आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने ईरान के पेट्रोलियम और पेट्रोलियम उत्पादों की अवैध बिक्री में शामिल भारतीय संस्थाओं, कंपनियों और नागरिकों पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं। अमेरिका का दावा है कि इस व्यापार से मिलने वाली धनराशि तेहरान द्वारा क्षेत्रीय आतंकी संगठनों को समर्थन देने और उन्नत हथियार प्रणालियों की खरीद में उपयोग की जाती है, जो ‘‘अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए सीधा खतरा’’ है।
अमेरिका के विदेश और वित्त मंत्रालय ने संयुक्त रूप से इस कार्रवाई की घोषणा करते हुए बताया कि प्रतिबंध उन ‘शिपिंग नेटवर्क’ पर केंद्रित हैं जिनके जरिए ईरानी शासन अपनी ‘‘दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों’’ को चलाने के लिए अवैध तेल बिक्री करता है। इसके साथ ही उन एयरलाइंस और उनसे जुड़ी कंपनियों को भी निशाने पर लिया गया है जो ईरान समर्थित आतंकी समूहों को हथियार और सामग्री पहुंचाने में शामिल हैं।
प्रतिबंध सूची में शामिल भारतीय नागरिकों और कंपनियों में जैर हुसैन इकबाल हुसैन सैय्यद, जु़ल्फिकार हुसैन रिजवी सैय्यद, महाराष्ट्र स्थित आरएन शिप मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड और पुणे की टीआर6 पेट्रो इंडिया एलएलपी का नाम शामिल है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत, पनामा और सेशेल्स सहित कई देशों में फैले 17 संस्थानों, व्यक्तियों और जहाज़ों की पहचान की गई है जो ईरान के तेल व्यापार को आगे बढ़ाने में भूमिका निभा रहे थे।
इसके अतिरिक्त, अमेरिकी वित्त विभाग ने 41 संस्थाओं, व्यक्तियों, जहाज़ों और विमानों को भी निशाना बनाया है ताकि ईरान के तेल और पेट्रोकेमिकल निर्यात नेटवर्क को बाधित किया जा सके और उसकी अवैध आर्थिक गतिविधियों पर रोक लगाई जा सके।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि ईरान की इस अवैध तेल बिक्री से उत्पन्न धनराशि क्षेत्रीय आतंकी संगठनों को मजबूत करने और हथियार खरीदने में उपयोग होती है, जिससे अमेरिकी बलों और सहयोगी देशों की सुरक्षा को प्रत्यक्ष खतरा पैदा होता है।