मोहसिन खान की किताब अल्लाह मियां का कारखाना को मिला बैंक ऑफ बड़ौदा का राष्ट्रभाषा सम्मान, सईद अहमद हैं अनुवादक

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 12-06-2023
अल्लाह मियां का कारखाना को बैंक ऑफ बड़ौदा का राष्ट्रभाषा सम्मान
अल्लाह मियां का कारखाना को बैंक ऑफ बड़ौदा का राष्ट्रभाषा सम्मान

 

मंजीत ठाकुर/ नई दिल्ली

हिंदी में अनुवाद के क्षेत्र में सबसे बड़े पुरस्कार की घोषणा हो गई है. रविवार को बैंक ऑफ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान के विजेता के रूप में मोहसिन खान की किताब अल्लाह मियां का कारखाना के इसी नाम के हिंदी अनुवाद को यह पुरस्कार दिया गया. इस उर्दू उपन्यास का अनुवाद सईद अहमद ने किया है.

पहले बैंक ऑफ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान में मोहसिन ख़ान को उनके उर्दू उपन्यास ‘अल्लाह मियाँ का कारख़ाना’ के लिए 21 लाख रुपए, जबकि अनुवादक सईद अहमद को 15 लाख रुपए की राशि मिलेगी.

गौरतलब है कि भारत के अग्रणी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में से एक बैंक ऑफ बड़ौदा ने ‘बैंक ऑफ़ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान’ 2023के प्रथम संस्करण के लिए 12उपन्यासों की लॉन्गलिस्ट की घोषणा की थी.

इस अवॉर्ड की शुरुआत विभिन्न भारतीय भाषाओं के साहित्यिक लेखन को सम्मानित और उसको प्रोत्साहित करने के लिए की गई है. इसका मकसद हिंदी पाठकों को अनुवाद के जरिए श्रेष्ठ भारतीय साहित्य उपलब्ध कराना है ताकि पाठकों की रुचि का विस्तार हो सके और उपन्यासों को एक बड़े पाठक वर्ग तक पहुंचाया जा सके.

‘बैंक ऑफ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान’ मूल कृति के लेखक के साथ-साथ उसके हिंदी अनुवादक को भी प्रदान किया जाएगा. विजेता कृति के मूल लेखक को 21लाख रुपये और उसके हिंदी अनुवादक को 15लाख रुपये की सम्मान राशि की घोषणा बैंक ने की है. मुख्य पुरस्कार के अलावा अन्य 5चयनित श्रेष्‍ठ कृतियों को भी सम्मानित किया जाएगा.

इसमें मूल लेखकों को 3लाख रुपये और उनके हिंदी अनुवादकों को दो लाख रुपये की सम्मान राशि प्रदान की जाएगी.

पुरस्कार के लिए गठित ज्यूरी की अध्यक्ष मशहूर लेखि‍का और बुकर पुरस्कार विजेता गीतांजलि श्री कर रही थीं. ज्यूरी के अन्य चार सदस्यों में प्रसिद्ध कवि अरुण कमल, शिक्षाविद और इतिहासकार पुष्पेश पंत, कवयित्री और उपन्यासकार अनामिका और हिंदी लेखक और अनुवादक प्रभात रंजन शामिल हैं.

बैंक ने इस वर्ष मार्च-अप्रैल के दौरान प्रविष्टियां आमंत्रित करने की प्रक्रिया शुरू की थी.

बैंक ऑफ बड़ौदा सम्मान की लॉन्गलिस्ट में शामिल 12 उपन्यास

लॉन्‍गलिस्‍ट में उड़िया लेखक पारमिता शतपथी का उपन्यास ‘अभिप्रेत काल’ (हिंदी अनुवादक अजय कुमार पटनायक), उर्दू लेखक मोहसिन खान का ‘अल्लाह मियां का कारखाना’ (अनुवादक सईद अहमद), पंजाबी लेखक रूप सिंह का ‘बाकी सफ़ा 5ते’ (अनुवादक सुभाष नीरव), उर्दू लेखक सिद्दीक आलम का चीनी कोठी (अनुवादक अर्जुमंद आरा), उर्दू लेखक खालिद जावेद का उपन्यास ‘एक खंजर पानी में’ (अनुवादक रिजवानुल हक), खालिद जावेद का ही अन्य उपन्यास ‘नेमत खाना’ (अनुवादक जमान तारिक), नेपाली लेखक छुदेन काविमो का उपन्यास ‘फात्सुंग’ (अनुवादक नम्रता चतुर्वेदी), बंगाली लेखक मनोरंजन ब्यापारी का उपन्यास ‘घर पलानो छेले’ (अनुवादक अमृता बेरा), बंगाली लेखक अनिता अग्निहोत्री का उपन्यास ‘महानदी’ (अनुवादक लिपिका साहा), मराठी लेखक मनोज बोरगावकर का ‘नदीष्ट’ (अनुवादक गोरख थोरात), तमिल लेखक वासंती का ‘पोईमुगम’ (अनुवादक एस. भाग्यम शर्मा) और तमिल लेखक वासंती का ही ‘थिरक्काथा जन्नालकल’ (अनुवादक एस. भाग्यम शर्मा) शामिल थे.

इस सम्मान के बारे में 'चीनी कोठी' उपन्यास की अनुवादक अर्जुमंद आरा ने कहा कि यह एक अच्छी शुरुआत है जो आगे चलकर एक अहम अवार्ड बनने वाला है. 'नेमत खाना' उपन्यास के लेखक खालिद जावेद कहते हैं कि इस सम्मान में भारतीयता की झलक है. ‘अभिप्रेत काल’ उपन्यास के अनुवादक अजय कुमार पटनायक के मुताबिक यह पूरी तरह भारत का स्वर, भारत की आत्मा एक है जिसे अलग-अलग प्रांतीय भाषाओं में अभिव्यक्त किया जाता है उसे अनुवाद से जोड़ा जाना सराहनीय है.

‘घर पालानो छेले’ उपन्यास के लेखक मनोरंजन ब्यापारी के अनुसार ‘बैंक ऑफ़ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान’ इसलिए अलग है कि यह अनूदित पुस्तक के लिए दिया जा रहा है. इससे पाठकों को दूसरी भाषा के साहित्य का आस्वाद लेने में मदद मिलेगी. जूरी के सदस्य प्रभात रंजन के अनुसार,“बैंक ऑफ़ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान देश की बहुभाषिकता को महत्त्व देने वाला अपनी तरह का अनूठा सम्मान है.”जबकि ‘नेमतखाना’ उपन्यास के अनुवादक जामन तारिक कहते हैं कि अनुवाद से दोनों जबानें समृद्ध होती हैं.