कल आज और कल: इंडियन टीम में मुस्लिम क्रिकेटर

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 29-08-2022
 भारत टीम में मुस्लिम क्रिकेटर
भारत टीम में मुस्लिम क्रिकेटर

 

मलिक असगर हाशमी

एशिय कप 2022 के अपने पहले मैच में पाकिस्तान को पीटने वाली भारतीय टीम में एक मुसलमान खिलाड़ी भी शामिल था. समी अहमद सहित क्रिकेट के विभिन्न प्रारूपों में अभी भारत की तरफ से कई मुस्लिम खिालड़ी न केवल खेल रहे हैं, बहुत अच्छा कर रहे हैं. मगर यह कोई नई बात नहीं. आजादी से पहले और बाद में मुसलमानों का भारतीय क्रिकेट टीम में दबदबा रहा है. नवाब पटौदी और अजहद्दीन सरीखे कई खिलाड़ी भारतीय टीम के कप्तान भी रहे हैं.

भारतीय मुसलमानों ने जीवन के हर क्षेत्र में अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास किया है और गौरवशाली भारत को आकार देने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है. हर खेल में मुस्लिम खिलाड़ियों ने देश के लिए तमगे जीते हैं. अभी बॉक्सिंग में निकहत जरीन बर्मिंघम और इससे पहले विश्व मुक्केबाजी में गोल्ड लाने में सफल रही हैं.
 
मुस्लिम खिलाड़ी मौका मिलते ही अच्छा प्रदर्शन करने से कभी पीछे नहीं रहते. यहां तक कि भारत के लिए ट्र्राफियां और टूर्नामेंट जीतने में अपना भरपूर योगदान दिया है. हॉकी में मोहम्मद शाहिद और जफर इकबाल को कोई भला कैसे भूल सकता है.
 
जहां तक रही बात क्रिकेट में मुस्लिमों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करने की, तो मौके जरूर कम मिले, पर टीम में मुस्लिम खिलाड़ियों का शायद की कभी अकाल रहा हो. भारतीय टीम के लिए मोहम्मद अजहरुद्दीन सबसे सफल क्रिकेटर रहे हैं.
 
वह भारत के अब तक के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक हैं. 8 फरवरी, 1963 को हैदराबाद में जन्मे अजहर ने 1984-85 श्रृंखला में इंग्लैंड के खिलाफ कलकत्ता में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया और 110 रन बनाए. ऐसा करने वाले केवल आठवें भारतीय बने.
 
इस पारी के बाद मद्रास में 105 और कानपुर में 122 रन बनाए. वह लगातार तीन टेस्ट में शतक बनाने वाले एकमात्र खिलाड़ी हैं. वह एक दिन के खेल के एक सत्र में शतक बनाने वाले एकमात्र भारतीय हैं, वह 1990 में इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट के तीसरे दिन लंच और चाय के बीच 59 से 162 तक चले गए.

उनका उच्चतम टेस्ट स्कोर 199 है. यह स्कोर 1986-87 में कानपुर में श्रीलंका के खिलाफ किया था. वह सबसे सफल भारतीय कप्तान रहे हैं. उनकी कप्तानी में भारत ने कई सीरीज जीती.
 
अजहर वनडे क्रिकेट में भी काफी सफल रहे. वह 9000 से ज्यादा रन बनाने वाले दुनिया के क्रिकेटरों में शुमार हैं. उनके पास एक दिवसीय क्रिकेट में सबसे अधिक प्रदर्शन, सबसे अधिक कैच और सबसे अधिकअर्धशतक का रिकॉर्ड है.
 
भारत ने अजहर की कप्तानी में अधिकांश एक दिवसीय टूर्नामेंट जीते हैं. यदि विवादों में नहीं फंसते तो शायद उनके खेल और रिकॉर्ड में और ज्यादा इजाफा होता. यहां तक कि क्रिकेट बोर्ड में भी अहम भूमिका में होते.
 
मोहम्मद निसार उन क्रिकेटरों में शामिल हैं जिन्होंने 1932 में इंग्लैंड के खिलाफ अपने पहले टेस्ट में भारत का प्रतिनिधित्व किया था. माना जाता है कि वह सबसे तेज भारतीय गेंदबाज थे. 8 जनवरी 1910 को होशियारपुर में जन्मे, मोहम्मद निसार ने भारत के लिए टेस्ट में पहली गेंद फेंकने का रिकॉर्ड बनाया है, जिसमें सबसे पहले विकेट लेने और एक पारी में पांच विकेट लेने का रिकॉर्ड है.
 
