सोमनाथ मंदिर के पास मस्जिद, दरगाह और कब्रिस्तान को गिराने की निंदा करते हैं: जमाअत-ए-इस्लामी हिन्द

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 01-10-2024
We condemn the demolition of mosque, dargah and graveyard near Somnath temple: Jamaat-e-Islami Hind
We condemn the demolition of mosque, dargah and graveyard near Somnath temple: Jamaat-e-Islami Hind

 

नई दिल्ली

एक बयान में जमाअत-ए-इस्लामी हिन्द के उपाध्यक्ष मलिक मोतसिम खान ने कहा, "हम गुजरात के गिर सोमनाथ जिले में मस्जिद, दरगाह और लगभग 500 साल से अधिक पुराने कब्रिस्तान को हाल ही में ध्वस्त किये जाने की कड़ी निंदा करते हैं.

संबंधित प्राधिकारियों की कार्रवाई सर्वोच्च न्यायालय के स्थगन आदेश का घोर उल्लंघन और अवहेलना है. 28 सितम्बर की सुबह घटित यह सुनियोजित कार्रवाई हमारी न्यायिक प्रक्रिया को विचलित करने वाला उल्लंघन तथा स्थानीय मुस्लिम समुदाय की भावनाओं की अवहेलना है.

महज दस दिन पहले, सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से आदेश दिया था कि जब तक कि न्यायालय द्वारा विशेष अनुमति मांगी न जाए और प्रदान न की जाए, देश भर में सभी प्रकार के ध्वस्तीकरण कार्यों पर रोक लगाई जाए.
 यह अत्यंत चिंताजनक है कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्देश की अनदेखी कर विकास और अतिक्रमण विरोधी अभियान की आड़ में जल्दबाजी में ध्वस्तीकरण अभियान चलाया जा रहा है."

मलिक मोतसिम खान ने कहा, "हालांकि हम शहरी विकास और कानून के शासन के महत्व को समझते हैं, लेकिन धार्मिक और ऐतिहासिक संरचनाओं, विशेष रूप से अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित संरचनाओं को ध्वस्त करना एक अत्यंत संवेदनशील मामला है और इसे एकतरफा और कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना नहीं किया जाना चाहिए.

यह न केवल न्याय का उल्लंघन होगा बल्कि संविधान की भावना के भी विरुद्ध होगा। हम केंद्र सरकार से तत्काल कार्रवाई करने की मांग करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस तरह की तोड़फोड़ और कानून एवं न्यायिक आदेशों का घोर उल्लंघन दोबारा न हो.

 जमाअत-ए-इस्लामी हिन्द इस कृत्य के लिए जवाबदेही और धार्मिक संरचना की तत्काल बहाली की मांग करती है. हम आशा करते हैं कि हमारे लोकतांत्रिक राष्ट्र में सभी समुदायों के अधिकारों का, चाहे वे किसी भी धर्म या पृष्ठभूमि के हों, सम्मान किया जाएगा."