भूकंप से तबाह तुर्की के लोग भारत की दोस्ती के मुरीद

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 19-02-2023
तबाही से उबरने के लिए तुर्की को ‘असली’ एर्तगुल गाजी का इंतजार, भारत की दोस्ती का मुरीद बना
तबाही से उबरने के लिए तुर्की को ‘असली’ एर्तगुल गाजी का इंतजार, भारत की दोस्ती का मुरीद बना

 

रावी द्विवेदी 

तुर्की में 6 फरवरी को आए जलजले के 15 दिन बीत चुके हैं. अभी तक मलबा समेटने का काम तो पूरा नहीं हो पाया है लेकिन तुर्की की सरकार ने उसमें लाशें ढूढ़ना बंद करने का ऐलान कर दिया है. हालांकि, अब भी तमाम लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका जताई जा रही है, लेकिन जो जिंदा बचे हैं, उन्होंने अपनी जिंदगी को ढर्रे पर पर लाने की जद्दोजहद शुरू कर दी हैं. उन्हें अब इंतजार है तो असली एर्तगुल गाजी का, जो तूफान से तबाह तुर्की को उबारने और उसके भविष्य को शानदार बनाने की नींव रख सके. इस बीच, दुनियाभर से मदद पहुंचने का सिलसिला जारी रहा है, और भारत भी इसमें पीछे नहीं रहा है. भारत ने इस कठिन समय में ऑपरेशन दोस्त के जरिये तुर्की की मदद करके वहां के लोगों के मन में खास जगह बना ली है.

तुर्की-सीरिया में जलजले की जानकारी मिलते ही भारत तुरंत हरकत में आ गया था और 12 घंटे के अंदर मदद भेजने का सिलसिला शुरू कर दिया गया था. भारत ने बड़ी मात्रा में राहत सामग्री, भोजन, कपड़े, दवाएं आदि भेजने के साथ राहत एवं बचाव अभियान में मदद के लिए एनडीआरएफ की टीमें रवाना कीं.

इसके अलावा बड़ी संख्या में सैन्यकर्मी भी भेजे जिन्होंने अस्थायी सैन्य अस्पताल बनाकर घायलों का इलाज किया. एनडीआरएफ की टीम ने दो लोगों को जिंदा बचाया और सैकड़ों शवों को निकालने में मदद की.

भारत की कई निजी संस्थाएं भी मदद मुहैया कराने में पीछे नहीं रहीं. गौरतलब है कि आजादी के एक साल बाद भारत-तुर्की के बीच राजनयिक संबंध कायम हुए थे. लेकिन शीतयुद्ध के दौरान तुर्की के अमेरिका-समर्थक रुख के कारण भारत के साथ उसके रिश्तों में तल्खी आ गई और पिछले कई दशकों में द्विपक्षीय संबंधों में काफी उतार-चढ़ाव आए.

हालांकि, कश्मीर जैसे मसलों पर तुर्की के रुख के चलते ये कभी बहुत सामान्य नहीं हो पाए. और ऐसे में भारत के इतनी सक्रियता से ‘ऑपरेशन दोस्त’ शुरू किए जाने की दुनियाभर में तारीफ तो होनी ही थी. खुद तुर्की सरकार ही नहीं वहां के आम लोग भी भारत की दरियादिली से अभिभूत हैं.

संकट में मदद के लिए हर किसी ने सराहा

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वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा में भरोसा रखने वाले भारत ने भूकंप प्रभावित क्षेत्रों के लिए सात करोड़ रूपये से अधिक मूल्य की जीवन रक्षक दवाएं, सुरक्षा सामग्री, अहम स्वास्थ्य सेवा उपकरण आदि भेजे थे.

तुर्की के भारत स्थित दूतावास ने शुक्रवार को जारी एक ट्वीट में भारत को दोस्त बताते हुए इस कठिन वक्त में मदद के लिए उसका आभार जताया. उधर, तुर्की में भी लोग भारतीय टीम की सराहना करते नहीं थके.

सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में लोगों ने भारत का आभार जताया. एक सोशल मीडिया यूजर ने लिखा, ‘ये जंग के लिए नहीं आए हैं, बल्कि हमें बचाने के लिए फरिश्ता बनकर आए हैं. ऑपरेशन दोस्त टीम का बहुत-बहुत आभार.’ एक अन्य ने लिखा कि मानवता ही दुनिया का सबसे बड़ा धर्म है, और यही भारतीय संस्कृति की आत्मा में समाया हुआ है.’ भारत के ऑपरेशन दोस्त ने तुर्कीवासियों को उसका कायल बना दिया है.

एनडीआरएफ टीम को तालियों के साथ विदाई

भारत ने किस कदर वहां के लोगों के दिलों में अपनी जगह बना ली है, यह हाल में वायरल एक फोटो से भी जाहिर होता है. इसमें एक भूकंप पीड़ित महिला राहत एवं बचाव अभियान में मदद करने वाली एक भारतीय महिला सैन्य कर्मी का माथा चूमते नजर आ रही है.

