आवाज द वाॅयस /मक्का अल-मुकर्रामा ( सऊदी अरब)
मक्का अल-मुकर्रामा, सऊदी अरब में आयोजित इस्लामी सम्मेलन में दरगाह अजमेर शरीफ के गद्दी नशीन और चिश्ती फाउंडेशन के अध्यक्ष हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने इस्लामी विचारधाराओं के बीच एकता और सामंजस्य को लेकर अपने विचार रखे.
इस सम्मेलन का आयोजन मुस्लिम वर्ल्ड लीग ने किया, और इसका आयोजन सऊदी अरब के महामहिम राजा सलमान बिन अब्दुलअजीज अल सऊद के संरक्षण में हुआ था. सम्मेलन का उद्देश्य मुस्लिम दुनिया में संयम, एकता और शांति को बढ़ावा देना था, जो कि क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के विजन 2030 के अनुरूप है.
सम्मेलन का उद्देश्य और मुख्य उद्देश्य
यह सम्मेलन विशेष रूप से रमजान 1446 एएच के पवित्र महीने में आयोजित किया गया, जिसमें दुनिया भर से आए प्रतिष्ठित विद्वानों, धार्मिक नेताओं और बुद्धिजीवियों ने “इस्लामी विचारधाराओं के बीच पुल निर्माण” विषय पर चर्चा की. सम्मेलन का प्राथमिक उद्देश्य विभिन्न इस्लामी विचारधाराओं के बीच आपसी समझ को बढ़ावा देना और इसके माध्यम से अंतर-धार्मिक एकता को सुदृढ़ करना था.
इस आयोजन में 90 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें प्रमुख विद्वान, मुफ़्ती, और इस्लामी नेता शामिल थे. इनमें से कुछ प्रमुख प्रतिभागियों में शेख डॉ. मोहम्मद बिन अब्दुल करीम अल-इस्सा, शेख अहमद मोबलघी, शेख डॉ. सालेह बिन अब्दुल्ला बिन हामिद, शेख डॉ. अब्दुलरहमान अल-सुदैस और अन्य प्रमुख इस्लामी हस्तियाँ शामिल थीं.
सम्मेलन की खास बातें और प्रस्तावित घोषणाएँ
सम्मेलन में एक अत्यधिक महत्वपू्र्ण दस्तावेज़ "पुल निर्माण घोषणापत्र" को मंजूरी दी गई, जिसमें इस्लामी एकता और वैज्ञानिक, बौद्धिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए 28 लेखों का समावेश था. इसके अतिरिक्त, इस्लामी बौद्धिक सद्भाव के विश्वकोश को भी अपनाया गया, जिसका उद्देश्य मुस्लिम दुनिया के भीतर सामाजिक और बौद्धिक सहयोग को प्रोत्साहित करना था.
हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने सम्मेलन के मुख्य भाषण में भारतीय मुस्लिम समुदाय की समृद्ध आध्यात्मिक और धार्मिक परंपराओं पर जोर दिया. उन्होंने यह कहा कि भारतीय मुस्लिम समाज हमेशा से समावेशिता, विविधता में एकता और अंतर-धार्मिक सद्भाव के मूल्यों को मजबूत करता रहा है.
उन्होंने विद्वानों के बीच असहमति के शिष्टाचार (आदब अल-इख्तिलाफ) को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया, ताकि न्यायशास्त्र में मतभेदों को विभाजन के बजाय सामूहिक ताकत के रूप में प्रस्तुत किया जा सके.
भारत के मुस्लिम समुदाय की धार्मिक परंपराएँ और योगदान
हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने अपने भाषण में भारतीय मुस्लिम समाज की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने पैगंबर मुहम्मद (PBUH) की शिक्षाओं से प्रेरणा ली, जिनका संदेश प्रेम, करुणा और एकता के सिद्धांतों पर आधारित था। भारत की अजमेर शरीफ दरगाह के माध्यम से इस्लाम का संदेश दुनियाभर में फैला, जो मुस्लिम समाज के बीच एकता, शांति और प्रेम का प्रतीक बना हुआ है.
हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने यह भी कहा कि विद्वानों के बीच मतभेदों को सही दिशा में मार्गदर्शन करने के लिए डिजिटल प्लेटफार्मों का इस्तेमाल किया जा सकता है, ताकि वैश्विक स्तर पर विचार-विमर्श और सहयोग को बढ़ावा दिया जा सके.
वैश्विक इस्लामी समुदाय के लिए आह्वान
अपने भाषण के अंत में, हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने सभी उपस्थित नेताओं और विद्वानों से आह्वान किया कि वे मुस्लिम उम्माह को एकजुट करने, सांप्रदायिकता को समाप्त करने और इस्लाम के मूल सिद्धांतों की पुनः पुष्टि करने के लिए ठोस कदम उठाएं. उन्होंने विशेष रूप से दुनिया भर में इस्लामी बौद्धिक एकता को मजबूत करने के लिए एकजुट होकर काम करने की अपील की.
सम्मेलन का समापन और भविष्य की दिशा
सम्मेलन का समापन इस प्रतिबद्धता के साथ हुआ कि मुस्लिम समुदाय के भीतर एकता, शांति और सद्भाव के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया जाएगा. इस सम्मेलन ने इस्लामिक दुनिया के लिए एक नई दिशा दिखाई, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और एकजुटता को प्राथमिकता दी गई.
हाजी सैयद सलमान चिश्ती और चिश्ती फाउंडेशन ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के विजन 2030 का समर्थन किया, जो इस्लामी दुनिया में समृद्धि और शांति के लिए एक ठोस कदम है.इस्लामी विचारों के बीच पुल बनाने के इस सम्मेलन ने हमें यह सिखाया कि मुस्लिम समुदाय के विभिन्न विचारधाराओं के बीच मतभेदों के बावजूद, एकता और समझ का आधार बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है.
हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने अपनी भागीदारी से यह सुनिश्चित किया कि भारत की धार्मिक और आध्यात्मिक धरोहर को विश्व मंच पर मान्यता प्राप्त हो और इस्लामिक दुनिया में शांति और एकता की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं.
यह सम्मेलन एक ऐतिहासिक घटना के रूप में याद किया जाएगा, जिसने मुस्लिम उम्माह को और भी अधिक एकजुट करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं.