यूक्रेन के तातार मुसलमान रूसी आक्रमण से क्यों हैं चिंतित ?

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] • 2 Years ago
यूक्रेन के तातार मुसलमान रूसी आक्रमण से क्यों हैं चिंतित?
यूक्रेन के तातार मुसलमान रूसी आक्रमण से क्यों हैं चिंतित?

 

कीव. यूक्रेन में रूसी सैनिकों की बढ़त जारी है. रूस का असली निषाना यूक्रेन की राजधानी कीव है. कीव पर कब्जे का मतलब यूक्रेन पर कब्जा. जहां दुनिया इस स्थिति से चिंतित है, वहीं यूक्रेन के मुसलमान भी चिंतित हैं. विशेष रूप से क्रीमिया के तातार अल्पसंख्यक मुसलमानों के बीच चिंताएं बढ़ रही हैं. यूक्रेन ने 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद स्वतंत्रता की घोषणा की, जिसके बाद क्रीमिया के तातार मुसलमान अपनी मातृभूमि, यूक्रेन के क्रीमिया लौटने में सक्षम हो गए. उनमें कुदुसोव भी था. वह यूक्रेन लौटने की याद में रोया.

अल जजीरा से बात करते हुए, उन्होंने कहाः ‘‘जब बुजुर्ग पहली बार उतरे और यूक्रेन की धरती पर पैर रखे, तो उन्होंने यूक्रेन की धरती को चूमा. लोग खुशी से रो रहे थे, वे अपने घरों को लौट गए थे, लेकिन फिर 2014 में रूस ने यूक्रेन पर हमला किया और यूक्रेन, क्रीमिया के हिस्से पर कब्जा कर लिया.

रूसी के क्रीमिया पर कब्जा करने के बाद, क्रीमिया के तातार मुसलमानों को एक बार फिर क्रीमिया छोड़कर यूक्रेन भागना पड़ा. यूक्रेन में पहुंचकर, कुडोसोव ने राजधानी कीव में एक लोकप्रिय क्रीमियन तातार रेस्तरां खोला. कुडोसोव भी सामान्य जीवन जीने लगा, लेकिन एक बार फिर रूसी आक्रमण की खबर ने उसे डरा दिया.

मूल रूप से तुर्की मूल के तातार मुसलमान पहले रूस में रहते थे. 1944में जर्मन तानाशाह एडोल्फ हिटलर के पतन के बाद, सोवियत संघ के शासक जोसेफ स्टालिन ने अमानवीय रूप से 200,000क्रीमियन तातारों को उज्बेकिस्तान भेज दिया. उन्हें एक मवेशी ट्रेन में लाद दिया गया और निर्वासित कर दिया गया.

स्टालिन की सरकार ने टाटर्स पर नाजियों के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया. इस निर्वासन के दौरान आधे तातार मुसलमानों की मृत्यु हो गई.

यूक्रेन ने तातार निर्वासन को नरसंहार कहा. सोवियत संघ के पतन के बाद जब तातार क्रीमिया में अपने घरों को लौटे, तो उनके साथ भी भेदभाव किया गया. उनके घर और जमीनें जब्त कर ली गईं और उन्हें घर खरीदने की अनुमति नहीं दी गई और कोई भी उन्हें उनके कमरे किराए पर देने के लिए तैयार नहीं हुआ.

कीव की 34 वर्षीया जाहिदा एडेलोवा का कहना है कि क्रीमिया में उनकी दादी का अपना घर था, लेकिन 1944 में स्टालिन ने उन्हें निष्कासित कर दिया था. रूस के टूटने के बाद उनकी दादी उनके घर आईं, लेकिन यहां उन्हें मायूसी हाथ लगी.

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जाहिदा कहती हैं, ‘‘वो अपने घर पहुंची और दरवाजा खटखटाया. जब घर के लोगों को पता चला कि मेरी दादी को अपना घर चाहिए, तो उन्होंने उसके साथ बहुत कठोर व्यवहार किया.’’

सोवियत संघ के लोगों ने तातारों को नाजियों का समर्थन करने और उनके साथ भेदभाव करने वाला बताया. हालाँकि, कई टाटर्स ने हिटलर की सेना के खिलाफ लाल सेना में भी काम किया.