कुल मिलाकर उन्होंने छह टेस्ट खेले और पांच विकेट के तीन हॉल सहित 25 विकेट लिए, जिसमें उनका सर्वश्रेष्ठ 90 रन देकर 5 विकेट था. उन्होंने अपने सभी छह टेस्ट इंग्लैंड के खिलाफ खेले. 11 मार्च 1963 को उनका निधन हो गया.
 
सैयद नजीर अली और सैयद वजीर अली भाई थे. दोनों ने 1932 में भारत के पहले टेस्ट में खेला. 8 जून, 1906 को जालंधर में जन्मे नजीर अली ने केवल दो टेस्ट खेले, 30 रन बनाए और 4 विकेट लिए. उनके भाई वजीर अली, जिनका जन्म 15 सितंबर 1903 को हुआ था, ने सात टेस्ट खेले. उन्होंने कुल मिलाकर 237 रन बनाए, जिसमें उनका सर्वश्रेष्ठ 42 रन था.
 
जहांगीर खान तेज गेंदबाज थे. उन्होंने 1932 में इंग्लैंड के खिलाफ भी खेला, जो भारत का पहला टेस्ट था. उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ चार टेस्ट और सभी खेले और 39 रन बनाए और 4 विकेट लिए.सैयद आबिद अली दाएं हाथ के मध्यम गति के गेंदबाज थे.
 
उन्होंने 1967 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ डेब्यू किया था. 9 अक्टूबर 1941 को जन्मे आबिद अली ने कुल 29 टेस्ट मैच खेले और 47 विकेट लिए. एक बल्लेबाज के रूप में उन्होंने अपने उच्चतम 81 रन के साथ 1018 रन बनाए. वह 1970-71 में वेस्टइंडीज पर भारत की पहली टेस्ट जीत में एक अभिन्न अंग थे. उन्होंने वनडे क्रिकेट मैच भी खेले. 5 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेले और 93 रन बनाए, जिसमें उनका सर्वश्रेष्ठ 70 शामिल है. उन्होंने वनडे क्रिकेट में 7 विकेट लिए थे.

सलीम दुर्रानी जनता की मांग पर छक्के मारने के लिए मशहूर थे. एक आक्रामक बल्लेबाज जो एक बेहतरीन स्पिनर भी थे, उनका जन्म 11 दिसंबर 1934 को काबुल में हुआ था. उन्होंने 1959 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ डेब्यू किया था. उन्होंने कुल 29 टेस्ट खेले, पोर्ट ऑफ स्पेन में वेस्टइंडीज के खिलाफ एक शतक (104) सहित 1202 रन बनाए. उन्होंने एक पारी में 5 या अधिक विकेट के तीन हॉल सहित 75 विकेट भी लिए.
 
दिलावर हुसैन एक विकेटकीपर-बल्लेबाज थे. उन्होंने 1933-34 में कलकत्ता में इंग्लैंड के खिलाफ पदार्पण किया. कुल मिलाकर उन्होंने तीन टेस्ट खेले, सभी इंग्लैंड के खिलाफ और 254 रन बनाए, जिसमें तीन अर्धशतक शामिल थे. उनका सर्वश्रेष्ठ 59 था. विभाजन के बाद वे पाकिस्तान चले गए जहां 28 अगस्त 1967 को उनका निधन हो गया.
 
जमशेद ईरानी विकेटकीपर थे. उन्होंने भारत के लिए केवल दो टेस्ट खेले और 7 बल्लेबाजों को आउट किया.अरशद अयूब एक अच्छे स्पिनर थे, लेकिन कुछ मौकों पर अपनी असफलता के कारण वह ज्यादा समय तक नहीं खेल सके.
 
उन्होंने 13 टेस्ट खेले, 257 रन बनाए और एक पारी में पांच विकेट के तीन हॉल सहित 41 विकेट लिए. 1987 में वेस्टइंडीज के खिलाफ पदार्पण करने के बाद उन्होंने 32 एकदिवसीय मैच खेले और 31 विकेट लिए.
 
