ओनिका माहेश्वरी / नई दिल्ली
जश्न-ए-रेख्ता के तीसरे दिन इजहारे-इश्क में केना श्री का शानदार सेशन हुआ. जिसमें इश्क पर बात हुई, कुछ मुकम्मल इश्क, कुछ अधूरा इश्क, कुछ नजरों का इश्क, कुछ इश्क ऐसा जो बस एकतरफा ही था.
केना श्री ने सेशन में मौजूद लोगों से बातें की और उनकी इश्क की दस्तानों को सुना. इस सेशन में लंदन, दिल्ली, हैदराबाद, लखनऊ और दूर-दराज से आए लोग शामिल हुए. यहां खासतौर पर जॉन एलिया साहब और उनकी प्रेमिका की प्रेम कहानी सुनाई गई.
यहां लोगों ने अपने-अपने इश्क की दास्तागोई की. यहां एक कविता पढ़ी गई, जिसका मजमून कुछ इस तरह था ‘समझदार प्रेमिका बीवी बन जाती है, बाकी कविता बन जाती हैं.’
और अंत में सेशन का निष्कर्ष ये निकला कि खुद से प्रेम और परवरदिगार से प्रेम ही सच्चा है, जो सभी बंदिशों से दूर करके आपको आजाद बनाता है.
अंत में एक नज़्म भी यहां पेश हुईः
जहां सर को झुका दिया
वहीं मैंने काबा बना दिया