नीति आयोग की पहल पर सूखे बुंदेलखंड के तालाबों को लबालब करने की जुगत

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 15-05-2022
मध्य प्रदेश के छतरपुर में हो रही तालाब उड़ाही
मध्य प्रदेश के छतरपुर में हो रही तालाब उड़ाही

 

आवाज- द वॉयस/ एजेंसी

गर्मी का मौसम आते ही बुंदेलखंड सुर्खियों में आ जाता है क्योंकि इस मौसम में यहां पानी का संकट मुसीबत बनकर आता है. नीति आयोग के सहयोग से इस इलाके के छतरपुर जिले के वीरान पड़े तालाबों की तस्वीर बदलने की कवायद शुरू की है. अगर यह सफल होती है तो वह देश के लिए नजीर बन सकती है.

बुंदेलखंड वैसे तो मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के सात-सात जिलों में फैला हुआ है, मध्य प्रदेश के हिस्से में आने वाले सात जिलों में से एक है छतरपुर. यह जिला कभी अपनी जल संरचनाओं के लिए पहचाना जाता था, मगर अब यह जल संकट इलाके के तौर पर पहचान बना चुका है. इसकी वजह यहां के जल स्रोतों का खत्म होना है.

नीति आयोग ने मध्य प्रदेश के दो जिलों राजगढ़ और छतरपुर का चयन किया है जो आकांक्षी जिले हैंऔरअभावग्रस्त जिलों में शामिल है. यहां के 168 तालाबों का जीर्णोद्धार किया जाना है और यह काम जून माह में पूरा होना है.

नीति आयोग ने जीर्णोद्धार के लिए जिन तालाबों का चयन किया है वे इन दिनों वीरान मैदान में बदले नजर आते हैं. तालाबों में सिल्ट जिसे गाद भी कहते हैं भरी हुई है, इस जमाव के कारण तालाब की जल संग्रहण क्षमता कम हो गई है.

तालाबों की यह गाद खेतों के लिए लाभदायक हैं, क्योंकि इसे अगर खेत में डाला जाए तो उत्पादन क्षमता बढ़ती है, क्योंकि गाद खाद के तौर पर काम करता है. यही कारण है कि किसानों के सहयोग से तालाब के गहरीकरण का काम शुरू हुआ है और किसान तालाब से निकलने वाली इस मिटटी को अपने खेतों तक ले जा रहे हैं.

नीति आयोग ने जिन तालाबों का चयन किया है उन्हीं में से एक है गौरिहार विकासखंड के गहवरा गांव का तालाब, जिसकी सूरत बदलने का अभियान शुरू हुआ है.

नीति आयोग के द्वारा तय किए गए मापदंडों के अनुसार, तालाब की खुदाई के लिए जेसीबी मशीन उपलब्ध कराई गई है और किसान इस मिट्टी को अपने-अपने ट्रैक्टर में भरकर खेत तक ले जा रहे हैं.

तालाब प्रबंध समिति ने बताया है कि वे तालाब की मिटटी को अपने खेतों तक ले जा रहे हैं, इससे उनके खेत की उत्पादन क्षमता तो बढ़ेगी ही साथ में सिंचाई के लिए कम पानी की जरुरत होगी.

तालाब गहरीकरण के अभियान को देखने पहुंचे गंगा सफाई अभियान के राष्ट्रीय संयोजक डॉ भरत पाठक कहते हैं, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा के अनुसार, नीति आयोग ने तालाबों के गहरीकरण का अभियान चलाया है. यह अभियान उन जिलों की ग्राम पंचायतों में चलाया जा रहा है जो आकांक्षी जिले हैं. तालाबों की जल संचय की क्षमता में आसपास से बहकर आने वाली मिटटी बाधक बनती है. तालाब में जमा मिटटी को हटाकर तालाब की जल संग्रहण क्षमता को बढ़ाए जाने की मुहिम चल रही है. नीति आयोग जन सहयोग से यह अभियान शुरू किया है जिसमें किसान इन तालाबों की मिट्टी अपने खेतों तक ले जा रहे हैं.”

ग्राम पंचायत गहवरा के सरपंच कमल शुक्ला बताते हैं कि उनके गांव में कैच द रेन अभियान के तहत तालाब का गहरीकरण हो रहा है. गांव के किसान तालाब की मिटटी को अपने खेतों में ले जा रहे हैं.

बुंदेलखंड में जल संरक्षण के कार्य में लगे रामबाबू तिवारी कहते हैं, “छतरपुर जिले के 168 तालाबों का जीर्णोद्धार यहां की तस्वीर बदलने का बड़ा माध्यम बनेगा. यह काम नीति आयोग के निर्देश पर गैर राजनीतिक संगठनों द्वारा किया जा रहा है और इसमें ग्रामीण बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. कुल मिलाकर जन सहयोग से इस इलाके की तस्वीर को बदले जाने की कोशिश हो रही है.”

बताया गया है कि नीति आयोग ने मध्य प्रदेश के दो आकांक्षी जिलों राजगढ़ और छतरपुर में जल संरक्षण के लिए पायलट प्रोजेक्ट चलाया है और अगर यह प्रयास सफल होता है तो इसे पूरे देश में लागू किए जाने की योजना है. एक तरफ जहां छतरपुर के तालाब देश के लिए नजीर बन सकते हैं तो इस इलाके की जलसंकट समस्या के निदान का कारक भी बन सकते हैं.