फारुख इंजीनियर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपरों में से एक थे. 25 फरवरी 1938 को बॉम्बे में जन्मे उन्होंने 1961-62 में डेब्यू किया था. उन्होंने कुल 46 टेस्ट खेले, जिसमें 2 शतक और 16 अर्धशतक सहित 2611 रन बनाए. उन्होंने विकेट के पीछे 72 बल्लेबाजों को आउट किया. उन्होंने 5 एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच भी खेले और 114 रन बनाए, जिसमें उनका सर्वाधिक 54 रन था.
 
राशिद गुलाम मोहम्मद पटेल ने भारत के लिए केवल एक टेस्ट और एक वनडे मैच खेला.सैयद मुस्तफा हुसैन किरमानी भारत के सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपर थे. वह एक अच्छे बल्लेबाज भी थे. 29 दिसंबर 1949 को जन्मे, उनके पास एक भारतीय विकेट-कीपर द्वारा सबसे अधिक आउट होने का रिकॉर्ड है और एक विकेट-कीपर के रूप में भारत के लिए सबसे अधिक टेस्ट खेलने का रिकॉर्ड भी है.
 
उन्होंने 1975 में वेस्टइंडीज के खिलाफ डेब्यू किया था. कुल मिलाकर उन्होंने भारत के लिए 88 टेस्ट खेले, जिसमें दो शतक और 12 अर्धशतक सहित 2759 रन (किसी भी भारतीय विकेटकीपर द्वारा सर्वाधिक) बनाए. उन्होंने विकेट के पीछे 198 बल्लेबाजों को आउट किया. उन्होंने 49 एक दिवसीय मैच भी खेले, 373 रन बनाए और 36 खिलाड़ियों को विकेटकीपर के रूप में आउट किया.

सैयद मुश्ताक अली ने 1934 में इंग्लैंड के खिलाफ डेब्यू किया था. कुल मिलाकर उन्होंने 11 टेस्ट खेले, जिसमें 2 शतक और 3 अर्धशतक सहित 612 रन बनाए. उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 112 रन बनाए. उन्होंने 378 गेंदें फेंकी और 3 विकेट लिए.
 
आमिर इलाही, अब्दुल हफीज कारदार और गुल मोहम्मद भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए खेले. अमीर इलाही ने 1947 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ डेब्यू किया और 17 रन बनाए. फिर वह पाकिस्तान चले गए और 5 और टेस्ट खेले.
 
कारदार ने 1946 में इंग्लैंड के खिलाफ भारत के लिए पदार्पण किया था. उन्होंने भारत के लिए 3 टेस्ट खेले और 43 रन बनाकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया. विभाजन के बाद वे पाकिस्तान के पहले कप्तान बने. गुल मोहम्मद ने 1946 में इंग्लैंड के खिलाफ पदार्पण किया.
 
कुल मिलाकर उन्होंने भारत के लिए 8 टेस्ट खेले जिसमें पाकिस्तान के खिलाफ 5 टेस्ट शामिल हैं. पाकिस्तान प्रवास के बाद उन्होंने 1956 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पाकिस्तान के लिए एक टेस्ट खेला.इफ्तिखार अली खान पटौदी भारत की कप्तानी करने वाले पहले मुस्लिम क्रिकेटर थे.
 
उन्होंने भारत के लिए केवल तीन टेस्ट खेले और सभी में टीम का नेतृत्व किया. उन्हें इंग्लैंड के लिए खेलने का गौरव भी प्राप्त था. उन्होंने भारत के लिए 55 रन बनाए. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के लिए हॉकी खेलने वाले बेहतरीन खिलाड़ियों में से एक थे. उनका निधन 5 जनवरी 1952 को उनके बेटे मंसूर अली खान पटौदी के 11 वें जन्मदिन पर हुआ था.
 
मंसूर अली खान पटौदी, जिन्हें आमतौर पर जूनियर पटौदी के नाम से जाना जाता है, के नाम दुनिया के सबसे कम उम्र के कप्तान का रिकॉर्ड है. उन्होंने भारत के लिए 46 टेस्ट खेले और 2793 रन बनाए, जिसमें उनका सर्वोच्च स्कोर 203 (नाबाद) था.
 
