नयी दिल्ली
पूर्व केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने सोमवार को कहा कि वक्फ कानून आस्था के संरक्षण की गारंटी और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन की प्रशासनिक व्यवस्था में ऐतिहासिक सुधार से संबंधित है।
उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग ‘‘जमीन की लूट’’ की छूट का कानूनी लाइसेंस चाहते हैं, उन्हें वक्फ सुधारों से झटका महसूस हो रहा है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता नकवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह कानून संसद की जेपीसी और दोनों सदनों में चर्चा के बाद पारित हुआ। वक़्फ़ सुधार वक़्त और वक़्फ़ दोनों की ज़रूरत है। इस कानून पर चल रहे मंथन से अमृत ज़रूर निकलेगा।’’
उनका यह भी कहना था कि वक्फ कानून आस्था के संरक्षण की गारंटी और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन की प्रशासनिक व्यवस्था में ऐतिहासिक सुधार से संबंधित है।
नकवी ने कहा, ‘‘वक़्फ संशोधन क़ानून, मुल्क का कानून है किसी मज़हब का नहीं। संसद का कानून था, और संसद ने ही इसमें सुधार किया। यह सुधार धार्मिक आस्था के संरक्षण, प्रशासनिक व्यवस्था के सुधार का है।’’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस ‘‘समावेशी सुधार पर सांप्रदायिक प्रहार करने वाले ना मुल्क के हितैषी हैं न किसी मजहब के हितैषी हैं।’’
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के कई महत्वपूर्ण प्रावधानों पर रोक लगा दी जिनमें यह प्रावधान भी शामिल है कि पिछले पांच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहे लोग ही वक्फ बना सकते हैं। हालांकि, शीर्ष अदालत ने पूरे कानून पर स्थगन से इनकार कर दिया।
न्यायालय ने वक्फ संपत्तियों की स्थिति पर निर्णय करने के लिए जिलाधिकारी को दी गई शक्तियों पर भी रोक लगा दी और वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम भागीदारी के विवादास्पद मुद्दे पर फैसला सुनाते हुए निर्देश दिया कि केंद्रीय वक्फ परिषद में 20 में से चार से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होने चाहिए, और राज्य वक्फ बोर्डों में 11 में से तीन से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होने चाहिए।