भारत समेत छह देशों का चंद्रमिशन तेजी पर, चंद्रयान-3 के साथ भारत आगे

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] • 1 Years ago
दुनिया के देशों में चंद्रमिशन की होड़
दुनिया के देशों में चंद्रमिशन की होड़

 

मंजीत ठाकुर/ नई दिल्ली

ऐसा लगता है दुनिया के सारे देश अगले साल चांद को पिकनिक स्पॉट में बदल देंगे. दुनियाभर के कम से कम छह देश अपने-अपने चंद्र मिशनों पर तेजी से काम कर रहे हैं. कई कंपनियों के अलावे भारत, जापान, रूस, दक्षिण कोरिया, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका के कम से कम छह मिशन चांद पर अपने अभियान भेजने वाले हैं.

इसकी शुरुआत अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के 93 अरब डॉलर की लागत वाले आर्टेमिस कार्यक्रम से हो सकती है जो इसी साल लॉन्च होने वाला है. यह चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की दिशा में पहला कदम है. लेकिन अमेरिका कई देशों की फेहरिस्त में बस पहला ही नाम है और कई सारी निजी कंपनियां हैं जो अपने चंद्र मिशनों की शुरुआत कर रही हैं वैज्ञानिकों का कहना है कि चंद्र अन्वेषण का एक नया स्वर्ण युग हो सकता है.

लेकिन इतने सारे अभियानों के पीछे सिर्फ वैज्ञानिक अनुसंधान ही नहीं है. कई देश और व्यावसायिक खिलाड़ी अब चांद पर जाने की तैयारी इसलिए कर रहे हैं ताकि वे अपने तकनीकी कौशल का प्रदर्शन कर सकें. खासतौर पर इसलिए भी क्योंकि चांद पर पहुंचना पहले के मुकाबले कहीं आसान और सस्ता भी हो गया है.

विज्ञान पत्रिका नेचर में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण कोरिया का कोरियाई पाथफाइंडर लूनर ऑर्बिटर (KPLO), "कोरिया की अंतरिक्ष अन्वेषण क्षमता को सुरक्षित और सत्यापित करने और चंद्रमा के नए वैज्ञानिक माप प्राप्त करने के लिए पहला कदम है".

चार अन्य देश भी 2022 में चंद्रमा पर पहुंचने के लक्ष्य पर काम कर रहे हैं. जापान का एसएलआइएम (स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेशन द मून) केइसी साल लॉन्च होने की संभावना है. वह मिशन या टोक्यो स्थित कंपनी आईस्पेस द्वारा किया जा रहा है और जापान का चंद्रमा पर पहुंचने का यह का पहला प्रयास होगा.

जापान का एसएलआइएममिशन चंद्रमा पर अत्यधिक सटीक लैंडिंग करने के उद्देश्य से रणनीतियों का परीक्षण करेगा. फोटो क्रेडिट: JAXA


भारत का चंद्रयान-3, फिलहाल तोआधिकारिक तौर पर एक अगस्त को लॉन्च होना है लेकिन नेचर पत्रिका के मुताबिक, इसमें देरी हो सकती है.भारत के पिछले चंद्र लैंडर मिशन की विफलता के बाद, भारत चांद की सतह पर लैंडर और रोवर लाने का दूसरी बार प्रयास करेगा.

रूस भी चांद पर अपना मिशन फिर से शुरू कर रहा है. 1976 में सोवियत संघ के पिछले चंद्र लैंडर मिशन के बाद से चंद्रमा की सतह पर देश फिर से यान भेजने की तैयारी में है और दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में जुलाई में लॉन्च के लिए निर्धारित रूस का लूना -25 लैंडर पूरी तरह तैयार है.

नेचर के मुताबिक, संयुक्त अरब अमीरात भी चांद की सतह पर यान भेजने के अपने अंतरिक्ष मिशन की शुरुआत कर रहा है. राशिद नाम के रोवर के साथ चंद्र मिशन, इस साल के अंत में लॉन्च होने वाला है. 

