ढाई चाल : कांग्रेस के हर मर्ज की दवा नहीं है भारत जोड़ो यात्रा

Story by  हरजिंदर साहनी | Published by  [email protected] | Date 13-11-2022
ढाई चाल  : कांग्रेस के हर मर्ज की दवा नहीं है भारत जोड़ो यात्रा
ढाई चाल : कांग्रेस के हर मर्ज की दवा नहीं है भारत जोड़ो यात्रा

 

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कभी वे किसी बूढ़ी औरत को गले लगा लेते हैं, तो कभी किसी बच्चे की उंगली पकड़ कर चलते दिखाई देते हैं. हालांकि अखबारों और टेलीविजन चैनलों में भले ही उन्हें ज्यादा जगह न मिलती हो, लेकिन राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा सोशल मीडिया पर छाई हुई है.

पिछले दिनों एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी चर्चित हुआ था जिसमें इस यात्रा के दौरान दक्षिण भारत में राहुल गांधी बारिश में भीगते हुए भाषण दे रहे हैं और लोग भी भीगते हुए उन्हें सुन रहे हैं, बिना किसी भागने और बारिश से बचने की बैचेनी के.
 
बेशक ये तस्वीरें दिल को लुभाती हैं, लेकिन क्या इनसे कोई बड़ी उम्मीद बांधी जाए ? राहुल गांधी आखिर में एक राजनेता ही हैं .अभी तक की यात्रा को देखकर कोई पक्के तौर पर नहीं कह सकता कि यह पैदल यात्रा किसी बड़ी राजनीतिक उपलब्धि की ओर बढ़ रही है.
 
यहां एक बात और ध्यान रखने की जरूरत है कि राहुल गांधी की इस यात्रा का कार्यक्रम तैयार करते समय इसे चुनावी राजनीति से दूर रखा गया. यहां तक कि वे उन राज्यों में भी नहीं जा रहे जहंा चुनाव होने वाले हैं.
 
हमारे देश में राजनीतिक उपलब्धि का अर्थ होता है चुनाव नतीजों पर असर डालना, जिसके लिए भारत जोड़ो यात्रा का खाका तैयार ही नहीं किया गया.लेकिन इससे अलग होकर देखें तो इस यात्रा ने चुपचाप एक काम तो कर ही दिया है.
 
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राहुल की इस पैदल चाल ने उनके विरोधियों के मुंह बंद कर दिए हैं. अब कोई उन्हें पप्पू नहीं कह रहा. अब उन्हें अगंभीर नहीं माना जा रहा. वे कईं सप्ताह से लगातार चल रहे हैं और अगले कुछ महीनों तक चलते रहेंगें, इसलिए यह भी नहीं कहा जा सकता कि वे हर कुछ समय बाद विदेश भाग जाते हैं.
 
उन्होंने एक झटके में पिछली सारी तोहमतें झाड़ दी हैं.मार्केटिंग की भाषा में कहें तो इस यात्रा ने राहुल गांधी की एक रीब्रैंडिग कर दी है. इस यात्रा ने राहुल की उस छवि केा बदल दिया है जिसे उनके विरोधियों ने काफी मेहनत से तैयार किया था.
 
अभी तक राहुल के विरोधी उनकी निजी आलोचना करके ही आधी बाजी जीत लेते थे. अब यह इतना आसान नहीं रह जाएगा. उन्हें राहुल से राजनीतिक लड़ाई लड़नी होगी.
 
वैसे कांग्रेस और राहुल गांधी की असली समस्या बाकी आधी लड़ाई ही है. पार्टी का संगठन पिछले कुछ साल में लगातार कमजोर हुआ है. बड़े स्तर के चंद नेताओं ने ही नहीं छोटे स्तर के ढेर सारे कार्यकर्ताओं ने भी इस दौर में पार्टी का दामन छोड़ दिया है. जिनके लिए राजनीति कैरियर है उन्हें कांग्रेस में अब कोई भविष्य नहीं दिखाई देता.

भारत जोड़ो की अभी तक की उपलब्धियां काफी महत्वपूर्ण हैं, आगे हो सकता है कि इससे भी बड़ी उपलब्धियां हाथ लगें. लेकिन पार्टी जिन तकलीफों और मुश्किलों से गुजर रही है, उस सबका इलाज इस एक दवा में नहीं है. कोई भी यात्रा सगंठन को खड़ा करने और उसे हर स्तर पर मजबूत बनाने का विकल्प नहीं हो सकती.
 
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भारत यात्रा माहौल बनाने का एक बहुत बड़ा काम कर सकती है, लेकिन इस माहौल को वोटों में बदलने के लिए जो इन्फ्रास्ट्रचर और जो मेहनत चाहिए, अगर उसके लिए अभी से कोशिश न हुई तो राहुल गांधी की छवि भले ही कुछ निखर जाए, लेकिन पार्टी वहीं पर खड़ी मिलेगी जहां वह भारत जोड़ो यात्रा से पहले खड़ी थी. 
 
( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं )