नई दिल्ली. आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में भारत में व्यक्तियों और संगठनों द्वारा प्रदान किए गए अमूल्य योगदान और निस्वार्थ सेवा को पहचानने और सम्मानित करने के उद्देश्य से गृह मंत्रालय ने आपदा प्रबंधन में उत्कृष्ट कार्य के लिए सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार 2022 के लिए व्यक्तिगत श्रेणी में प्रोफेसर विनोद शर्मा और संस्थागत श्रेणी में गुजरात आपदा प्रबंधन संस्थान का चयन किया है. एमएचए ने सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार के रूप में जाना जाने वाला एक वार्षिक पुरस्कार स्थापित किया है, जिसे हर साल 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर घोषित किया गया है. पुरस्कार में 51 लाख रुपये का नकद पुरस्कार और संस्था के मामले में एक प्रमाण पत्र और 5 लाख रुपये और एक व्यक्ति के मामले में एक प्रमाण पत्र दिया जाता है.
इस वर्ष पुरस्कार के लिए 1 जुलाई, 2021 से नामांकन मांगे गए थे. वर्ष 2022 की पुरस्कार योजना का प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार किया गया. पुरस्कार योजना के प्रत्युत्तर में संस्थाओं और व्यक्तियों से 243 वैध नामांकन प्राप्त हुए हैं.
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती के उपलक्ष्य में रविवार शाम को आयोजित होने वाले अलंकरण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2019, 2020 और 2021 के पुरस्कार विजेताओं के साथ उन्हें पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा.
भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के वरिष्ठ प्रोफेसर और सिक्किम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विनोद शर्मा, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन केंद्र के संस्थापक समन्वयक थे, जिसे अब राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान के रूप में जाना जाता है.
उन्हें आपदा जोखिम में कमी (डीआरआर) को राष्ट्रीय एजेंडे में सबसे आगे लाने की दिशा में अथक प्रयास करने के लिए जाना जाता है. भारत में डीआरआर में उनके अग्रणी कार्य ने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई और वे आपदा प्रबंधन के लिए लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) और सभी प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थानों (एटीआई) के लिए एक संसाधन व्यक्ति हैं. सिक्किम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के रूप में, उन्होंने जलवायु परिवर्तन और डीआरआर को जोड़ने, पंचायत स्तर की तैयारी योजनाओं की शुरूआत करते हुए सिक्किम को डीआरआर को लागू करने में एक आदर्श राज्य बनाया है.
गुजरात आपदा प्रबंधन संस्थान (जीआईडीएम) 2012 में स्थापित गुजरात आपदा प्रबंधन संस्थान, गुजरात के आपदा जोखिम को कम-से-कम करने संबंधी (डीआरआर) क्षमता को बढ़ाने के लिए काम कर रहा है. रणनीतिक रूप से डिजाइन किए गए क्षमता निर्माण कार्यक्रमों की एक श्रृंखला के माध्यम से जीआईडीएम ने महामारी के दौरान 12,000 से अधिक पेशेवरों को प्रशिक्षित किया. अनुकूल गुजरात अग्नि सुरक्षा अनुपालन पोर्टल का विकास और एकीकृत रोग निगरानी परियोजना के पूरक के रूप में कोविड-19 निगरानी प्रयासों के तहत प्रौद्योगिकी आधारित उन्नत कोविड -19 सिंड्रोम निगरानी (एसीएसवाईएस) प्रणाली का विकास संस्थान की ओर से किया गया है.