भारतीय सूफी संतों के पैगामों से दुनिया को मिल सकती है शांति: मौलाना मुहम्मद अहमद नईमी

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 21-09-2022
भारतीय सूफी संतों के पैगामों से दुनिया को मिल सकती है: मौलाना मुहम्मद अहमद नईमी
भारतीय सूफी संतों के पैगामों से दुनिया को मिल सकती है: मौलाना मुहम्मद अहमद नईमी

 

आवाज द वॉयस /नई दिल्ली

इस्लाम निभाने ही नहीं बल्कि इस्लाम में जिस सामाजिक क्रांति का जिक्र  है, उसके अनुपालन के लिए भारत सबसे उपयुक्त देश है. भारत में इस्लाम के हर अरकान को किसी बाधा के पूरा किया जा सकता है.

इस्लाम में सामाजिक आंदोलने के लिए भारत की भूमि पर किए गए सूफी संतों के प्रयोगों का यहां निष्पक्ष समाज ने खुले दिल से स्वागत किया और आज पूरी दुनिया भारत में सूफी इस्लाम के कामयाब प्रयोगों में शांति का मार्ग तलाश रही है.
 
यह बात भारत के सबसे बड़े मुस्लिम छात्र संगठन मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित वेबिनार ‘विश्व में भारतीय इस्लाम का प्रभाव’ विषय पर बोलते हुए मौलाना मुहम्मद अहमद नईमी ने कही. 
 
मौलाना मुहम्मद अहमद नईमी ने कहा कि पूरे अरब में आज इस्लाम के नाम पर सिर्फ अशांति ही नहीं. किंगडम के नाम पर सत्ताधारी अधिनायकवादियों ने जनता की ही नहीं, उदार इस्लाम की आवाज को भी दबा दिया है.
 
अधिनायकवाद और इस्लाम के नाम पर कट्टर विचारधारा के प्रसार और प्रश्रय ने लोगों का जीना हराम कर दिया है. आतंकवाद और राजनीतिक संकट की इस घड़ी में अरब के मुसलमान भारत की तरफ देख रहे हैं, क्योंकि भारत में दुनिया का सबसे अधिक मुसलमान अन्य समाजों के साथ शांतिपूर्वक रह रहा है.
 
नईमी ने भारतीय इस्लाम का वैश्विक स्तर पर बढ़ते प्रभाव का जिक्र करते हुए कहा कि आज से डेढ़ सौ साल पहले बरेली से जिस विचारधारा को नई दिशा मिली उसको आज पूरी दुनिया में सराहा जा रहा है.
 
इस विचारधारा में प्रतिक्रिया और रेवेंज नहीं बल्कि सहनशीलता और सब्र है. त्याग और क्षमा को महत्त्व दिया गया है. यही वजह है कि भारतीय उपमहाद्वीप के साथ अफ्रीका, सेंट्रल एशिया और यूरोप में भी भारतीय इस्लाम को काफी सराहा जाता है.  भारत शांति,सहअस्तित्व और स्वागत की भूमि है.
 
नईमी ने उदाहरण देते हुए युवाओं को समझाया कि पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब का घराना यानी हजरत इमाम हुसैन और 72 घर वालों ने अपने घर मदीना में अशांति के बजाय, शहर छोड़ना उचित समझा.
 
यह शांति स्थापना के लिए अपनी जन्मभूमि और प्राण के बलिदान का इतिहास का सबसे महान् उदाहरण है. हमें इससे सीख लेते हुए देश प्रेम और शांति के प्रयासों की स्थापना के लिए प्रण प्राण से पेश पेश रहना चाहिए.