भारतीय विदेश नीति में आक्रामकता जरूरी!

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 31-01-2023
भारतीय विदेश नीति में आक्रामकता जरूरी!
भारतीय विदेश नीति में आक्रामकता जरूरी!

 

anilडॉ. अनिल कुमार निगम

विदेशों में खालिस्‍तान समर्थित समूहों की बढ़ती गतिविधियां भारत की एकता, अखंडता और शांति व्‍यवस्‍था के लिए संकट बनती जा रही हैं. अमेरिका और ब्रिटेन के बाद कनाडा और ऑस्‍ट्रेलिया में पाकिस्‍तान समर्थित खालिस्‍तान समूहों के द्वारा भारत के खिलाफ षड़यंत्र तेज हो गया है. ऑस्‍ट्रेलिया में जिस तरीके से खालिस्‍तान समर्थकों ने भारतीयों पर हमला किया और राष्‍ट्रीय ध्‍वज का अपमान किया, वह हर भारतीय की आन, बान और शान पर न केवल हमला है, यह भारत की अस्मिता पर आघात है.

हालांकि दिल्ली में सिख फॉर जस्टिस रेफरेंडम 2020 और खालिस्तान के देश विरोधी स्लोगन लगाने के मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने देश विरोधी गतिविधियों में शामिल कुछ संदिग्धों की पहचान की है, लेकिन सुरसा की मुंह की तरह बढ़ रही इस समस्‍या के प्रति केंद्र सरकार को अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर अधिक गंभीर और आक्रामक होने की आवश्‍यकता है.
 
विदित है कि ऑस्ट्रेलिया में खालिस्तानी समर्थकों का उत्‍पात लगातार बढ़ता जा रहा है. खालिस्तान समर्थक समूहों द्वारा ऑस्ट्रेलिया के मेलबोर्न में राष्ट्रीय ध्वज लेकर जा रहे भारतीयों पर हमला करने का एक वीडियो सामने आया है.
 
खालिस्तानी समर्थक अपना खुद का झंडा हाथ में लिए हैं. वे राष्‍ट्रीय ध्‍वज लिए लोगों पर हमला कर देते हैं और भारत के राष्‍ट्रीय ध्‍वज का अपमान भी करते हैं. मौके पर ऑस्ट्रेलिया की पुलिस भी खड़ी है. वह उत्‍पात मचाते लोगों को शांत कराने की कोशिश कर रही है. इस हमले में पांच लोग घायल हुए. एक युवक को अस्पताल में भर्ती कराया गया. 
 
पहले भी ऑस्ट्रेलिया में खालिस्तानी समर्थकों का उत्‍पात देखने को मिला है. ऑस्ट्रेलिया में एक पखवाड़े के अंदर तीन बार हिंदू मंदिरों पर हमला हुआ. खालिस्तानियों ने तीन मंदिरों को निशाना बनाकर तोड़-फोड़ की थी और उनकी दीवारों पर भारत विरोधी नारे लिखे थे.
 
उन्होंने खालिस्तान के समर्थन में उत्तेजक चीजें भी दीवारों पर लिखी थीं. यह घटना भारत के लिए तो चिंताजनक है ही, आस्ट्रेलिया की सरकार के लिए भी एक चुनौती है जिसने कुछ दिन पहले खालिस्तानी तत्वों को काबू करने को लेकर एक अहम सुरक्षा बैठक की थी.
 
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ऑस्ट्रेलिया में काफी समय से खालिस्तानियों की गतिविधियों को समर्थन मिल रहा है. सोशल मीडिया पर उनकी असामाजिक गतिविधियां जोरों पर चल रही हैं. एएनआई की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि विवादित पोस्टर सोशल मीडिया पर धड़ल्‍ले से प्रसारित हो रहे हैं.
 
इस तरह के पोस्टर पर सतवंत सिंह और केहर सिंह की तस्‍वीरें लगी हैं. सतवंत सिंह वही सुरक्षा कर्मी था जिसने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की थी. जबकि केहर सिंह को उनकी हत्या की साजिश के आरोप में फांसी की सजा दी गई थी.
 
कनाडा में भी भारत विरोधी गतिविधियां काफी बढ़ गई हैं. भारतीय विदेश मंत्रालय और कनाडा में भारतीय उच्‍चायोग ने इन घटनाओं को कनाडा प्रशासन के सामने उठाया और उनसे इन अपराधों में उचित कार्रवाई की मांग की है.
 
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हालांकि भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्‍त अपराधियोंको अब तक समुचित सजा नहीं मिली है. यही कारण है कि विदेश मंत्रालय ने भारतीयों के लिए एक एडवाइजरी भी जारी की . इसमें कनाडा में रहने वाले भारतीयों को वहां बढ़ रही सांप्रदायिक हिंसा और भारत विरोधी गतिविधियों के लिए चेताया गया.

यही नहीं, अमेरिका में पाकिस्तान समर्थित खालिस्तानी अलगाववादी समूहों द्वारा भारत विरोधी गतिविधियां चल रही हैं जिस पर भारत ने भी चिंता व्यक्त की है.भारत के हिंदू नेताओं और बड़े राजनेताओं की टारगेट किलिंग की साजिश की खबरें भी आई  हैं.
 
खुफिया एजेंसियों के अनुसार इस तरह की साजिश में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ है. आईएसआई ने खालिस्तानी आतंकियों और पंजाब से फरार होकर विदेश में बैठे अपराधी तत्‍वों के जरिए पंजाब में हिंदू नेताओं को मारने की साजिश रची है.
 
वास्‍तविकता यह है कि लगभग एक साल से खालिस्तान आंदोलन फिर से चर्चा में आ गया है. पंजाब ने आतंकवाद का अत्‍यंत डरावना और काला दौर देखा है. वर्ष 1980 और 90 के दशक में पंजाब का प्रशासन और आम जनजीवन बुरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया था.
 
सुबह घर से निकला व्यक्ति शाम को घर वापस आएगा भी, इसकी कोई गारंटी नहीं होती थी. पंजाब केसरी अखबार के संपादक लाला जगत नारायण और उनके पुत्र रमेश समेत हजारों लोगों की हत्या कर दी गई थी. सरकार बहुत ही मशक्‍कत के बाद पंजाब को आतंकवाद से मुक्‍त करा सकी थी.
 
दिल्ली में सिख फॉर जस्टिस रेफरेंडम 2020 और खालिस्तान के समर्थनमें नारे लगाने के मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने देश विरोधी गतिविधियों में शामिल कुछ संदिग्धों की पहचान की है. सुरक्षा एजेंसियों को इस बात की आशंका है कि दिल्ली से जिन संदिग्धों की पहचान हुई है वे सभी स्लीपर सेल हो सकते हैं.
 
इसी वर्ष जनवरी महीने में दिल्ली के जनकपुरी, तिलक नगर, पश्चिम विहार समेत 12 स्‍थानों पर खालिस्तान के समर्थन में दीवारों पर लगाए पोस्टर विदेशी साजिश का हिस्सा हैं. पोस्‍टर लगाने के  मामले में दिल्ली पुलिस ने हाल में एफआईआर दर्ज की थी और कुछ लोगों को हिरासत में लिया.
 
पुलिस की जांच में पता चला है कि विदेश में बैठे गुरपंत सिंह पन्नू के इशारे पर दिल्ली में खालिस्तान की एंट्री हुई थी. सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक दोनों को देश की राजधानी दिल्ली में देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए फंडिंग की गई थी. वर्ष 2020-21 किसान आंदोलन के दौरान खालिस्‍तान समर्थक समूहों द्वारा विदेशी फंडिंग की बात पहले ही साबित हो चुकी है.
 
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पिछले एक वर्ष में खालिस्‍तान को समर्थन देने के मामले में विदेश की धरती पर जिस तरीके से साजिश रची जा रही है, वह अत्‍यंत गंभीर मामला है. हालांकि भारत सरकार इसको लेकर आस्‍ट्रेलिया और कनाडा वार्ता कर रही है, पर सरकार को इस मुद्दे को लेकर अधिक आक्रामक होने की आवश्‍यकता है.

G-20 के माध्‍यम और अमेरिका सहित यूरोपीय देशों के समक्ष पाकिस्‍तान को और अधिक एक्‍पोज करने की आवश्‍यकता है. भारत कनाडा और आस्‍ट्रेलिया सहित अन्‍य देशों के साथ ऐसे समझौता करे कि वे अपनी धरती का इस्‍तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए किसी भी कीमत पर न होने दें.
 
इसके अलावा भारत सरकार पंजाब सहित देश के युवाओं को अधिक से अधिक जागरूक करे कि वे देश की मुख्‍य धारा के साथ चलें और दिग्‍भ्रमित होने से बचें। इसी में उनका और देश हित निहित है.
 
(लेखक स्‍वतंत्र टिप्‍पणीकार हैं।)