बकरीद: हरियाणा के ‘गोट फार्मर’ दो साल बाद अच्छे मुनाफे के लिए अपनी ‘तोतपरी’ लेकर निकले कोलकाता और मुंबई

Story by  यूनुस अल्वी | Published by  [email protected] | Date 06-07-2022
बकरीद: हरियाणा के ‘गोट फार्मर’ तीन साल बाद अच्छे मुनाफे के लिए अपनी ‘तोतपरी’ लेकर निकले कोलकाता और मुंबई
बकरीद: हरियाणा के ‘गोट फार्मर’ तीन साल बाद अच्छे मुनाफे के लिए अपनी ‘तोतपरी’ लेकर निकले कोलकाता और मुंबई

 

यूनुस अल्वी / नूंह ( हरियाणा )
 
हरियाणा की खट्टर सरकार बकरी पालन पर विशेष जोर दे रही है. मगर कोरोना के चलते दो सालों तक आने-जाने और त्योहारों पर लगे प्रतिबंध का प्रदेश के बकरी पालन पूरा लाभ नहीं उठा रहे थे. तीन साल बाद सब कुछ सामान्य होने पर बकरीद पर अच्छी कमाई के लिए हरियाणा के बकरीपालकों ने एक बार फिर कोलकाता एवं मुंबई की बड़ी मंड़ियों की ओर रूख किया है. मुस्लिम बहुल मेवात क्षेत्र के बकरे ‘तोतापरी’ का बाहर की मंडियों भारी मांग है.

कोलकाता और मुंबई की बकरा मंडियों में मेवात के तोतापुरी बकरों की जबरजस्त मांग को देखते हुए हजारों की संख्या बकरे लेकर व्यापारी पिछले दो दिनों से दोनों बड़े शहरों की ओर रवाना हो रहे हैं.
 
बकरा व्यापारियों ने बताया कि यह सिलसिला 6 जुलाई तक जारी रहेगा. आर्थिक रूप से मजबूत लोग बकरीद के मौके पर होने वाली कुर्बानी के लिए मेवात के तोतापुरी बकरे को ज्यादा पसंद करते हैं. इससे यहां के बकरापालकों एवं व्यापारियों की बकरीद पर अच्छी खासी कमाई हो जाती है.
  
व्यापारी शरीफ कुरैशी, भूरा कुरैशी और फखरू कुरैशी ने बताया कि बकरीद के मौके पर कोलकाता और मुंबई की बकरा मंडियों में मेवात के हजारों बकरे पहुंच चुके हैं. इनमें ज्यादातर तोतापुर बकरे  हैं.
 
उन्होंने बताया कि तोतापुरी बकरा लंबा, उंचा, कठीला और वजनदार होता है. जो लोग बकरा पालते हैं वे छोटे से बच्चे को ही खस्सी कर देते हैं. कोलकाता और मुंबई की पशु मंडियों में मेवात के तोतापुरी बकरे की काफी डिमांड है.
got
यहां से ज्यादा तक व्यापारी तोतापुरी ही बकरे ले जाते हैं. उनका कहना है कि पिछले तीन साल से कोरोना के कारण मेवात के व्यापारी बकरों को कोलकाता और मुंबई की बकरा मंडियों में नहीं ले जा सके थे.
 
इस बार वहां के आढ़तियों ने बकरीद से एक महीना पहले ही तोतापुरी बकरों की खोज-खबर लेनी शुरू कर दी थी. वे अधिकतर  इस नस्ल के बकरे की कुर्बानी देना पसंद करते हैं.
 
बकरा व्यापारियों ने बताया कि मेवात के व्यापारी बकरीद से तीन-चार महीने पहले ही बकरा पलकों से बकरों की खरीद शुरू कर देते हैं. मेवात के किसान अच्छी कीमत मिलने की वजह से तोतापुरी बकरा पालते हैं. उन्होंने बताया कि इस बार भी व्यापारियों ने हजारों बकरे खरीदे हैं. 
 
उनका कहना है कि कई बार अन्य राज्यों से अधिक बकरा आने की वजह से उन्हें घाटा भी उठाना पड़ जाता है. इस बार तीन दिवसीय बकरीद 10 जुलाई से है. बकरीद से करीब एक महीना पहले ही उन्होंने गावों में किसानों से बकरे खरीदने शुरू कर दिए थे. 
 
अब तो मेवात की स्थिति यह है कि बकरीद पर अच्छी कमाई को ध्यान में रखते हुए हरियाणा सरकार के गोट फार्मिंग का लाभ उठाते हुए मजदूर तबके भी बकरे पालने लगे है. तोतापुरी नस्ल का छोटा बच्चा 800 से 1000 रुपये में मिल जाता है. बड़ा होने पर वही 20 से 25 हजार का बिक जाता है. चूंकि मेवात के इलाके में जंगल बहुत हैं, इसलिए बकरों के चारा-पानी में पालकों को खास दिक्कत नहीं होती.
got
ध्यान रहे कि इसलाम में ईद-उल-जुहा यानि बकरीद के त्योहार का बड़ा महत्व है. इसी दिन जहां दुनिया के करोड़ों लोग मक्का और मदीना पहुंच कर हज से फारिग हो रहे होते हैं, वहीं अल्लाह को राजी करने के लिए दुनिया भर के मुसलमान जानवरों की कुर्बानी भी देते हैं. हिंदुस्तान में सबसे ज्यादा बकरों की कुर्बानी दी जाती है.
 
मेवात हरियाणा का कृषि प्रधान इलाका है, इसलिए यहां 90 फीसदी लोग खेतीबाड़ी और पशु पालने पर निर्भर हैं. बकरीद के मौके पर होने वाली कुर्बानी के लिए लोग अधिकतर खस्सी बकरे पालते हैं.
 
