बांग्लादेश : अपदस्थ पीएम शेख हसीना और पूर्व गृह मंत्री को मौत की सजा

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 17-11-2025
Bangladesh: Deposed PM Sheikh Hasina and former Home Minister sentenced to death
Bangladesh: Deposed PM Sheikh Hasina and former Home Minister sentenced to death

 

आवाज द वाॅयस/ बांग्लादेश

बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने जुलाई–अगस्त 2014 के जन-विद्रोह के दौरान हुए नरसंहार और मानवाधिकार उल्लंघनों के मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजिद और पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को मौत की सजा सुनाई है। इसी मामले में पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्लाह अल-मामून, जिन्होंने सरकारी गवाह के रूप में बयान देकर अभियोजन पक्ष का सहयोग किया, को पाँच वर्ष के कारावास की सजा दी गई है।

सोमवार को दोपहर 12:40 बजे ट्रिब्यूनल-1 के सदस्य न्यायाधीश मोहम्मद मोहितुल हक इनाम चौधरी ने 453 पन्नों के विस्तृत फैसले का पहला भाग पढ़ा और फिर लगभग दो घंटे दस मिनट की कार्यवाही के बाद दोपहर 2:50 बजे ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मोहम्मद गुलाम मुर्तुजा मजूमदार ने अंतिम फैसला सुनाया। तीन सदस्यीय पीठ में न्यायमूर्ति मोहम्मद शफीउल आलम महमूद भी शामिल थे।

अदालत ने औपचारिक आरोप-1 के तहत अबू सईद की हत्या, उकसावे तथा ड्रोन, हेलीकॉप्टर और घातक हथियारों के इस्तेमाल के आदेश देने के लिए शेख हसीना को आजीवन कारावास की सजा दी, जबकि औपचारिक आरोप-2 के तहत चंखरपुल में छह लोगों की हत्या और अशुलिया में छह शवों को जलाने के लिए उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई। इसी आरोप के आधार पर असदुज्जमां खान कमाल को भी मौत की सजा दी गई।

न्यायाधिकरण ने दोनों नेताओं की सभी संपत्तियाँ जब्त करने का आदेश भी दिया है। दूसरी ओर, मामून को अपराध में शामिल होने के बावजूद सच सामने लाने में भूमिका निभाने के कारण नरमी देते हुए पाँच साल की सजा दी गई।

कुल पाँच आरोपों में उकसाने, घातक हथियारों के इस्तेमाल, अबू सईद की हत्या, चंखरपुल में हत्याएँ और अशुलिया में शव जलाने के मामले शामिल थे। इस पूरे मामले की चार्जशीट 8,747 पन्नों की थी, जिसमें संदर्भ, दस्तावेजी साक्ष्य और शहीदों की लंबी सूची सम्मिलित थी।

कुल 84 गवाहों ने अदालत में बयान दिए और 28 कार्यदिवसों में सुनवाई पूरी हुई। अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलें 9 कार्यदिवसों तक चलीं। फैसला सुनाए जाने के मद्देनज़र ट्रिब्यूनल क्षेत्र में अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था की गई और पुलिस, RAB, APBN, BGB तथा सेना को तैनात किया गया।

रविवार रात से ही दोएल छत्तर से शिक्षा भवन तक आवाजाही प्रतिबंधित कर दी गई थी। फैसले के समय शेख हसीना और कमाल दोनों फरार थे, जबकि मामून को कड़ी सुरक्षा के बीच जेल से लाकर ट्रिब्यूनल में पेश किया गया। यह फैसला बांग्लादेश के इतिहास में मानवता के विरुद्ध अपराधों पर सुनाया गया सबसे महत्वपूर्ण निर्णय माना जा रहा है, जिसने देश की राजनीति और सुरक्षा व्यवस्था में नई हलचल पैदा कर दी है।