इफ्तार के समय रोजेदारों को एनर्जी देती है पटना की स्पेशल शीर चाय, लोग हैं दीवाने

Story by  सेराज अनवर | Published by  [email protected] • 1 Years ago
पटना के सब्जीबाग में शीर चाय बनाते मोहम्मद हैदर
पटना के सब्जीबाग में शीर चाय बनाते मोहम्मद हैदर

 

सेराज अनवर/ पटना

रमज़ान का महीना चल रहा है और शीर चाय की चर्चा न हो ऐसा हो नहीं सकता. दो साल बंद रहने के बाद पटना शहर के सब्ज़ीबाग़ इलाके की शीर चाय फिर रोज़ेदारों की सिर चढ़ कर बोल रही है.

रमज़ान में राजधानी पटना के मुस्लिम बहुल सब्ज़ीबाग़ की रौनक़ शीर चाय से भी है. यहां की शीर चाय की कहते हैं दुनिया दीवानी है. दावा है कि देश में सब्ज़ीबाग़ की तरह शीर चाय और कहीं नहीं मिलती,जिसे गुलाबी चाय भी कहते हैं और इस चाय की चुस्की लेने लोग पचास किलोमीटर से भी चल कर आते हैं.

असल में, यह चाय सिर्फ रमज़ान में ही मिलती है. और इसे बनाने में आठ से दस घंटा मेहनत करनी पड़ती है. यह रोज़ेदारों को ऊर्जा बख़्शती है,प्यास कम लगती है.

इस बार सब्ज़ीबाग़ में शीर चाय की कई दुकानें सजी हैं. इस बार भीड़ बहुत है. दो साल कोविड की वजह से रोज़ेदारों ने शीर चाय का मज़ा नहीं लिया. जैसे हैदराबाद का हलीम वैसे ही सब्ज़ीबाग़ की शीर चाय. कहीं और यह चाय नहीं बनती,यह मज़ा नहीं मिलता.सिर्फ पटना में ही यह चाय मयस्सर है.

कब हुई इसकी शुरुआत?

किस्सा कुछ यूं है कि अंजुमन इस्लामिया हॉल के सामने पटना मार्केट में ग़फ़्फ़ार उस्ताद रहते थे. 1962 में उन्होंने ही शीर चाय की ईजाद की. शुरू-शुरू में लोग यह चाय पीकर हैरतज़दा रह गये. लोगों को अलग तरह की चाय पीने को मिली. तब से पटना के सब्ज़ीबाग़ इलाक़े में शीर चाय की परम्परा चल पड़ी.

1972 तक यह चाय गफ्फार उस्ताद ने ही बनाई. उनकी मृत्यु के बाद उनके चार शिष्य सदरु मियां, निजाम मियां, पप्पू मियां और फूल मियां ने इसे पटना के अलग-अलग जगहों पर बनाना शुरू किया. यहां पचास से ज्यादा शीर चाय की स्टाल हैं. हर उम्र के लोग,चाहे वह पुरुष हों या महिलाएं,जो सब्ज़ीबाग़ जाते हैं, एक कप शीर की चाय पिए बिना नहीं लौटते.

आम दिनों में यह चाय नहीं मिलती,साल में एक बार रमज़ान में ही यह चाय मिलती है. शीर चाय के हुनरबाज़ मोहम्मद हैदर की माने तो हर कोई इसको नहीं बना सकता. यह चाय रोज़ेदारों की प्यास को मारता है,थकावट मिटाती है. इफ़्तार करने के बाद यह चाय लोग ज़रूर पीते हैं. मगरीब की नमाज के बाद बड़ी संख्या में रोज़ेदारों को सजी सजायी शीर चाय स्टॉल पर देखा जा सकता है.

चाय बनाने की विधि

इस चाय के बनाने की विधि बहुत मुश्किल है. शीर चाय एक खास तरीके से बनाई जाती है जिसे बनाने में कम से कम आठ से दस घंटे का समय लगता है. चूल्हे पर चाय उबाली जाती है. शीर  चाय बनाने वाले मुहम्मद हैदर के मुताबिक़ कश्मीरी पत्ती को तीन घंटे तक पानी में उबाला जाता है,फिर काजू, काग़ज़ी बादाम, छुहारा, दालचीनी, बड़ी इलायची, पोस्त दाना, अखरोट जैसे विभिन्न सूखे मेवे डालकर पकाया जाता है. गाढ़ा होने के बाद, चीनी और केवड़े के मिश्रण से शीर चाय का ज़ायक़ा मज़ेदार हो जाता है. जिसे पीकर रोज़ेदार तरोताजा हो जाते हैं.

15 रुपए कप है क़ीमत

रमजान के महीने में एक शीर की चाय दुकान से रोजाना पांच सौ से एक हजार कप चाय की बिक्री होती है. दुकानदार मोहम्मद हैदर बताते हैं कि इस चाय की मांग दूसरे राज्यों में अधिक है,यहां से लोग इसे अपने दोस्तों के लिए दूसरे राज्यों में ले जाते हैं और पीते हैं.

इस चाय को 24 घंटे तक रखा जा सकता है जिसका स्वाद स्वाद ख़त्म नहीं होता है. मोहम्मद हैदर शीर चाय पिछले बयालीस साल से बना रहे हैं. आवाज़ द वायस से उन्होंने कहा कि पहले यह दो रुपया कप या चाय मिलती थी अब पंद्रह रुपया कप हो गयी है और लोग ख़ुशी-ख़ुशी पीते हैं. इस चाय के धंधे से जुड़े लोगों के लिए कम आर्थिक खर्चे पर अच्छा मुनाफा साबित हो रही है.