मेवात में एक बकरे की कीमत 20 से 25 हजार रुपये तक की होती है. जिनको व्यापारी कोलकाता और मुंबई की मंडियों में 35 से 40 हजार रुपये में बेचते हैं. इसी उम्मीद से लोग एक साल पहले ही बकरा पालना शुरू कर देते हैं ताकि बकरीद के मौके पर उसे बेचकर साल भर की दाल रोटी का इंतजाम कर सकें.
totapari
क्या है तोतापुरी बकरे ?

तोतापुरी बकरी को तोतापुरी बकरी भी बोला जाता है. तोतापुरी बकरी बोबडे परिवार का एक सदस्य है. तोतापुरी सबसे पुरानी पालतू प्रजातियों में से एक है.  तोतापुरी बकरी मुख्य रूप से राजस्थान, हरियाणा में पाई जाने वाली बकरी की एक नस्ल है.
 
तोतापुरी बकरी की नस्लें, जिन्हें ज्यादातर दूध और मांस के लिए पाला जाता है. तोतापुरी सबसे पुरानी पालतू प्रजातियों में से एक है, और दुनिया के अधिकांश हिस्सों में दूध, मांस, बाल और खाल के लिए इसका उपयोग किया जाता है.
 
तोतापुरी बकरियां बेहद जिज्ञासु और बुद्धिमान होती हैं. वे बहुत समन्वित और व्यापक रूप से सबसे अनिश्चित स्थानों पर चढ़ने और अपना संतुलन बनाए रखने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं. यह अक्सर छोटे पेड़ों पर भी चढ़ जाती हैं. 
 
वाणिज्यिक तोतापुरी बकरी पालन व्यवसाय दिन-ब-दिन लोकप्रिय होता जा रहा है, खासकर हरियाणा, राजस्थान में. यह व्यावसायिक उत्पादन के लिए बहुत उपयुक्त है. तोतापुरी बकरियां आकार में मध्यम से बड़ी होती हैं और व्यावसायिक उत्पादन के लिए बहुत उपयुक्त होती हैं.
got
तोतापुरी बकरी

ज्यादातर तोतापुरी सफेद और भूरे होते हैं. तोतापुरी की नाक तोते की तरह उठी हुई होती है. तोतापुरी बकरी 1 से 2 लीटर रोज दूध दे सकती हैं. एक बकरा लगभग 40 से 70 किलो के बीच में होता है, वही एक बकरी 35 से 55 किलो के बीच में होती है.
 
इन बकरियों का शरीर बड़ा और मध्यम आकार का होता है. तोतापुरी के कान लटके हुए छोटी पूंछ होती है. इस नस्ल के छोटे आकार के सींग और नुकीले ऊपर और पीछे की ओर घुमावदार होते हैं. 
 
तोतापुरी बच्चा का जन्म वजन लगभग 2 से 2.5 किलोग्राम होता है. तोतापुरी नस्ल डेढ़ साल में दो बार बच्चा पैदा कर सकते हैं. और जुड़वां बच्चे बहुत आम हैं. आमतौर पर तोतापुरी नस्ल, 12 से 15 महीने की उम्र में बच्चा पैदा करना शुरू कर देते हैं, उनकी प्रजनन क्षमता 71 किलोग्राम है. औसत स्तनपान अवधि 175 दिन है. तोतापुरी खुद को किसी भी वातावरण और जलवायु के साथ आसानी से अपना सकती है.
 
तोतापुरी बकरी क्या काम आती है?

तोतापुरी दुनिया के अधिकांश हिस्सों में दूध, मांस, बाल और खाल के लिए इसका उपयोग किया जाता है. सबसे अच्छी मांस बकरी की नस्लों में से एक हैं और  तोतापुरी बकरियां डेयरी उत्पादन के लिए सबसे अच्छी बकरियों में से एक हैं. लेकिन लोग अपनी रुचि के लिए तोतापुरी बकरी रखते हैं,
 
वे पालतू जानवर के रूप में उपयोग करते हैं और उनका उपयोग आय के लिए किया जा सकता है. आप इन तोतापुरी को पालतू जानवर के रूप में बेचने के लिए प्रजनन कर सकते हैं, या आप उन्हें दूध देने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं.
got
तोतापुरी बकरी कैसे पाले?

उचित स्थान का चयन जरूरी है. बकरी पालन शुरू करने के लिए ऐसी जगह चुनें जहां नमी न हो और आसपास खुला मैदान हो ताकि आप बकरियों को रोजाना हरा चारा खिला सकें. शुद्ध हवा और पीने का पानी हो तो बकरी पालने और खाने-पीने का खर्चा कम से कम हो और आपको ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके. बकरियों की संख्या उतनी ही रखें, जितना आप आसानी से रख सकें. बकरियों के आसपास के स्थानों की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें.
 
जहां तक तोतापरी की डाइट की बात है तो वे लगभग कुछ भी खा सकते हैं, झाड़ियों, पेड़ के पत्तों और घास के शीर्ष पर ब्राउज करती है. बकरियों के चारे में हरी पत्ती का प्रयोग अवश्य करें, यह उनके लिए बहुत फायदेमंद होता है और साथ ही हम उन्हें ग्वार का भूसा, मूंगफली का भूसा आदि भी दे सकते हैं. 
 
पाले जाने वाली बकरियों में विभिन्न प्रकार के रोग भी हो सकते हैं, जैसे अतिसार, अतिसार आदि रोग, जिनकी रोकथाम के लिए टीकाकरण का प्रयोग किया जाता है.