उमर खालिद, शरजील इमाम व अन्य 7 को 2020 दिल्ली दंगों के मामले में ज़मानत नहीं

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 02-09-2025
Umar Khalid, Sharjeel Imam and 7 others denied bail in 2020 Delhi riots case
Umar Khalid, Sharjeel Imam and 7 others denied bail in 2020 Delhi riots case

 

नई दिल्ली:

दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को 2020के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़ी बड़ी साज़िश के मामले में कार्यकर्ता और जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य सात आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया।

न्यायमूर्ति नवीन चावला और शालिंदर कौर की खंडपीठ ने खालिद और इमाम के साथ-साथ मोहम्मद सलीम खान, शिफा-उर-रहमान, अतहर खान, मीरान हैदर, शादाब अहमद, अब्दुल खालिद सैफी और गुलफिशा फातिमा की ज़मानत याचिकाएं भी खारिज कर दीं।

गौरतलब है कि उमर खालिद और शरजील इमाम की ज़मानत याचिकाएं 2022से लंबित थीं। उनके वकील ने कहा कि इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी।

इससे पहले, हाईकोर्ट की एक अन्य पीठ ने इसी केस में आरोपी तस्लीम अहमद की ज़मानत याचिका भी खारिज कर दी थी।

'हिंसा के मास्टरमाइंड'

दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य आरोपियों को दिल्ली दंगों की साज़िश के "मास्टरमाइंड" बताया है। इन पर गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम - UAPA के तहत आरोप लगाए गए हैं।

फरवरी 2020में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध के दौरान हुई सांप्रदायिक हिंसा में 50से अधिक लोगों की मौत हुई थी और 700से ज़्यादा लोग घायल हुए थे।

उमर खालिद को सितंबर 2020में गिरफ्तार किया गया था और तब से वह जेल में हैं। दिसंबर 2023में उन्हें अपने परिवार में शादी समारोह में शामिल होने के लिए 7दिन की अंतरिम ज़मानत दी गई थी।

बचाव पक्ष की दलीलें

सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने दलील दी कि आरोपी चार साल से अधिक समय से हिरासत में हैं और ट्रायल की गति भी काफी धीमी है, इसलिए उन्हें ज़मानत मिलनी चाहिए।

सरकार की आपत्ति

वहीं, अभियोजन पक्ष की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ज़मानत का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह दंगे पूर्व-नियोजित थे और इनका मकसद भारत को वैश्विक स्तर पर बदनाम करना था।

SG मेहता ने दलील दी, “अगर आप अपने देश के खिलाफ कुछ करते हैं, तो बेहतर है कि आप जेल में रहें जब तक कि अदालत से बरी न हो जाएं।”इस फैसले से साफ है कि अदालत ने फिलहाल आरोपियों की रिहाई को राष्ट्रहित के ख़िलाफ़ मानते हुए, मामले की गंभीरता को देखते हुए ज़मानत देने से मना कर दिया है।