मुंबई
मध्य प्रदेश में कथित रूप से दूषित कफ सिरप के कारण 20 बच्चों की मौत के बाद, महाराष्ट्र के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) ने राज्यभर में अस्पतालों और दवा वितरकों के पास मौजूद लिक्विड ओरल फॉर्मुलेशन्स (तरल मौखिक दवाओं) की विशेष जांच और परीक्षण अभियान शुरू कर दिया है।
एफडीए ने राज्य के सभी संयुक्त आयुक्तों और औषधि निरीक्षकों को निर्देश दिया है कि वे अपने-अपने क्षेत्र के सभी दवा निर्माताओं का विवरण तुरंत प्रस्तुत करें और सरकारी, अर्ध-सरकारी अस्पतालों, निजी थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं से नमूने एकत्र करें।
यह निर्देश मंगलवार को एफडीए आयुक्त की अध्यक्षता में हुई वीडियो कॉन्फ्रेंस के बाद जारी एक परिपत्र में दिए गए।
परिपत्र के अनुसार, अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे लिक्विड ओरल फॉर्मुलेशन्स बनाने वाली सभी इकाइयों की जानकारी तत्काल दें और शक के घेरे में आए बैच को अस्पतालों व वितरकों से वापस मंगवाएं।
औषधि निरीक्षकों और सहायक आयुक्तों को निर्देश दिया गया है कि वे सरकारी/अर्ध-सरकारी अस्पतालों तथा निजी थोक व खुदरा दवा विक्रेताओं से नमूने एकत्र करें और प्राथमिकता के आधार पर परीक्षण के लिए भेजें।
मुंबई, कोकण, पुणे और नासिक संभागों के नमूने मुंबई की प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजे जाएंगे।
छत्रपति संभाजीनगर, अमरावती और नागपुर संभागों के नमूने छत्रपति संभाजीनगर की लैब में भेजे जाएंगे।
सैंपलिंग की अंतिम तिथि 9 अक्टूबर तय की गई है और इसकी रिपोर्ट प्रतिदिन Google Form के माध्यम से प्रस्तुत की जाएगी।
एफडीए ने आगे कहा कि 10 से 15 अक्टूबर तक सभी लिक्विड दवा निर्माताओं का निरीक्षण किया जाएगा। इस दौरान यह जांच की जाएगी कि:
प्रयुक्त सॉल्वेंट्स जैसे ग्लिसरीन, सोरबिटोल, प्रोपाइलीन ग्लाइकोल की गुणवत्ता सही है या नहीं
विक्रेता सत्यापन (Vendor Validation) किया गया है या नहीं
DEG और EG जैसे विषैले तत्वों की जांच के लिए मानक परीक्षण किए गए हैं या नहीं
रिकॉर्ड्स और दस्तावेजों का समुचित रखरखाव हो रहा है या नहीं
एफडीए ने चेतावनी दी कि यदि कोई निर्माता संदिग्ध सॉल्वेंट्स या मिलावटी उत्पादों का उपयोग करता पाया गया, तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह अभियान राज्य में गुणवत्ता नियंत्रण को सख्ती से लागू करने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए चलाया जा रहा है।
इससे पहले सोमवार को एफडीए ने जनता और केमिस्टों से ‘Coldrif Syrup’ का उपयोग और बिक्री तुरंत बंद करने की अपील की थी, और कहा था कि इस सिरप के बारे में नजदीकी ड्रग्स कंट्रोल अथॉरिटी को तुरंत सूचित करें।
बता दें कि मध्य प्रदेश में 20 बच्चों की मौत और 5 की हालत गंभीर बताई जा रही है। जांच में सामने आया कि बच्चों को दिए गए कफ सिरप में डायथिलीन ग्लाइकोल (DEG) और इथिलीन ग्लाइकोल (EG) जैसे जहरीले रसायन पाए गए, जिससे गंभीर किडनी संक्रमण हुआ और मौतें हुईं।