उत्तरकाशी
उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में मंगलवार को बादल फटने के कारण आई भीषण बाढ़ से धराली गांव बुरी तरह प्रभावित हुआ। राहत एवं बचाव कार्यों में तेजी लाने के लिए बृहस्पतिवार को आधुनिक और उन्नत उपकरणों को धराली तक पहुंचाने की कोशिशें तेज कर दी गईं, ताकि मलबे में दबे लोगों की तलाश और विभिन्न स्थानों पर फंसे श्रद्धालुओं को सुरक्षित निकाला जा सके।
राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) के महानिरीक्षक अरुण मोहन जोशी ने जानकारी दी कि, "हमारी प्राथमिकता उन्नत उपकरणों को हवाई मार्ग से प्रभावित क्षेत्र तक पहुंचाना है। हमारी एक टीम बुधवार को सड़कों के बाधित होने के कारण मौके पर नहीं पहुंच सकी थी।"
उन्होंने बताया कि धराली गांव में करीब 50 से 60 फुट ऊंचा मलबा जमा हो गया है और कई लोग इसके नीचे फंसे हो सकते हैं। जोशी ने यह भी कहा कि उन्नत उपकरण, जैसे कि ‘ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार’ और खोजी कुत्ते, मलबे के नीचे दबे लोगों को खोजने में मददगार साबित हो सकते हैं।
उन्होंने बताया कि दूसरी प्राथमिकता उन श्रद्धालुओं को सुरक्षित निकालने की है जो विभिन्न स्थानों पर फंसे हुए हैं। अनुमान के अनुसार, इनकी संख्या 300 से 400 के बीच हो सकती है।
अधिकारियों के मुताबिक, गुरुवार सुबह 10 बजे तक 61 लोगों को हेलीकॉप्टर के माध्यम से आईटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) के मातली स्थित शिविर में लाया जा चुका है। उन्हें उनके गंतव्यों तक पहुंचाने की भी व्यवस्था की जा रही है।
आपदा के समय धराली में मौजूद स्थानीय लोग, पर्यटक, होटल निर्माण में लगे मजदूर और सेब बागानों में काम कर रहे श्रमिकों के लापता होने की आशंका है। साथ ही, निकटवर्ती हर्षिल में सेना के एक शिविर के 11 जवान भी लापता बताए जा रहे हैं।
धराली, गंगोत्री धाम की यात्रा के रास्ते में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, जो मंदिर से करीब 20 किलोमीटर पहले स्थित है।बचाव दल ने बुधवार को दो शव बरामद किए थे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राहत कार्यों की निगरानी के लिए बुधवार से ही मौके पर मौजूद हैं।
मौसम में सुधार और सड़कों से मलबा हटने के बाद राहत कार्यों में और तेजी आने की उम्मीद जताई जा रही है।गौरतलब है कि मंगलवार दोपहर बाद खीरगंगा नदी में बादल फटने के कारण अचानक आई बाढ़ ने धराली गांव का लगभग आधा हिस्सा तबाह कर दिया था।