देवजीत सैकिया ने हाल ही में बीबीसी को दिए साक्षात्कार में कोई स्पष्ट उत्तर देने से बचते हुए कहा कि बोर्ड सभी क्रिकेट प्रोटोकॉल का पालन करेगा, लेकिन हाथ मिलाने जैसी पारंपरिक शिष्टाचार की पुष्टि नहीं की जा सकती.

उन्होंने कहा,"मैं कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकता, लेकिन भारत कोलंबो में सभी क्रिकेट प्रोटोकॉल का पालन करते हुए मैच खेलेगा. एमसीसी के नियमों के तहत जो ज़रूरी होगा, वह किया जाएगा."
India vs Pakistan Women’s World Cup: Asia Cup row intensifies with 'no-handshake' instruction
हालांकि, पीटीआई की एक रिपोर्ट कुछ और ही इशारा करती है. रिपोर्ट के अनुसार, बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि महिला टीम भी वही नीति अपनाएगी जो पुरुष टीम ने अपनाई थी  यानी कोई हाथ मिलाना नहीं, टॉस के समय ग्रुप फ़ोटो नहीं और न ही मैच के बाद कोई संवाद !

अधिकारी ने यह स्पष्ट किया कि बीसीसीआई भारत सरकार के निर्देशों से जुड़ा है. ऐसे में टॉस के समय कोई पारंपरिक हैंडशेक या फोटोशूट नहीं होगा, मैच के बाद भी कोई हाथ मिलाना नहीं होगा."

दूसरी ओर, पाकिस्तान की महिला टीम इस संभावित असहजता को लेकर सतर्क दिखाई दे रही है. पाक मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, टीम मैनेजर हिना मुनव्वर ने पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) से मार्गदर्शन माँगा है कि अगर भारत मैच के दौरान पारंपरिक क्रिकेट शिष्टाचारों का पालन नहीं करता है, तो टीम को कैसी प्रतिक्रिया देनी चाहिए.

पाकिस्तानी खेमा बहिष्कार जैसे किसी विकल्प पर विचार कर रहा है या नहीं . इस पर स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा गया है, लेकिन तैयारियों की सतर्कता इसी ओर इशारा करती है.भारतीय महिला टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर ने इस पूरे विवाद से दूरी बनाए रखी है.

आईसीसी द्वारा आयोजित कप्तानों की प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने स्पष्ट कहा कि वे राजनीति से प्रेरित निर्णयों पर टिप्पणी नहीं करेंगी."क्रिकेटर होने के नाते, हम केवल मैदान पर होने वाली गतिविधियों को नियंत्रित कर सकते हैं. ड्रेसिंग रूम में हम अपने खेल की रणनीतियों पर बात करते हैं, राजनीति पर नहीं। हमारा ध्यान सिर्फ क्रिकेट पर है."

उनकी यह प्रतिक्रिया बताती है कि खिलाड़ी मैदान पर खेल को ही सर्वोच्च मानते हैं, लेकिन मैदान के बाहर की राजनीति किस तरह इस खेल पर हावी हो रही है , यह चिंता का विषय जरूर है.

एशिया कप के दौरान भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में फिर से तनाव उभरा, जिसकी पृष्ठभूमि में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकवादी हमला और उसके बाद भारतीय सेना द्वारा किया गया ऑपरेशन सिंदूर प्रमुख कारण रहा. इसने दोनों देशों के बीच राजनीतिक और सैन्य तनाव को एक बार फिर सतह पर ला दिया, जिसका असर सीधे क्रिकेट मैदान पर दिखाई दिया.

क्रिकेट को अब तक ‘सॉफ्ट डिप्लोमेसी’ का एक अहम जरिया माना जाता रहा है. 1987 के दौर में भी जब भारत और पाकिस्तान के रिश्ते तनावपूर्ण थे, तब जनरल जियाउल हक भारत-पाक क्रिकेट मैच देखने जयपुर पहुँचे थे और उसी मुलाकात को तनाव कम करने वाले कदम के रूप में देखा गया था. लेकिन अब जब दोनों देशों की राजनीतिक दूरियाँ इतनी तीव्र हो गई हैं, तो क्रिकेट भी उस खाई को पाटने में विफल दिखाई दे रहा है.

India and Pakistan cricketers

अब जब 5 अक्टूबर को भारत और पाकिस्तान की महिला टीमें कोलंबो में आमने-सामने होंगी, तब सिर्फ यह नहीं देखा जाएगा कि कौन जीतता है, बल्कि यह भी आँका जाएगा कि दोनों टीमें खेल भावना को कितनी प्राथमिकता देती हैं. क्या पारंपरिक शिष्टाचार और आपसी सम्मान की भावना बनी रहेगी या फिर मैदान पर भी वही दूरी कायम रहेगी जो राजनीतिक गलियारों में है?

यह मैच महज़ एक खेल नहीं, बल्कि उस बड़ी तस्वीर का हिस्सा है जहाँ खेल, राजनीति और कूटनीति आपस में गहराई से जुड़ चुके हैं. चाहे खिलाड़ी राजनीति से दूर रहना चाहें, लेकिन उनके मैदान पर किए गए हर कदम की व्याख्या अब राजनीतिक दृष्टिकोण से भी की जा रही है.

ऐसे में उम्मीद बस यही की जा सकती है कि भारत और पाकिस्तान की महिला टीमें मैदान पर कम से कम इस बात का संदेश दें कि क्रिकेट अब भी दो दुश्मन देशों के बीच पुल बन सकता है, दीवार नहीं.