हैदराबाद
"पैग़ंबर मुहम्मद (स.अ.) की ज़िंदगी खुद एक प्यार और मोहब्बत का पैग़ाम है। आज के दौर में अतीत के शासकों के कर्मों के आधार पर लोगों के खिलाफ नफरत फैलाना गलत है।" ये विचार प्रसिद्ध बुद्धिजीवी और इतिहासकार प्रोफेसर राम पुनियानी ने आज मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (MANUU) में व्यक्त किए। वे "अमन और हमआहंगी: मज़हबी नजरिया" विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन का आयोजन इस्लामिक स्टडीज विभाग, MANUU और हेनरी मार्टिन इंस्टिट्यूट, हैदराबाद के सहयोग से किया गया है। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता प्रो. सैयद ऐनुल हसन, कुलपति, MANUU ने की।
इस अवसर पर देश-विदेश के अनेक विश्वविद्यालयों से आए धर्म, सभ्यता और सामाजिक समरसता के विशेषज्ञ, विद्वान, प्रोफेसर और शोधकर्ता बड़ी संख्या में शामिल हुए।
प्रो. सैयद ऐनुल हसन ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि हमें सच्चाई और हक़ीक़त को समझने की कोशिश करनी चाहिए और सही निष्कर्ष तक पहुँचना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज के दौर में मज़हबी और फिरकापरस्ती फ़र्क़ों को पीछे छोड़कर अकादमिक एकता और बौद्धिक हमआहंगी को बढ़ावा देना समय की मांग है, ताकि संवाद और शोध ज्ञान पर आधारित हों, न कि पूर्वाग्रहों पर।
मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी, अध्यक्ष, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और महासचिव, इस्लामिक फ़िक्ह अकैडमी (भारत), ने उद्घाटन भाषण में कहा कि इस्लाम हर इंसान को इज़्ज़त के लायक़ समझता है और हर व्यक्ति की इज़्ज़त, माल और संसाधनों की हिफाज़त करता है। उन्होंने कहा कि आज के दौर में हिंदू-मुस्लिम रिश्तों को साझा नैतिक मूल्यों के आधार पर मज़बूत बनाना सबसे बड़ी ज़रूरत है।
प्रो. मोहम्मद हबीब, अध्यक्ष, इस्लामिक स्टडीज़ विभाग और सेमिनार निदेशक ने स्वागत भाषण में कहा कि वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में मज़हबी सहिष्णुता, संवाद और सामाजिक हमआहंगी की ज़रूरत पहले से कहीं ज़्यादा महसूस की जा रही है।
डॉ. पैकियम टी. सैमुअल, निदेशक, हेनरी मार्टिन इंस्टिट्यूट, ने कहा कि इस तरह के शैक्षणिक सम्मेलनों का सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने में व्यावहारिक योगदान होता है। उन्होंने कुछ अहम सवाल भी विचार के लिए सामने रखे।
उद्घाटन सत्र का संचालन सम्मेलन समन्वयक डॉ. आतिफ इमरान, सहायक प्रोफेसर ने किया, जबकि श्रीमती ज़ीशान सारा, सहायक प्रोफेसर ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर प्रो. मोहम्मद हबीब और शोधार्थियों ज़रीना यास्मीन, मोहम्मद सालाहुद्दीन और दानिश रियाज़ द्वारा लिखित पुस्तक "रिसर्च मेथडोलॉजी एंड पब्लिकेशन एथिक्स" का विमोचन किया गया। साथ ही पिछले सेमिनार के शोध-पत्रों पर आधारित पुस्तक "पर्सपेक्टिव्स ऑन इंटरफेथ डायलॉग इन इंडिया" का भी विमोचन हुआ।