भारत की तरफ से एनडीआरएफ की तीन टीमें तुर्की भेजी गई थीं. इसमें 100 सदस्यों वाली दो टीमें शुक्रवार को देश लौट आईं जबकि तीसरी टीम रविवार को लौटी. पहली बार, इस बल की पांच महिलाकर्मी भी अंतरराष्ट्रीय अभियान पर गई थीं. टीम के साथ छह श्वान का दस्ता भी भेजा गया था और मलबे के नीचे दबे लोगों का पता लगाने में इसने काफी मदद की.

गाजियांटेप प्रांत के नुरदागी में एनडीआरएफ कर्मियों ने दो लोगों को मलबे से जिंदा निकाला और 85 शव भी खोजे. वहीं हताय प्रांत में भी एनडीआरएफ टीम ने पूरी सक्रियता से अभियान चलाया.

नडीआरएफ टीम की मदद की स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ आम लोगों ने भी काफी तारीफ की. यहां तक कि जब एनडीआरएफटी की टीमें वहां से रवाना हो रही थीं तो उन्हें एयरपोर्ट पर तालियां बजाकर बेहद सम्मान के साथ विदाई दी गई.

एर्तगुल गाजी फेम अभिनेता ने भी संभाला मोर्चा

दुनियाभर से मिल रही मदद के बीच तुर्की की कई प्रमुख हस्तियों ने भी राहत एवं बचाव अभियान में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया, जिसमें तुर्की की बेहद लोकप्रिय सीरीज एर्तगुल गाजी फेम अभिनेता एंजिन एल्टन दुजयांतन भी शामिल हैं.

उन्होंने अपने इंस्टग्राम पर वीडियो साझा करके लोगों से मदद की अपील भी की थी. गौरतलब है कि तुर्की के एक ऐतिहासिक किरदार एर्तगुल गाजी पर केंद्रित यह सीरीज कई देशों में खासी पसंद की जाती है.

हालांकि, एर्तगुल गाजी के बारे में बहुत ब्योरा तो उपलब्ध नहीं हैं लेकिन उपलब्ध जानकारी बताती हैं कि वह ऑटोमन या उस्मानिया शासन की स्थापना करने वाले उस्मान प्रथम के पिता थे. एर्तगुल गाजी कायी जनजाति के थे और इस जनजाति का नेतृत्व करने वाले अपने पिता सुलेमान शाह की मौत के बाद मंगोलों के हमले से बचने के लिए अनातोलिया जाकर बस गए थे. यहां पर उनका और उनके अनुयायियों का बीजाइन्टिन साम्राज्य के साथ टकराव हुआ और आखिरकार ऑटोमन शासन की नींव पड़ी.

जीवन पर पटरी पर लाने की कवायद तेज

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तुर्की का अधिकांश हिस्सा अनातोलिया टेक्टोनिक प्लेट पर बसा है जो दो प्रमुख प्लेटों यूरेशियन और अफ्रीकन के अलावा अरेबियन प्लेट के भी मध्य में स्थित है. इस तरह यह देश कई फाल्ट लाइन पर टिका है और यही वजह है कि इसे पहले भी कई बार विनाशकारी भूकंप झेलने पड़े हैं.

लेकिन सदियों से कई जंग और हमलों में बुरी तरह उजड़ा और फिर नए सिरे से बसा यह देश एक बार फिर खुद को खड़ा करने की कोशिश में जुट गया है. मलबे में जिंदगियों को तलाशने का अभियान पूरा होने के बाद पुनर्निर्माण शुरू करने की तैयारी है.

नए घरों को बनाने की जिम्मेदारी देश की हाउसिंग डेवलपमेंट अथॉरिटी संभालेगी. तुर्की के पर्यावरण और शहरी विकास मामलों के मंत्री मुरत कुरुम ने दो दिन पहले बताया था कि भूकंप प्रभावित 10 प्रांतों में 684,000 से ज्यादा घरों का जायजा लिया गया.

समें पता चला है कि करीब 84 हजार घर या तो भूकंप में ध्वस्त हो चुके हैं, या फिर इतने क्षतिग्रस्त हैं कि उन्हें गिराने की जरूरत पड़ेगी. वहीं, राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोगुन ऐलान कर चुके हैं कि नए घरों को बनाने का मार्च में शुरू हो जाएगा और इसे अगले एक साल में पूरा कर लिया जाएगा.

अब देखना यह होगा कि क्या एर्दोगन तुर्की को इस तबाही से उबारकर नए मुकाम पहुंचाने वाले अपने देश के लोगों के लिए एक और एर्तगुल गाजी साबित हो पाएंगे.

 
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