सोहेल वाराइच
हम कई संकटों से जूझ रहे हैं और देश को इन चौतरफा संकटों से बाहर निकलना अपरिहार्य है, लेकिन 8 फरवरी के चुनाव के बाद देश में कोई भी पार्टी या संगठन खुश नहीं है. फॉर्म 47 के माध्यम से उनका जनादेश छीन लिया गया है. उन पर अत्याचार किया गया है. उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया है. यहां तक कि निर्णय लेने वाले भी इससे संतुष्ट नहीं हैं.
उनके अनुसार नून लीग भी खुश नहीं हैं. उनके पास स्पेस नहीं है. उन्हें क्या करना चाहिए करना? गठबंधन सरकार की साझीदार पीपुल्स पार्टी को भी पंजाब सरकार और संघीय सरकार से लंबे समय से शिकायत है. जैसे कोई भी खुश नहीं है.
अब स्थिति यह है कि पार्टियाँ बंद हैं. सरकार का पहिया नहीं घूम रहा है. आर्थिक और राजनीतिक संकट पूरे जोरों पर हैं. कोई भी पार्टी लचीलापन नहीं दिखा रही है. उसे अपने लचीलेपन में हार और पूर्ण हार दिख रही है.
इसलिए हर कोई अपनी स्थिति पर है . स्टैंड अटक गया है. इन स्थितियों में, जब देश पतन की ओर जा रहा हो, और संकट का कोई समाधान नहीं दिख रहा हो, राष्ट्रीय एकता सरकार ही संकट से बाहर निकलने का एकमात्र उज्ज्वल तरीका है.
इस स्थिति से निपटने के लिए संसद में सभी प्रमुख दल शामिल हैं . मर्द-ए-दाना ने सुझाव दिया कि दो साल के लिए ऐसी सरकार बनाई जानी चाहिए, जिसके बाद निष्पक्ष चुनाव होंगे. जो भी पार्टी जीतेगी वह अगली सरकार चलाएगी.
तहरीक-ए-इंसाफ को भी सरकार में शामिल किया जाए. मक़तदा को भी शामिल किया जाए. बाद में गठबंधन की राष्ट्रीय सरकार बनाकर अपनी राजनीति करें. शासकों और जनता के बीच के अंतर्विरोध तुरंत दूर हो जायेंगे.
तहरीक-ए-इंसाफ की नाराजगी और शंकाएं खत्म हो जाएंगी. नून लीग कमजोर नैतिक स्थिति से निकलकर सभी के लिए स्वीकार्य होने का दर्जा हासिल कर लेंगे. पीपुल्स पार्टी सिंध में सरकार बनी रहेगी.
संवैधानिक पद उनके पास रहेंगे. क़लम मज़दूर ने मर्द-ए-दाना की ओर रुख किया, जो एक शीर्ष वकील भी हैं. कैप्टन खान से कहा कि वह कोई समझौता स्वीकार न करें. वह इसमें भाग लेंगे. गठबंधन राष्ट्रीय सरकार.
वे मना कर देंगे. मर्द-ए-दाना, जो अक्सर खान साहब से मिलते हैं, ने कहा कि नहीं, वे सहमत होंगे कि पाकिस्तान को बचाने का एकमात्र शांतिपूर्ण तरीका व्यवस्था चलाना है. बाकी विकल्प खूनी, अलोकतांत्रिक, अवैध और असंवैधानिक हैं.
इसलिए इन समस्याओं का एकमात्र समाधान सर्वदलीय सरकार है. इस पहल से हम दुनिया भर में अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा भी बहाल कर लेंगे.राष्ट्रीय सरकार के गठन से देश के भीतर राजनीतिक तनाव तुरंत समाप्त हो जाएगा .
राजनीतिक तकनीशियनों से बनी गठबंधन राष्ट्रीय सरकार देश को इस दलदल से बाहर निकालेगी, जो मंत्री अच्छा प्रदर्शन करेगा वह अपने राजनीतिक दल की प्रतिष्ठा बढ़ाएगा?
गठबंधन राष्ट्रीय सरकार को आपत्ति यह है कि जो दल एक-दूसरे की बोलियाँ बोलते हैं, वे एक साथ बैठकर मंत्रिस्तरीय बैठक में निर्णय नहीं ले सकेंगे. यदि पार्टियाँ संयुक्त राष्ट्रीय सरकार का हिस्सा बन जाती हैं, तो सत्ता के कारण और आज जो न्यायपालिका अटकी हुई है वो खत्म हो जाएगी तो ये मामला अपने आप सुलझ जाएगा.
प्रवासी पाकिस्तानियों का गुस्सा शांत हो जाएगा. यूट्यूबर्स को भी रोज-रोज गालियां खानी पड़ेंगी. नवाब ट्यूबवेल" मानो राष्ट्रीय गठबंधन सरकार के गठन से देश के भीतर राजनीतिक तनाव तुरंत समाप्त हो जाएगा.
राजनीतिक तकनीशियनों से बनी गठबंधन राष्ट्रीय सरकार देश को एकजुट कर देगी. क्या राजनीतिक दल इस दलदल से बाहर निकलेंगे. अपने सर्वश्रेष्ठ लोगों को भेजेंगे? नये मंत्रिमंडल में उनका प्रदर्शन एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करने वाला होना चाहिए ताकि जो मंत्री अच्छा प्रदर्शन करेगा वह अपने राजनीतिक दल की प्रतिष्ठा बढ़ाएगा?
गठबंधन राष्ट्रीय सरकार को आपत्ति यह है कि जो लोग एक-दूसरे की बोलियाँ बोलते हैं, वे एक साथ बैठकर मंत्रिस्तरीय बैठक में निर्णय नहीं ले सकेंगे. यदि पार्टियाँ संयुक्त राष्ट्रीय सरकार का हिस्सा बन जाती हैं, तो इसके क्या कारण हैं आज न्यायपालिका और सत्ता में अटका हुआ मामला खत्म हो जाएगा.
यह एकमात्र समाधान है जिसमें किसी की हार नहीं है. हर कोई सरकार में हिस्सेदार होगा. इसलिए सिस्टम काम करेगा.संयुक्त राष्ट्रीय सरकार वास्तव में राजनीतिक समझ और सुलह का चरम बिंदु है.
दुर्भाग्य से शुरुआती बिंदु पर कोई सहमति नहीं थी. लेकिन शिखर बिंदु पर सहमति संभव है. दोधारी तलवार का कोई भी छोर ले लो . काट एक ही है. सुलह, बातचीत. सुलह तो एक ही बात है, वरना सरकार में ही साथ बैठें तो सबसे अच्छा है. आखिरी और सबसे अहम सवाल यह है कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधेगा?
( लेखक पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार हैं. लेख जंग से साभार )