नई दिल्ली. महिला सम्मान योजना पर उठे विवाद से बेपरवाह आप नेता और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक और वित्तीय सहायता योजना की घोषणा की है. इस बार यह योजना मंदिर और गुरुद्वारा पुजारियों के लिए है, जिन्हें हर महीने 18,000 रुपये मिलेंगे. इस योजना को लेकर आप, भाजपा और कांग्रेस के बीच राजनीतिक खींचतान इस साल फरवरी में दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले जारी रहने की संभावना है.
राष्ट्रीय राजधानी में विधानसभा चुनाव से पहले चुनावी लाभ के लिए हिंदू और सिख वोटों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए पुजारी ग्रंथी सम्मान योजना शुरू करने को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार की आलोचना करते हुए ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने कहा है, ‘‘यह एक चुनावी स्टंट है. उन्होंने (आप) चुनावों के लिए ऐसा किया है. सवाल यह है कि दिल्ली का मुस्लिम समुदाय पहले से ही उनके (अरविंद केजरीवाल) साथ था, कांग्रेस से निराश और कोई अन्य विकल्प न होने के कारण उन्होंने केजरीवाल को अपना पूरा समर्थन दिया और बड़ी संख्या में उन्हें वोट दिया... यही कारण है कि आप ने 2020 और 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में दो बार जीत हासिल की.’’
रशीदी ने आगे कहा, ‘‘अब आगामी विधानसभा चुनावों में मुस्लिम समुदाय के आप से दूर होकर कांग्रेस की ओर जाने की संभावना है. इसलिए आप ने दिल्ली में हिंदू और सिख वोट बैंक को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए पुजारी ग्रंथी सम्मान योजना की घोषणा की है. इससे पहले आप ने शहर की महिलाओं के लिए मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना की घोषणा की थी, जिसे अंततः दिल्ली के महिला एवं बाल विकास विभाग ने ‘अस्तित्वहीन’ घोषित कर दिया था. आप ने सबसे पहले राष्ट्रीय राजधानी में रहने वाली महिलाओं को 1,000 रुपये मासिक सहायता देने की घोषणा की थी, जिसे बाद में बढ़ाकर 2,100 रुपये कर दिया गया था. अगर आप सरकार को लगता है कि यह सही कदम है, तो उन्हें पहले विधानसभा में इस योजना को पारित करना चाहिए था और फिर आधिकारिक तौर पर इसकी घोषणा करनी चाहिए थी.’’
उन्होंने यह भी कहा कि अगर आप सरकार पुजारियों और ग्रंथियों के कल्याण के लिए गंभीर है, तो उन्हें आधिकारिक घोषणा करने से पहले विधानसभा में पुजारी ग्रंथी सम्मान योजना को पारित करना चाहिए था और इस योजना के लिए बजट आवंटित करना चाहिए था. उन्होंने कहा, ‘‘आप ने अब तक इस योजना के बारे में कुछ नहीं किया और अब घोषणा की है कि अगर वह दिल्ली में दोबारा सत्ता में आई, तो इस योजना को लागू करेगी. अगर आप सत्ता में आई भी, तो उसे पहले इसे लागू करना होगा, जो अनिश्चित है. इस योजना का मतलब यह है कि जब तक राज्य सरकार के पास पैसा है तब तक वह पुजारियों और ग्रंथियों को भत्ता देती रहेगी और सरकार जब चाहे इसे बंद कर सकती है. पुजारियों और ग्रंथियों को यह समझना चाहिए कि इस योजना से उन्हें हर महीने वेतन या बकाया नहीं मिलेगा और उनका वही हाल होगा, जो इमामों का हुआ है, जिन्हें पिछले कुछ सालों से दिल्ली सरकार ने वेतन नहीं दिया है.’’
आप सरकार की पुजारी ग्रंथी सम्मान योजना के बारे में पूछे जाने पर मौलाना अरशद नदवी ने कहा, ‘‘हम अरविंद केजरीवाल द्वारा कल की गई घोषणा का स्वागत करते हैं. हालांकि, हम 18,000 रुपये के आंकड़े से सहमत नहीं हैं, क्योंकि इसमें मंदिरों के पुजारी, गुरुद्वारों के ग्रंथी या मस्जिदों के इमाम शामिल नहीं हैं... यह राशि उन लोगों की तुलना में काफी कम है, जो मजदूरी करते हैं और जिन्हें हर महीने 18,000 से 24,000 रुपये के बीच वेतन मिलता है. आप सरकार द्वारा किए गए वादे के अनुसार केवल 18,000 रुपये प्रति माह देना इमाम, पुजारी, ग्रंथी, पादरी आदि का अपमान है. हर तरह के धार्मिक और शुभ अवसर पर लोगों को धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए पुजारी, इमाम या ग्रंथी आदि की आवश्यकता होती है, चाहे वह जन्म, मृत्यु या कोई पवित्र अवसर हो. अरविंद केजरीवाल सरकार ने इस योजना की घोषणा की हैख् जो एक स्वागत योग्य कदम है, लेकिन इसे केवल कागजों पर ही नहीं रहना चाहिए. इस योजना की घोषणा आप सरकार ने अभी की है, क्योंकि यह पहले भी की गई थी. मस्जिदों में इमामों के लिए घोषणा की गई है.’’