शाहजहां की बेग़म मुमताज को भी पसंद था पेठा, 56 प्रकार के पेठे आज देश-विदेश में घोल रहे मिठास

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari • 2 Months ago
Shahjahan's wife Mumtaz also liked petha
Shahjahan's wife Mumtaz also liked petha

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली 

आगरा को 'ताज नगरी' के अलावा 'पेठा नगरी' भी कहते है. मुगल काल में औषधि के तौर पर बना पेठा, आज देश-विदेश में लोगों की जुबां पर मिठास घोल रहा है. पेठे का उपयोग पहले औषधि के रूप में किया जाता था. बाजार में अलग-अलग स्वाद के पेठों की बिक्री होती है जैसे अंगूरी, इलायची, चॉकलेट, गुलाब लड्डू, डोडा बर्फी, पान, केसर आदि. सभी पेठों को बनाने की अलग विधि होती है.
 
 
आगरा पेठा के आविष्कार के पीछे की कहानी:
आगरा पेठा एक विशेष व्यंजन है जिसके बारे में कहा जाता है कि इसका आविष्कार मुगल काल में हुआ था. कहा जाता है कि आगरा पेठे का आविष्कार 350 साल पहले मुगल काल के दौरान हुआ था. इसका आविष्कार कैसे हुआ, इस पर कई अटकलें हैं. लेकिन स्थानीय लोगों के बीच दो कहानियां बहुत लोकप्रिय हैं.
 
अकबर की पत्नी जोधाबाई एक बीमारी से पीड़ित थी और बहुत अधिक दवाएँ ले रही थी. अपने एक जन्मदिन पर, उसने दरबार के मंत्री बीरबल को आदेश दिया और कहा कि कुछ ऐसा बनाओ जो मीठा भी हो और औषधि भी. अफवाहें कहती हैं कि आगरा पेठे का आविष्कार इसी तरह हुआ था.
 
एक और अफवाह यह है कि, शाहजहाँ ने ताज महल के निर्माण के बाद लोगों को एक मिठाई बनाने का आदेश दिया, जो ताज महल के संगमरमर की तरह सुंदर दिखे और पारदर्शी हो और इस तरह आगरा पेठा अस्तित्व में आया.
 
किंवदंती है कि साल 1632 में ताज महल का निर्माण शुरू हुआ था उस समय भीषण गर्मी में करीब 20 हजार मजदूर पत्‍थरों के बीच में काम करके बुरी तरह थक जाते थे. तब इससे निजात पाने के लिए पेठे की मदद ली गई थी. गर्मी में मजदूरों के लिए सस्‍ता और तुरंत एनर्जी देने की वजह से पेठा आगरा की शान बन गया.
 
 
पेठा कुम्हड़ा नाम के फल से बनता है. इसे आम बोलचाल की भाषा में कच्‍चा पेठा कहते हैं. इस पेठे को आगरा के ग्रामीण इलाकों और औरेया में उगाया जाता है. सादा पेठा बनाने में करीब 20 से 25 रुपये प्रति किलोग्राम की लागत आती है.
 
लगभग 1940 में आगरा के गोकुल चंद गोयल ने बनाया सुगन्धित पेठा 
पेठे का इतिहासअति प्राचीन है. महाभारत काल में कुशमांडू ऋषि हुआ करते थे. उन्हीं की समाधि स्थल से इसकी उत्पत्ति मानी जाती है. बात 1940 के आसपास की है जब खेत से उगने वाले साधारण से दिखने वाले पेठे के फल को काट – छांट,छीलकर उसमें खांड औऱ गुड़ मिलाकर खाया जाता था. 
 
पेठे के जनक आगरा नूरी दरवाजे के रहने वाले गोकुल चंद गोयल थे.उन्होंने ही सबसे पहले एक साधारण से पेठे के फल के स्वाद की सुगंध को पूरी दुनिया भर में बिखेर दिया. इसके बारे में कहा जाता है कि स्वर्गीय गोकुल चंद गोयल( gokul chandr goyal) ने 1940 के आसपास चीनी और सुगन्धित इत्र मिलाकर स्वादिष्ट पेठा बना डाला.लोगों को ये नया पेठा बेहद स्वादिष्ट लगा और उसके बाद उन्होंने अपने काम को नूरी दरवाजे पर शुरू किया .
 
 
कैसे मशहूर हुआ पूरे विश्व में पेठा
पहले पेठा गुड़ के साथ तैयार किया जाता था.लेकिन आगरा के नूरी दरवाजा के रहने वाले गोकुल चंद गोयल ने इसे चीनी के साथ सुगंधित इत्र मिलाकर बनाया जो कि खाने में बेहद स्वादिष्ट लगा.उन्होंने दिल्ली के प्रगति मैदान में लग रहे ट्रेड फेयर में हिस्सा लिया.हालांकि उन्हें स्टॉल्स नहीं मिले. जिसके बाद उन्होंने किसी दूसरे व्यक्ति के साथ साझा कर अपनी पेठे की स्टॉल लगाई. ट्रेड फेयर में आए लोगों ने जब अपने बीच एक अलग सी दिखने वाली मिठाई को पाया तो उन्होंने उसका स्वाद चखा और वह स्वाद उन्हें बेहद पसंद आया.देखते ही देखते आगरा का पेठा पूरे विश्व भर में छा गया.
 
पेठा मिठाई के साथ-साथ एक औषधि भी
पुराने समय के वैध हकीम पेठे से शरीर के कई रोग ठीक करते थे.यह कहना गलत नहीं है कि पेठा मिठाई के साथ-साथ एक औषधि भी है.इसे महाभारत काल के समय में कुशमांडू फल भी कहा जाता था.इस फल से आज भी पीलिया, पेट की पथरी , लीवर, आंखों की रोशनी, बालों का झड़ना जैसी कई बीमारियों को ठीक करने में प्रयोग होता है.
 
 
56 प्रकार के पेठे की अब तक हो चुकी है खोज 
अब बाजारों में बच्चों की पसंद के हिसाब से चॉकलेटी पेठा, महिला पुरुषों के हिसाब से पान पेठा ,सैंडविच पेठा, केसर, अंगूर, बादाम, रसीला जैसे 56 प्रकार के पेठे उपलब्ध हैं. पंछी पेठा (Panchhi Petha) को आगरा का सबसे पुराना पेठा माना जाता है. इसकी शुरुआत 1926 में आगरा के नूरी दरवाजे के रहने वाले पंछी लाल गोयल ने की थी. शायद ही ऐसा कोई टूरिस्ट होगा जो आगरा घूमने आए और अपने साथ लजीज पेठा न लेकर जाए. 
 
पेठे के स्वास्थ्य लाभ:
स्वस्थ, संतुलित आहार के हिस्से के रूप में आगरा पेठे का सेवन कम मात्रा में किया जा सकता है. हालाँकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इसमें उच्च मात्रा में चीनी होती है, इसलिए मधुमेह वाले व्यक्तियों या अपने चीनी सेवन पर नज़र रखने वाले लोगों को इसका सेवन कम मात्रा में करना चाहिए. मधुमेह वाले लोगों के लिए शहद पेठा एक बहुत अच्छा वैकल्पिक विकल्प है. फिर भी मध्यम उपभोग की सलाह दी जाती है.