उन्होंने 1961 में इंग्लैंड के खिलाफ पदार्पण किया. उन्हें एक कार दुर्घटना का सामना करना पड़ा जिसमें उन्होंने एक आंख खो दी और क्रिकेट खेलना बंद कर दिया. 1974 में उन्होंने क्रिकेट में वापसी की और टीम का नेतृत्व किया. उनकी कप्तानी में भारत ने 9 टेस्ट जीते.
 
अब्बास अली बेग ने 1959 में इंग्लैंड के खिलाफ पदार्पण किया और शतक (112) बनाया, इस तरह ऐसा करने वाले वे पहले मुस्लिम क्रिकेटर बने. उन्होंने भारत के लिए 10 टेस्ट खेले और एक शतक और दो अर्धशतक सहित सभी में 428 रन बनाए.
 
गुलाम अहमद पटौदी सीनियर के बाद तब भारत की कप्तानी करने वाले दूसरे मुस्लिम बने. वह भारत के पहले विश्व स्तरीय ऑफ स्पिनर थे. उन्होंने 1948-49 में वेस्ट इंडीज के खिलाफ कोलकाता में पदार्पण किया. कुल मिलाकर उन्होंने भारत के लिए 22 टेस्ट खेले, 68 विकेट लिए, जिसमें 49 के लिए सर्वश्रेष्ठ 7 विकेट शामिल थे। 28 अक्टूबर 1998 को हैदराबाद में उनका निधन हो गया.
 
गुलाम अहमद हसन ने भारत के लिए केवल एक टेस्ट खेला और क्रमशः 6 और 1 रन बनाए. बाकर जिलानी ने भी भारत के लिए केवल एक टेस्ट खेला और 22 रन बनाए. के.सी. इब्राहिम ने 4 टेस्ट खेले और 169 रन बनाए. उनका उच्चतम स्कोर 85 रन था.
 
सैयद सबा करीम एक विकेटकीपर-बल्लेबाज रहे हैं जो सीमित मैचों में खेले. उन्होंने बंगाल के लिए काफी अच्छी पारियां खेलीं. लेकिन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उन्हें सही समय पर मौका नहीं मिल सका. उत्तर प्रदेश के मोहम्मद कैफ और महाराष्ट्र के वसीम जाफर भी भारत के लिए खेले.
 
दोनों काफी अच्छे बल्लेबाज हैं, लेकिन वे कुछ खास नहीं कर सके. इसलिए वे टीम से जल्द बाहर कर दिए गए. कैफ पूर्व रेलवे क्रिकेटर मोहम्मद तारीफ के बेटे हैं. वह तब सुर्खियों में आए जब 1996 के लिए इंडिया अंडर -15 टीम के उप-कप्तान के रूप में, इंग्लैंड में लोम्बार्ड चैलेज कप में उन्होंने 90 से अधिक रन बनाए और उन्हें चैंपियनशिप का सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज चुना गया.
 
भारतीय टीम में जहीर खान भी रहे और बहुत अच्छा किया. उनकी अच्छी गेंदबाजी के सभी कायल रहे. मुंबई के रहने वाले जहीर को प्रथम श्रेणी घरेलू क्रिकेट में ब्रेक लेने के लिए बड़ौदा जाना पड़ा था. वह भरोसेमंद खिलाड़ी माने जाते थे.
 
जिम्बाब्वे के खिलाफ उनके लगातार चार छक्कों को कोई नहीं भूल सकता. तब भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने कहा था, वह पहले से ही मेरा तुरुप का इक्का है. जब भी मैं दबाव में होता हूं जहीर को गेंद देता हूं.
इसके अलावा भारतीय क्रिकेट टीम पठान बंधु इरफान और यूसुफ भी खेल चुके हैं.
 
इनकी तरह गुजरात से आने वाले मुनाफ पटेल ने भी एक समय में भारतीय टीम में बढ़िया योगदान दिया है. वसीम जाफर भी भारतीय टीम के लिए खेल चुके हैं. अभी तो विभिन्न प्रारूप में कई मुस्लिम खिलाड़ी भारतीय टीम में मौजूद हैं. आईपीएल में भी बहुत अच्छा कर रहे हैं. जिस तरह से मेवात और कश्मीर जैसे भारत के पिछड़े इलाके से बेहतरीन क्रिकेटर निकल रहे हैं, लगता है भारतीय टीम में मुस्लिम खिलाड़ियों का भविष्य उज्जवल है.