मुस्लिम नायकों को आदर्श बनाएंः आरएसएस प्रमुख

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 13-10-2021
 आरएसएस प्रमुख
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आवाज द वाॅयस/ नई दिल्ली
 
आरएसएस प्रमुख  मोहन भगत ने कहा कि भारत में कोई अल्पसंख्यक नहीं है, सभी हिंदू हैं. उन्होंने कहा कि यहां रहने वाले सभी लोगों के पूर्वज एक हैं, इसलिए हमें भारत में मुसलमानों के बीच वीरों को अपना आदर्श बनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि आज दारा शुकोह, अशफाकउल्लाह, इब्राहिम खान गरदी और हसन खान मिवाती जैसे मुसलमानों के बड़े नामों को अपने आदर्श पर गर्व होना चाहिए.
 
भगत ने कहा कि सेना में मुसलमानों की भी बड़ी भूमिका होती है. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में स्कूलों का नाम मुस्लिम शहीदों के नाम पर रखा जा रहा है, जो अच्छी बात है. भगत ने कहा, ‘‘मैं 100 प्रतिशत समर्थन करता हूं कि हमारे देश में सड़कों का नाम ऐसे लोगों के नाम पर होना चाहिए, हमलावरों के नाम पर नहीं.‘‘
 
भगत ने अपने भाषण में हिंदू-मुस्लिम एकता पर जोर दिया और कहा कि इस देश में रहने वाला हर व्यक्ति हिंदू है. पूजा अलग हो सकती है, लेकिन पूर्वज एक हैं.इसलिए सभी को मिलकर चलना होगा.राष्ट्रीय स्वयंसेवक सिंह प्रमुख मोहन भगत ने वाणिक दामोदर सावरकर पर इतिहास में वैचारिक रूप से भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर सावरकर की बात सुनी जाती तो भारत का बंटवारा नहीं होता.
 
मोहन भगत यहां अंबेडकर इंटरनेशनल फाउंडेशन में प्रसिद्ध पत्रकार अधा माहुरकर और प्रोफेसर चिरायु पंडित द्वारा सह-लेखक वीर सावरकर पर एक पुस्तक के विमोचन  पर बोल रहे थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की.
 
मोहन भगत ने अपने संबोधन में कहा कि भारत की राष्ट्रीयता की घोषणा करने वाले पहले व्यक्ति सावरकर थे. उनका राष्ट्रवाद पूरी दुनिया की एकता और मानवता पर केंद्रित था. उन्होंने हमेशा सर सैयद अहमद खान की भूमिका और मुस्लिम लीग की भूमिका पर चर्चा की और कहा कि जो भारत का है, उसकी सुरक्षा, गरिमा भारत की है. विभाजन के बाद भारत से पाकिस्तान चले गए मुसलमानों की इज्जत पाकिस्तान में भी नहीं है. जो भारत का है वह भारत का है.
 
उन्होंने कहा कि 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम के बारे में सावरकर ने लिखा था कि हिंदू राजाओं के भगवा झंडे और चांद-तारों के हरे झंडों दोनों का अंग्रेजों से मुकाबला था. लेकिन बाद में खिलाफत आंदोलन के बाद वहाबी विचारधारा बिगड़ गई और कई विभाजन पैदा हो गए. जब यह हंगामा हुआ कि हम एक नहीं बल्कि दो राष्ट्र हैं, तो टोलों ने बदमाशी का सहारा लिया.
 
उन्होंने कहा,‘‘आज भी इतने सालों के बाद हम स्थिति का जायजा लेते हैं, तो ऐसा लगता है कि सभी को समान अधिकार नहीं हैं और न ही किसी का शोषण होता है.