पटना
पटना के होटल ताज में कवि-राजनयिक और भारत के पूर्व राजदूत (मेडागास्कर एवं कैमरून) तथा वर्तमान में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) के उपमहानिदेशक अभय के की बहुचर्चित पुस्तक ‘नालंदा: हाउ इट चेंज्ड द वर्ल्ड’ पर एक ज्ञानवर्धक पुस्तक चर्चा आयोजित की गई।
इस चर्चा का संचालन संजीव सिंह ने किया। कार्यक्रम में शिक्षाविदों, लेखकों, राजनयिकों, नागरिक समाज के प्रतिनिधियों और नई पीढ़ी के युवाओं ने भाग लिया। सभी ने नालंदा की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सभ्यतागत धरोहर पर गंभीर विमर्श किया।
अभय के ने अपने प्रस्तुतीकरण में नालंदा विश्वविद्यालय की विश्व-स्तरीय भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि यह केवल एशिया ही नहीं, बल्कि दुनिया का पहला अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय था, जहाँ ज्ञान सीमाओं को लांघकर स्वतंत्र रूप से प्रवाहित होता था और जिसने वैश्विक चिंतन को नई दिशा दी। उन्होंने यह भी कहा कि नालंदा की विरासत – उदारता, विविधता और बौद्धिक जिज्ञासा – आज के संघर्षग्रस्त विश्व के लिए पहले से भी अधिक प्रासंगिक है।
चर्चा के दौरान इस बात पर भी प्रकाश डाला गया कि मध्यकालीन काल, औपनिवेशिक शासन और स्वतंत्रता के बाद भी बिहार व भारत ने कई ऐतिहासिक झटके सहे, जिनके कारण स्थानीय समुदायों को लंबे समय तक अवसरों से वंचित रहना पड़ा। ऐसे परिप्रेक्ष्य में अभय के की पुस्तक को प्रतिभागियों ने एक प्रेरणादायी प्रकाशस्तंभ बताया, जो बिहारवासियों में अपनी सभ्यतागत उपलब्धियों के प्रति गर्व और आत्मविश्वास जगाने का कार्य करेगी।
श्रोताओं ने अभय के की विद्वत्ता के साथ-साथ उनकी सहज भाषा शैली की भी सराहना की। उनका वक्तव्य युवाओं के लिए विशेष रूप से प्रेरणादायक रहा, जिसमें उन्होंने कहा कि “बिहार विश्व-परिवर्तनकारी विचारों की प्रयोगशाला रहा है।”
कार्यक्रम के अंत में यह सामूहिक आशा प्रकट की गई कि ऐसे बौद्धिक आयोजन केवल पटना ही नहीं, बल्कि बिहार के अन्य शहरों और कस्बों में भी नियमित रूप से आयोजित हों। इससे नई पीढ़ी को बिहार की विश्व सभ्यता में निभाई गई गौरवशाली भूमिका से अवगत कराने और भविष्य को संवारने का आत्मविश्वास मिलेगा।
होटल ताज, पटना में आयोजित यह पुस्तक चर्चा एक आह्वान के रूप में उभरी – बिहार को संवाद, शोध और सामूहिक प्रयासों के माध्यम से पुनः वैश्विक बौद्धिक मानचित्र पर उसका ‘योग्य स्थान’ दिलाने का।