ढाई - चाल : निर्माण जो धन्नीपुर में हो रहा है

Story by  हरजिंदर साहनी | Published by  [email protected] | Date 12-03-2023
देस-परदेश : निर्माण जो धन्नीपुर में हो रहा है
देस-परदेश : निर्माण जो धन्नीपुर में हो रहा है

 

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अयोध्या में राम मंदिर का निर्मााण कार्य आधे से ज्यादा पूरा हो चुका है. उम्मीद है कि अगले साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन वहां राम लला की प्राण प्रतिष्ठा भी हो जाएगी. लेकिन उस मंदिर से 36 किलोमीटर दूर धन्नीपुर नाम के गांव में जो नींव रखी जा रही है, वह भारतीय समाज के एक बहुत बड़े बदलाव का नैरेटिव रच सकती है.

सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को जब अयोध्या भूमि विवाद पर फैसला दिया था तो मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या में एक वैकल्पिक जमीन देने की बात भी कही थी. शुरू में सुन्नी वक्फ बोर्ड और मुकादमें में उसके पक्ष के लोग इस फैसले से काफी असंतुष्ट थे.
 
यहां तक कि लंबे समय से बोर्ड का केस लड़ रहे वकील राजीव धवन के बारे में भी कुछ कड़वी बाते कह दी गईं . ऐसे बयान भी सामने आए कि वैकल्पिक जमीन नहीं स्वीकार की जाएगी. लेकिन ये सब शुरुआती प्रतिक्रियाएं थीं जो जल्द ही ठंडी पड़ गईं और समझदारी का दौर शुरू हो गया.
 
dhanipur
 
धन्नीपुर ही वह जगह है जहां यह जमीन दी गई है. सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इस निर्माण के लिए एक ट्रस्ट का गठन किया जिसे नाम दिया गया- इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन. फाउंडेशन ने इसका जो नक्शा तैयार किया है उसके हिसाब से वहां एक 200 बिस्तरों के अस्पताल बनेगा,
 
एक लाईब्रेरी होगी, एक रिसर्च सेंटर होगा, जरूरतमंद लोगों के लिए लंगर का इंतजाम होगा और मस्जिद तो खैर होगी ही. पूरी परियोजना का जो माडल तैयार किया गया है वह काफी भव्य है और चंद रोज पहले ही अयोध्या विकास प्राधिकरण ने इस नक्शे को पास भी कर दिया है.
 
dhanipur
 
इस निर्माण के लिए जो जगह मिली है वह बाबरी मस्जिद की विवादित जमीन से काफी बड़ी है, इसीलिए उस जगह पर इतनी सारी चीजें बनाना संभव हुआ है. एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि जो नक्शा बनाया गया है उसमें पूरे परिसर को आधुनिक रूप दिया गया है. कहीं भी यह कोशिश नहीं की गई कि उसमें पुरानी बाबरी मस्जिद की झलक दिखाई दे,
 
वैसे इस परियोजना का शिलान्यास 26 जनवरी 2021 को  कर दिया गया था. शिलान्यास के लिए जो तारीख चुनी गई थी वह भी बताती है कि कोशिश इस नए परिसर को राष्ट्रीय चेतना से जोड़ने की है. आजकल इस परियोजना के लिए देश भर में चंदा जमा करने का काम हो रहा है.
 
dhanipur masjid
 
इस बारे में फाउंडेशन के सेक्रेटरी अतहर हुसैन एक दिलचस्प बात बताते हैं. उनका कहना है कि जब इसके लिए चंदा जमा करने का काम शुरू हुआ तो चंदा देने वाले ज्यादातर लोग गैर मुसलमान थे. अब सभी मजहब के लोग इसके लिए चंदा दे रहे हैं.
 
अयोध्या के राम मंदिर का जो महत्व था वह अपनी जगह रहेगा, लेकिन धन्नीपुर में जो निर्माण हो रहा है वह सिर्फ उम्मीद ही नहीं बंधाता बल्कि भारत के मुस्लिम समाज के बारे में बहुत कुछ कहता है. पिछले कुछ दशक में जो कुछ भी गड़बड़ हुआ या आज भी जो कुछ हो रहा है उस सबको दरकिनार करके नया भविष्य रचने की कोशिश स्वागतयोग्य है.