There is no hidden chamber in the Ratna Bhandar of Puri's Jagannath temple: Archaeological Survey of India
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने मंगलवार को कहा कि पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार में कोई छिपा हुआ कक्ष नहीं है.
एएसआई ने हाल में रत्न भंडार की मरम्मत का काम पूरा किया है.
‘एक्स’ पर एक पोस्ट में, इन कार्यों का विवरण देते हुए, उसने कहा , ‘‘..(रत्न भंडार में) कोई छिपा हुआ स्थान नहीं है.
एएसआई ने कहा कि ‘ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर)’ सर्वेक्षण के आधार पर इसकी पुष्टि की गई.
उसने कहा है कि रत्न भंडार या खजाना दो भागों में विभाजित है - 'भीतर' रत्न भंडार और ‘बाहर’ भंडार तथा दोनों के बीच लोहे का एक गेट है, जो बाहर से बंद होता है.
उसने कहा, ‘‘ दोनों कक्षों का निरीक्षण करने के बाद, यह पता लगाने के लिए एक जीपीआर सर्वेक्षण करने का निर्णय लिया गया कि दीवारों में या फर्श के नीचे कोई छिपा हुआ कक्ष या अलमारियां तो नहीं हैं.
एएसआई ने कहा है,‘‘सितंबर 2024 में किये गये जीपीआर सर्वेक्षण की रिपोर्ट ने पुष्टि की है कि कोई छिपी हुई जगह नहीं है। रिपोर्ट के बाद, 17 दिसंबर 2024 को संरक्षण कार्य शुरू हुआ। इसकी शुरुआत भीतर और बाहर भंडार दोनों में मचान बनाकर की गई.’’
उसने बताया कि रत्न भंडार मंदिर के जगमोहन या सभा भवन के उत्तरी प्रवेश द्वार से जुड़ा हुआ है.
उसने कहा कि खोंडालाइट पत्थर से निर्मित रत्न भंडार का उद्देश्य भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और श्री सुदर्शन की बहुमूल्य वस्तुओं को रखना था.
रत्न भंडार में संरक्षण कार्य दो चरणों में किया गया। पहला चरण 17 दिसंबर, 2024 से 28 अप्रैल, 2025 तक चला तथा दूसरा 28 जून से 7 जुलाई तक चला.
रत्न भंडार का आंतरिक कक्ष 46 वर्षों के बाद पिछले वर्ष 14 जुलाई को मरम्मत कार्य और वस्तुओं की सूची तैयार करने के लिए खोला गया था.