मार्च 2014 में, रूस ने एक विवादास्पद जनमत संग्रह में यूक्रेन के क्रीमिया के हिस्से पर कब्जा कर लिया. 300,000 तातार मुसलमानों ने जनमत संग्रह का बहिष्कार किया और रूस के विरोध में सड़कों पर उतरे.

सैनिकों ने तातार और अन्य प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग किया और कई और गायब हो गए. अल जजीरा के अनुसार, एक तातार मुस्लिम प्रदर्शनकारी लापता हो गया था और उसका शरीर कुछ दिनों बाद गहरे घावों के साथ मिला था.

कुडोसोव यह देखकर चौंक गया और अपने चार बच्चों और पत्नी के साथ क्रीमिया से यूक्रेन के लिए रवाना हो गया.

रूसी अधिकारियों ने बाद में क्रीमिया में तातार संगठन मजलिस पर प्रतिबंध लगा दिया. रूस का कहना है कि यह समूह एक चरमपंथी समूह है.एक तातार टीवी चौनल भी बंद कर दिया गया. तातार आबादी का लगभग 10 प्रतिषत क्रीमिया से यूक्रेन में चला गया.

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रूस और यूक्रेन के बीच तनाव बढ़ गया है और यूक्रेन के कई हिस्सों से गोलियों की आवाजें सुनी जा रही हैं. इस स्थिति में भी, कादिसोव को उम्मीद है कि यूक्रेन की सेना रूस पर जीत हासिल करेगी.

उनका कहना है कि यूक्रेन की सेना 2014 की तुलना में अब अधिक मजबूत है और निश्चित रूप से जीतेगी. कुडोसोव को भी उम्मीद है कि यूक्रेन क्रीमिया को फिर से मिलाएगा. वे कहते हैं, ‘‘क्रीमियन तातार निश्चित रूप से वापस आएंगे.’’

सोरिना सेतोलिव के अनुसार, मेरे दादा-दादी को 45साल के लिए निर्वासित और जेल में डाल दिया गया था, लेकिन उन्होंने हमेशा मुझसे कहा कि हम एक दिन लौटेंगे और वह दिन आया जब हम लौट आए. सोरिना सेतोलिव की शादी एक क्रीमियन तातार मुस्लिम से हुई है.

वह एक तातार रेस्तरां चलाती हैं, जो गर्म रेत सूप, पेस्ट्री पकौड़ी और पारंपरिक तुर्की कॉफी परोसती है. उनका यह भी मानना है कि एक दिन क्रीमिया फिर से यूक्रेन का हिस्सा होगा. यूक्रेन ने तातारों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए कई कदम उठाए हैं और देश के हर पहलू में योगदान दे रहा है.

कैमिला युरचेंको यूक्रेन के मुसलमानों के धार्मिक प्रशासन में काम करती है. उनका कहना है कि तातार अल्पसंख्यक यूक्रेन के मुस्लिम समुदाय का अभिन्न अंग है. यूक्रेन में लगभग 400,000 मुसलमानों की आबादी है, जिनमें से अधिकांश क्रीमियन तातार हैं. इसके अलावा, यूक्रेन की राजधानी कीव में लगभग दस लाख मुसलमान हैं.

उनमें से ज्यादातर उज्बेकिस्तान, अजरबैजान और कजाकिस्तान में रहते हैं.

कीव की अल-रहमा मस्जिद में, बच्चे अपनी मातृभाषा में अध्ययन कर सकते हैं, जिसमें क्रीमियन तातार भी शामिल है. अल अरबिया न्यूज से बात करते हुए, क्रीमियन तातार नेशनल मूवमेंट के अंतरराष्ट्रीय मामलों के सलाहकार, हाकन क्रेमली ने कहा कि रूसी हमला टाटारों के लिए एक पूर्ण आत्महत्या होगी.

उन्होंने याद किया कि 1944 में रूस ने तातार को निर्वासन में भेज दिया था. उन्होंने कहा, ‘‘वे किसी भी कीमत पर यूक्रेन में रहेंगे और किसी भी तरह से रूस नहीं जाना चाहेंगे.‘‘

साथ ही, उनका कहना है कि तातार मुसलमानों पर रूसी हमले का यूक्रेन में अन्य समुदायों पर समान प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि यूक्रेनी सरकार धार्मिक आधार पर विभाजित नहीं है.