सावन में क्यों झूला झूलना शुभ माना जाता है ?

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 13-07-2025
Why is swinging considered auspicious in the month of Saavan?
Why is swinging considered auspicious in the month of Saavan?

 

ओनिका माहेश्वरी

जब बादलों की गड़गड़ाहट के बीच धरती हरियाली की चादर ओढ़ लेती है, तब सावन का महीना दस्तक देता है। यह सिर्फ ऋतु परिवर्तन का संकेत नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति में उत्सवों, भक्ति और प्रेम का प्रतीक है। सावन का महीना जहां भगवान शिव की आराधना के लिए प्रसिद्ध है, वहीं इस पावन महीने में झूला झूलना भी बेहद शुभ और आनंददायक परंपरा मानी जाती है। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि झूला झूलना सावन में ही इतना महत्वपूर्ण क्यों होता है?

प्रकृति से जुड़ने का माध्यम

सावन के महीने में चारों ओर हरियाली, ठंडी हवाएं, कोयल की कूक और मनभावन वर्षा वातावरण को रूमानी बना देती हैं। इसी मौसम में महिलाएं आम के पेड़ों या पीपल के झूलों पर बैठकर गीत गाती हैं, लोकगीतों की तान छेड़ती हैं। झूला झूलना मानो प्रकृति की गोद में विश्राम करने जैसा अनुभव है। यह प्रकृति और मानव के बीच के संबंध को और भी मजबूत करता है।

स्त्रियों के लिए सामाजिक और मानसिक आनंद का माध्यम

पुराने समय में जब स्त्रियों की स्वतंत्रता सीमित थी, तब सावन का झूला उनके लिए खुली हवा में समय बिताने, एक-दूसरे से मिलने और अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का एक सुंदर अवसर था। इस दौरान महिलाएं समूह में इकट्ठा होकर झूला झूलतीं, कजरी और सोहर जैसे लोकगीत गातीं और त्योहारों की तैयारी करतीं।

पौराणिक मान्यता से जुड़ा है झूला

हिंदू धर्म में एक मान्यता है कि सावन के महीने में माता पार्वती अपने मायके आती हैं। उनकी इस 'मायके वाली' भावना को ध्यान में रखते हुए स्त्रियाँ भी ससुराल से मायके आती हैं और झूला झूलकर, गीत गाकर पार्वती जी के साथ अपनी भावनात्मक निकटता प्रकट करती हैं। यह एक सांस्कृतिक संदेश है कि हर नारी को उसका स्पेस, अपनापन और विश्राम मिलना चाहिए।

प्रेम और राधा-कृष्ण की याद

ब्रज क्षेत्र में सावन झूला और रासलीला का विशेष महत्व है। कहते हैं कि सावन की फुहारों में राधा और कृष्ण झूला झूलते थे, प्रेम गीतों का आदान-प्रदान होता था। आज भी मथुरा-वृंदावन में सावन झूले के विशेष आयोजन होते हैं जो उस दिव्य प्रेम की झलक दिखाते हैं।

धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण

झूला झूलना केवल आनंद नहीं, बल्कि संतुलन और लयबद्ध जीवन का प्रतीक है। जैसे झूला ऊपर-नीचे, आगे-पीछे जाता है, वैसे ही जीवन में सुख-दुख आते रहते हैं। झूले की गति हमें यह सिखाती है कि हर परिस्थिति में संतुलन बनाए रखना ही सच्चा ध्यान है।