लखनऊ. पहले अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करने में उलझे, इसके बाद भूमि उपयोग परिवर्तन (सीएलयू) में देरी के कारण उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले में धन्नीपुर मस्जिद के निर्माण का इंतजार आखिरकार जल्द ही खत्म होने वाला है. एडीए के अध्यक्ष और अयोध्या संभागीय आयुक्त गौरव दयाल ने बताया कि भूमि उपयोग में बदलाव के मुद्दे पर फैसला इसी सप्ताह लिया जाएगा.
राज्य सरकार द्वारा दी गई पांच एकड़ भूमि पर इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (प्प्ब्थ्) ट्रस्ट द्वारा एक मस्जिद, एक अस्पताल, एक शोध संस्थान, एक सामुदायिक रसोई और एक पुस्तकालय का निर्माण किया जाना है. लैंड यूज चेंज का मामला पिछले चार महीने से अयोध्या विकास प्राधिकरण (एडीए) के पास लंबित है. इस सप्ताह तक इसका समाधान होने की उम्मीद है.
एडीए के अध्यक्ष और अयोध्या संभागीय आयुक्त गौरव दयाल ने बताया कि भूमि उपयोग में बदलाव के मुद्दे पर फैसला इसी सप्ताह लिया जाएगा. गौरव दयाल ने बताया, ‘‘हमें सरकार से निर्देश मिले हैं. इस मुद्दे पर सोमवार को सुनवाई होगी और इस सप्ताह फैसला लिया जाएगा.’’
आईआईसीएफ ट्रस्ट के स्थानीय ट्रस्टी अरशद खान ने कहा कि जुलाई 2020 में एक आवेदन दिया गया था, जिसमें धन्नीपुर गांव में आवंटित भूमि पर मस्जिद, अस्पताल, अनुसंधान संस्थान, सामुदायिक रसोई और पुस्तकालय के निर्माण की मंजूरी मांगी गई थी. उन्होंने कहा, ‘‘जब हमने भूमि उपयोग के परिवर्तन के लिए आवेदन किया, तो एडीए ने कहा कि आवेदन ऑनलाइन किया जाना चाहिए. ऐसा करने में ट्रस्ट की असमर्थता जताने पर प्राधिकरण के लोगों ने ऑनलाइन आवेदन दाखिल किया. जैसा कि आवेदन ऑनलाइन जमा किया गया था. दस्तावेजों को हासिल करने में ट्रस्ट को एक साल से अधिक का समय लगा.’’
उन्होंने कहा, ‘‘जब मामला तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट के संज्ञान में लाया गया, तो उन्होंने हमें एनओसी दिलाने में मदद की. एनओसी आने के बाद पिछले साल अक्टूबर में लैंड यूज चेंज का मुद्दा उठा.’’ खान ने कहा कि जब भी एडीए से लैंड यूज चेंज में देरी के बारे में पूछा जाता है, तो वह कहता है कि बोर्ड की अगली बैठक में इस मामले को सुलझा लिया जाएगा.
9 नवंबर, 2019 को एक ऐतिहासिक फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में एक विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण का आदेश दिया और सरकार से जिले में एक प्रमुख स्थान पर मस्जिद के निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन आवंटित करने को कहा.
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