संयुक्त अरब अमीरात का राशिद रोवर. फोटो क्रेडिट: एमबीआरएससी/ नेचर


यूएई द्वारा भेजा जा रहा मिशन चांद की ओर भेजा जा रहा पहला वाणिज्यिक मिशन भी होगा.  राशिद को आईस्पेस द्वारा विकसित एक लैंडर पर सतह पर ले जाया जाएगा जो कैलिफोर्निया के हॉथोर्न में स्पेसएक्स द्वारा डिजाइन किए गए रॉकेट के जरिए चांद की कक्षा में पहुंचेगा. अन्य कंपनियां भी नासा कार्यक्रम के हिस्से के रूप में चंद्रमा की ओर बढ़ रही हैं, जो दुनिया में चांद की तरफ कमर्शियल ट्रिप्स की शुरुआत मानी जानी चाहिए.

कुछ देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां बस अपने अभियानों के बारे में थोड़ी-बहुत जानकारी ही साझा कर रही हैं. वह अपने अभियानों की बस तारीखों के बारे में बता रही हैं और उनकी तारीखों में भी तेजी से बदलाव आता दिखता है. वैज्ञानिकों ने रूस-यूक्रेन युद्ध को भी रूस के मिशन में देरी की वजह बताया है. लेकिन जानकारों का मानना है कि इसका असर दुनिया के अन्य देशों के अभियानों पर भी पड़ेगा.

दक्षिण कोरिया का लक्ष्य इस साल अपने कोरिया पाथफाइंडर लूनर ऑर्बिटर को लॉन्च करना है. इमेज क्रेडिट: एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी / मालिन स्पेस साइंस सिस्टम्स


हालांकि, इन चंद्रमिशनों को लेकर वैज्ञानिक समुदाय में उत्साह तो है लेकिन उनकी कामयाबी को लेकर कोई गारंटी नहीं दी जा सकती है. भारत के चंद्रयान-2 ने सारा मिशन कामयाबी से पूरा किया था लेकिन इसका लैंडर और रोवर आखिरी क्षणों में क्रैश कर गया था. इज्राएल का चुपचाप तैयार किया गया बेरेशीट लैंडर भी सतह से टकरा गया था.

चीन के चांग'ए -4 और चांग'ए -5 मिशन अपेक्षया अधिक सफल थे, जिन्होंने 2019 से लैंडर और रोवर के साथ सतह से डेटा एकत्र किया है, और 2020 में चंद्र रेजोलिथ, या मिट्टी के नमूने पृथ्वी पर लौटा लाने में कामयाबी हासिल की है. चीन 2024 में लॉन्च करने के लिए अपने अगले नमूना-वापसी मिशन, चांग'ई -6 की योजना बना रहा है.

पिछले अनुभवों के लिहाज से ऐसा कहना मुश्किल है कि चांद पहुंचने की कोशिश में सातों देश कामयाब हो ही जाएंगे.

चंद्रयान 3 पर रहेगी सबकी निगाह

चंद्रयान-2 के रोवर की लैंडिंग के विफल  रहने के बाद इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान) का सारा ध्यान लैंडर और रोवर को चांद की सतह पर सुरक्षित उतारने पर है. इस साल लॉन्च होने वाले अन्य मिशनों की तरह भारत भी चांद के दक्षिणी ध्रुव के नजदीक पठारी इलाके में लैंडिग करवाने की योजना में हैं.

नेचर के मुताबिक, भारत के चंद्रयान-3 में भी लैंडर और रोवर चंद्रयान-2 जैसे ही होंगे लेकिन इसमें कामयाब लैंडिंग को सुनिश्चित करने के लिए कुछ जरूरी बदलाव किए गए हैं. इस मिशन में इस बार एक सिस्मोमीटर भी लगाया जाएगा, इसके साथ ही चांद पर गर्मी के फ्लो (हीट फ्लो) और स्पैक्ट्रोमीटर भी लगाया जाएगा.

हालांकि, फरवरी में इसरो ने घोषणा की थी कि यह मिशन (चंद्रयान-3) अगस्त में लॉन्च होगा, लेकिन उसके बाद से मिशन के आगे बढ़ने के बारे में काफी कम ब्योरे जारी किए गए हैं.

हालांकि, भारत की चांद पर हासिल की गई कामयाबियां बेहतरीन कही जा सकती हैं, चंद्रयान -1 मिशन में 2008 में भारत ने नासा के एक उपकरण के जरिए चांद की सतह पर पानी की खोज की थी साथ ही यह भी बताया था कि चांद के ध्रुवों पर बर्फ भी मौजूद हो सकती है. इस खोज से भी दुनिया के बाकी देशों की चांद में दिलचस्पी बढ़ी है.