शहरी भारतीय बीमित तो हैं, लेकिन अब भी आर्थिक जोखिम में: रिपोर्ट

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 27-06-2025
Urban Indians are insured, but still at financial risk: Report
Urban Indians are insured, but still at financial risk: Report

 

नई दिल्ली

किसी न किसी प्रकार का स्वास्थ्य बीमा मौजूद हो।रिपोर्ट में एक प्रमुख चिंता यह जताई गई है कि मौजूदा बीमा पॉलिसियां वास्तव में लोगों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिहाज से अपर्याप्त हैं। औसतन टर्म इंश्योरेंस कवरेज आवश्यक दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता की तुलना में 30-50 प्रतिशत तक कम है, जिससे आपात स्थिति में बीमाधारकों की तैयारी कमजोर पड़ जाती है।

डिजिटल साक्षरता में वृद्धि और बीमा उत्पादों की बढ़ती उपलब्धता के बावजूद, रिपोर्ट चेतावनी देती है कि अधिकांश भारतीय अब भी एक गंभीर आपातकाल से आर्थिक संकट में जा सकते हैं।

यह रिपोर्ट बीमा से जुड़े व्यवहार को पांच प्रमुख पहलुओं के माध्यम से समझती है:

  1. महंगाई और बीमा कवरेज के बीच अंतर

  2. जेनरेशन ज़ी (Gen Z) द्वारा बीमा खरीद में देरी

  3. कार्यरत महिलाओं का बीमा कवरेज कम होना

  4. ग्रामीण और शहरी भारत के बीच असमानता

  5. और बीमा क्षेत्र में भरोसे और पारदर्शिता को बढ़ाने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका।

महिलाओं की बीमा स्थिति पर खास फोकस:
रिपोर्ट बताती है कि केवल 19 प्रतिशत कामकाजी महिलाओं के पास उनके नाम पर जीवन बीमा है, जबकि वे परिवार की आमदनी में सक्रिय योगदान देती हैं। 61 प्रतिशत मामलों में बीमा पॉलिसी उनके लिए किसी और ने खरीदी होती है, न कि उन्होंने खुद। इससे उनके निर्णय लेने की स्वतंत्रता पर सवाल उठते हैं। साथ ही, 64 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि बीमा उनके लिए "बहुत जटिल" है, जिससे जानकारी और प्रक्रिया को सरल बनाने की जरूरत उजागर होती है।

Gen Z की मानसिकता और जोखिम:
21 से 30 वर्ष की उम्र के जेनरेशन ज़ी में 83 प्रतिशत युवा बीमा उत्पादों पर रिसर्च करते हैं, लेकिन केवल 36 प्रतिशत ने ही वास्तव में बीमा खरीदा है। 62 प्रतिशत का मानना है कि “बीमा इंतजार कर सकता है,” जो यह दर्शाता है कि वे इसे तत्काल आवश्यकता नहीं मानते। यह सोच भविष्य में अचानक किसी स्वास्थ्य या जीवन संकट के समय आर्थिक जोखिम का कारण बन सकती है।

उच्च आय वर्ग और बीमा भ्रम:
₹25 लाख से अधिक वार्षिक आय वाले लोग अक्सर मानते हैं कि उनकी कमाई ही वित्तीय सुरक्षा के लिए काफी है। हालांकि, जहां उनकी आय निम्न आय वर्ग की तुलना में 5-8 गुना तक होती है, वहीं उनका टर्म इंश्योरेंस कवरेज सिर्फ 2.5 गुना ही बढ़ता है। ये लोग आमतौर पर नियोक्ता द्वारा दी गई ग्रुप इंश्योरेंस योजनाओं पर निर्भर रहते हैं, जो अक्सर गंभीर बीमारियों के लिए कवरेज नहीं देतीं और नौकरी बदलने पर अमान्य हो जाती हैं।

ग्रामीण भारत में बीमा जागरूकता की कमी:
ग्रामीण क्षेत्रों में बीमा के प्रति जागरूकता अब भी सीमित है। हालांकि प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY) और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY) जैसी योजनाओं से बीमा कवरेज बढ़ी है, लेकिन अधिकांश लोगों को पॉलिसियों की शर्तों, लाभ, अपवाद और दावे की प्रक्रिया के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं है।

बजाजकैपिटल के नेताओं की टिप्पणियाँ:

बजाजकैपिटल के संयुक्त अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक संजीव बजाज ने कहा,
"बीमा मौत या बीमारी के बारे में नहीं है, यह सम्मान और आत्मनिर्भरता के बारे में है। बीमा खरीदते समय आप दुर्भाग्य की उम्मीद नहीं कर रहे होते, बल्कि अपने परिवार के भविष्य को सुरक्षित कर रहे होते हैं।"

बजाजकैपिटल इंश्योरेंस ब्रोकिंग लिमिटेड के सीईओ वेंकटेश नायडू ने कहा,
"भारत बीमा की दिशा में बढ़ तो रहा है, लेकिन यह गति और गहराई अभी पर्याप्त नहीं है।"

रिपोर्ट यह संकेत देती है कि भारत को बीमा कवरेज के दायरे और प्रभाव को तेजी से और व्यापक रूप से बढ़ाने की आवश्यकता है, ताकि देश की आर्थिक सुरक्षा मजबूत की जा सके।