लखनऊ. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार मदरसों की सूरत बदलने में लगी है. मरदसा बोर्ड से जुड़े छात्र अब 'दीनी तालीम' के साथ आधुनिक शिक्षा हासिल कर कामयाबी की नई इबारत लिख रहे हैं. खासकर चार सालों में परीक्षाएं नियमित की गईं, जमीन पर बैठ कर परीक्षा देने वाले छात्र अब कुर्सी मेज पर बैठ कर परीक्षा देते हैं.
यही नहीं, मदरसों में एनसीईआरटी का पाठयक्रम लागू कर उनको आधुनिक शिक्षा से जोड़े जाने का काम योगी सरकार ने किया है. मदरसों के आधुनिकीकरण के लिए इस वित्तीय बजट में 479 करोड़ रुपए का प्रस्ताव रखा गया है.
2017 में योगी सरकार आने के बाद सबसे पहले परीक्षाओं को नियमित समय पर आयोजित कराने का काम किया गया. ताकि छात्र परीक्षा देने के बाद उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए समय पर दाखिला ले पाएं. यूपी बोर्ड की तर्ज पर मदरसा बोर्ड की परीक्षाएं फरवरी में आयोजित होना शुरू हुई.
मदरसा बोर्ड के सदस्य जिरगामुद्दीन बताते हैं कि, "चार सालों में मदरसा बोर्ड में जो बदलाव हुए हैं। वह पिछले 15 से 20 सालों में नहीं हो सके. बोर्ड में परीक्षाएं कभी समय पर नहीं होती थी. इससे छात्र डिग्री कॉलेजों व विश्वविद्यालय में दाखिला नहीं ले पाते थे.
सबसे पहले परीक्षाओं को नियमित करने का काम किया गया. परीक्षाओं को सीसीटीवी से निगरानी कर उनको शुचितापूर्ण बनाया गया. पहले छात्र टाट पट्टी पर बैठकर परीक्षा देते थे, लेकिन अब कुर्सी मेज पर बैठ कर परीक्षा देते हैं.
'दीनी तालीम' के साथ एनसीईआरटी किताबों को मदरसों में लागू किया गया. परीक्षा के साथ वाइवा व प्रायोगिक परीक्षाएं होना शुरू हुईं. यूपी भाषा समिति के सदस्य दानिश आजाद बताते हैं कि, "प्रदेश में 558 अनुदानित मदरसे और करीब 17 हजार निजी मदरसे संचालित हो रहे हैं.
मदरसा छात्रों को राहत देने के लिए उनका सिलेबस कम किया गया. पहले छात्रों को 12 से 15 किताबों से पढ़ाई करनी पड़ती थी, लेकिन सिलेबस कम हो गया है, सिर्फ 7 से 8 किताबों को लागू किया गया. जो पेपर लम्बे-लम्बे आते थे, उनको सेक्शन में बांट कर छोटा किया गया. इससे छात्रों को काफी सहूलियत हुई है."