एकल बाजारों पर निर्भरता कम करे ‘ग्लोबल साउथ’, निष्पक्ष आर्थिक व्यवस्था का निर्माण करना होगा: जयशंकर

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 24-09-2025
The Global South must reduce its dependence on single markets and create a fair economic system: Jaishankar
The Global South must reduce its dependence on single markets and create a fair economic system: Jaishankar

 

न्यूयॉर्क

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र से इतर 'ग्लोबल साउथ' (विकासशील और अल्पविकसित राष्ट्र) के देशों से लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं का निर्माण करने और किसी एक आपूर्तिकर्ता या बाजार पर अपनी निर्भरता को कम करने का आह्वान किया है। उन्होंने निष्पक्ष आर्थिक व्यवस्था को बढ़ावा देने तथा दक्षिण-दक्षिण व्यापार और प्रौद्योगिकी सहयोग को मज़बूत करने पर ज़ोर दिया।

बढ़ती वैश्विक चुनौतियाँ और बहुपक्षवाद का संकट

जयशंकर ने कहा कि 'ग्लोबल साउथ' के देश आज कई गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। इनमें महामारी का झटका, यूक्रेन और गाजा में चल रहे संघर्ष, चरम जलवायु घटनाएँ, अस्थिर व्यापार और निवेश प्रवाह, तथा सतत विकास लक्ष्यों (SDG) के एजेंडे में आई "विनाशकारी" मंदी शामिल है।

उन्होंने वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की आलोचना करते हुए कहा कि बढ़ती चिंताओं के बावजूद, समाधान के लिए जिसकी ओर देखा जाता है—वह बहुपक्षवाद—स्वयं खतरे में है। जयशंकर ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय संगठन या तो अप्रभावी हो गए हैं या "संसाधनों की कमी" से जूझ रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि "समकालीन व्यवस्था की आधारशिलाएं टूटने लगी हैं" और आवश्यक सुधारों में देरी की कीमत आज सभी को स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है। उन्होंने 'ग्लोबल साउथ' से एकजुट मोर्चा प्रस्तुत करने का आग्रह किया, ताकि अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली में समान अवसर की मांग की जा सके।

आर्थिक सुरक्षा के लिए पाँच प्रमुख प्रस्ताव

जयशंकर ने ‘ग्लोबल साउथ’ की आर्थिक सुरक्षा के लिए विकासशील देशों को एक नई रणनीति अपनाने का सुझाव दिया। उन्होंने पाँच प्रमुख क्षेत्रों पर ज़ोर दिया:

  1. आपूर्ति श्रृंखलाओं में लचीलापन: ऐसी "लचीली, विश्वसनीय और लघु आपूर्ति श्रृंखलाएं" बनानी होंगी जो किसी एक आपूर्तिकर्ता या बाजार पर निर्भरता को कम करे।

  2. उत्पादन का लोकतंत्रीकरण: निष्पक्ष और पारदर्शी आर्थिक प्रथाओं के माध्यम से उत्पादन का "लोकतांत्रिकीकरण" सुनिश्चित करना।

  3. दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा: संतुलित और टिकाऊ आर्थिक संबंधों के लिए एक स्थिर वातावरण सुनिश्चित करना, जिसमें दक्षिण-दक्षिण व्यापार और निवेश शामिल हों।

  4. सुरक्षा पर ध्यान: खाद्य, उर्वरक और ऊर्जा सुरक्षा को प्रभावित करने वाले संघर्षों के तत्काल समाधान पर ज़ोर देना।

  5. डिजिटल अवसंरचना: विकास के लिए प्रौद्योगिकी का सहयोगात्मक लाभ उठाना, विशेष रूप से एक डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना का निर्माण करना।

सामूहिक आवाज़ और प्रभाव को मज़बूत करने के सुझाव

मंत्री ने वैश्विक मामलों में 'ग्लोबल साउथ' की सामूहिक आवाज़ और प्रभाव को मजबूत करने के लिए व्यवस्थित दृष्टिकोण की रूपरेखा भी प्रस्तुत की:

  • परामर्श और एकजुटता: मौजूदा मंचों का उपयोग "एकजुटता बढ़ाने और सहयोग को प्रोत्साहित करने" के लिए किया जाना चाहिए।

  • अनुभवों का साझाकरण: 'ग्लोबल साउथ' को अपने विशिष्ट अनुभवों और उपलब्धियों—जैसे कि टीकों, डिजिटल क्षमताओं, शिक्षा और कृषि-प्रथाओं में—को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर लाना चाहिए ताकि साथी देशों को लाभ मिल सके।

  • स्वतंत्र पहल: जलवायु कार्रवाई और जलवायु न्याय जैसे क्षेत्रों में ऐसी पहल करनी चाहिए जो 'ग्लोबल नॉर्थ' (समृद्ध राष्ट्र) के दृष्टिकोणों के साथ केवल तालमेल बिठाने के बजाय 'ग्लोबल साउथ' के हितों की पूर्ति करें।

  • उभरती प्रौद्योगिकियाँ: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों पर चर्चा में सक्रिय रूप से शामिल होना ताकि विकासशील देश बदलती वैश्विक व्यवस्था में पीछे न छूट जाएं।

जयशंकर ने 'ग्लोबल साउथ' देशों के बीच अधिक एकजुटता, बहुपक्षवाद के प्रति नई प्रतिबद्धता और संयुक्त राष्ट्र सहित अन्य वैश्विक संस्थाओं में सुधार के लिए सामूहिक प्रयास का आह्वान किया। भारत अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर 'ग्लोबल साउथ' की आवाज को लगातार बुलंद करता रहा है और वैश्विक एजेंडे को आकार देने में विकासशील देशों की सार्थक भूमिका सुनिश्चित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराता रहा है।