मंसूरुद्दीन फरीदी / आवाज द वॉयस
‘‘मैं अल्लाह के नाम से नदी में कूद गया. मुझे बस इतना यकीन था कि अल्लाह है और मुझे तैरना आता है..’’ ये मुहम्मद माणिक के शब्द हैं, जिन्होंने दुर्गा पूजा विसर्जन के दौरान नदी में अचानक पानी बढ़ने के बाद डूबने वाले कई लोगों में से दस को बचाया और अब न केवल बंगाल के लिए, बल्कि देश के लिए एक उदाहरण के रूप में सुर्खियों में हैं.
ऐसे समय में जब देश में कहीं से गरबा पथराव और मदरसा में पूजा की खबरों ने मुंह का स्वाद बिगाड़ दिया है. यह समाचार देश की सभ्यता और भाईचारे की सच्ची तस्वीर पेश करता है और उम्मीद की एक और किरण पैदा करता है कि अच्छाई अभी भी जीवित है और मानवता कभी नष्ट नहीं हो सकती. आज मुहम्मद माणिक ने देश से कहा कि कोई भी किसी धर्म या जाति को विपदा और संकट में नहीं देख सकता, क्योंकि मानव जीवन से बढ़कर कुछ भी नहीं है.
पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के एक छोटे से शहर पश्चिम तेशिमाला के मुहम्मद माणिक अब बंगाल के नायक हैं. जलपाईगुड़ी के मॉल बाजार में अब्दुल खालिक का घर मेहमानों से भरा हुआ है. सभी बधाई देने आ रहे हैं. मुहम्मद माणिक ने जो किया वह एक मिसाल है, क्योंकि हादसे के वक्त नदी के किनारे आठ हजार से ज्यादा लोगों की भीड़ थी. लेकिन मुहम्मद माणिक बिना किसी सुरक्षा उपाय के लहरों में कूद गए थे.
हर साल दुर्गा पूजा के मौके पर वासर्जन एक त्योहार बन जाता है. उस दिन भी सुबह करीब साढ़े आठ बजे वे विसर्जन स्थल पर पहुंचे और कुछ देर बाद पानी का स्तर बढ़ गया. लोगों ने देखा कि जो लोग मूर्ति को नदी में विसर्जित करने गए थे, वे तेज धार में फंसकर हाथ-पैर मारने लगे.
Eight people died in the Harpa Ban disaster during idol immersion at the Mal river in #WestBengal on the day of #VijayaDashami. While #Muslims are being beaten up for their participation in #Dandiya.#Dussehra #Navaratri #DurgaPooja #GarbaDance #DurgaVisarjan #MohammadManik pic.twitter.com/6nn4kHigNZ
— Hate Detector 🔍 (@HateDetectors) October 6, 2022
उस समय हर कोई वीडियो बना रहा था या तमाशा देख रहा था, लेकिन इस कठिन समय में, अपनी जान की परवाह किए बिना, मुहम्मद माणिक ने अपना मोबाइल फोन अपने दोस्त को सौंप दिया और इससे पहले कि उसका दोस्त कुछ समझ पाता, मुहम्मद माणिक ने नदी में छलांग लगा दी.
मुहम्मद माणिक ने कहा, ‘‘मैंने देखा कि लोग मदद के लिए पुकार रहे हैं, जिसे मैं पकड़ सकता था, मैंने उन्हें खींच कर किनारे तक खींच लिया. उन्होंने आगे कहा कि कई लोग पत्थरों से चिपके हुए थे और पानी का करंट बहुत तेज था.
बचाव अभियान के दौरान वह घायल हो गया और उसके दाहिने बड़े पैर के अंगूठे से खून बह रहा महसूस हुआ. उन्हें एक फायर फाइटर द्वारा एक रूमाल दिया गया, जिसे उसने झट से बांध लिया और लोगों की मदद के लिए वापस नदी में डुबकी लगाई. लगभग दो घंटे तक नदी से किनारे तक संघर्ष करने के बाद, माणिक के उत्साह पर थकान हावी हो गई और उसे उसका दोस्त अस्पताल ले गया, जहाँ उसे प्राथमिक उपचार दिया गया.
माणिक पेशे से वेल्डर हैं और वेस्ट टेसीमाला गांव में अपने परिवार के साथ रहते हैं और हर साल दुर्गा पूजा समारोह में भाग लेते हैं. सोशल मीडिया पर प्रसारित एक वीडियो में, उन्हें अपने एक दोस्त से यह कहते हुए सुना जा सकता है कि अगर कुछ और साथी होते, तो विसर्जन स्थल पर कम मौतें होतीं. थोड़ी देर बाद, लाइफ जैकेट पहने नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवक भी कूद पड़े, उसके बाद दमकल और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल, लेकिन एक घंटे के बाद.
हर कोई मुहम्मद माणिक की कहानी बता रहा है कि कैसे उसने पानी में कूदकर लहरों का डटकर मुकाबला किया. डूबते लोगों को एक-एक कर किनारे पर लाया गया. इस दौरान उनका पैर भी जख्मी हो गया. लेकिन उन्होंने चोटिल होने की भी परवाह नहीं की.