कर्ता के प्रति कृतज्ञता का भाव सनातन का पहला संस्कार : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 11-09-2025
The feeling of gratitude towards the doer is the first rite of Sanatan: Chief Minister Yogi Adityanath
The feeling of gratitude towards the doer is the first rite of Sanatan: Chief Minister Yogi Adityanath

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली

 
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने बृहस्पतिवार को कहा कि कर्ता के प्रति कृतज्ञता का भाव प्रकट करना सनातन धर्म का पहला संस्कार है। आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी.
 
मुख्यमंत्री युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 56वीं तथा राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की 11वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह के अंतिम दिन महंत अवेद्यनाथ जी की पुण्यतिथि पर श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे थे.
 
बयान के अनुसार मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय मनीषा के ज्ञान दर्शन में इस बात को प्रतिष्ठित किया गया है कि जीवन में हमारे, समाज और राष्ट्र के प्रति जिस किसी ने भी योगदान दिया हो, उसके लिए कृतज्ञता का भाव अवश्य होना चाहिए.
 
मुख्यमंत्री ने रामायणकाल में हनुमानजी और मैनाक पर्वत के बीच हुए संवाद का उद्धरण “कृते च कर्तव्यं एषः धर्मः सनातनः” को समझाते हुए कहा कि यह भाव सनातन धर्म की मूल चेतना से प्राप्त होता है.
 
उन्होंने कहा कि सनातन परंपरा में पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने हेतु आश्विन मास का कृष्ण पक्ष समर्पित किया गया है। गोरक्षपीठ में पूज्य ब्रह्मलीन महंतद्वय की पुण्यस्मृति में आयोजित यह साप्ताहिक कार्यक्रम भी कृतज्ञता ज्ञापन का एक आयाम है.
 
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने दादागुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी और गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी का स्मरण करते हुए कहा कि महंतद्वय समाज, राष्ट्र और लोकजीवन से जुड़े हर मुद्दे पर सनातन धर्म और भारत के हितों के प्रति पूर्णतः प्रतिबद्ध रहे.
 
उन्होंने कहा, ‘‘महंत दिग्विजयनाथ जी ने सनातन धर्म, शिक्षा, सेवा और राष्ट्रीयता के जिन मूल्यों और आदर्शों की स्थापना की, उन्हें महंत अवेद्यनाथ जी ने आत्मसात कर आगे बढ़ाया। इन मूल्यों के लिए दोनों आजीवन समर्पित रहे और उन्होंने देश और धर्म को सदैव प्राथमिकता दी। आज गोरक्षपीठ उन्हीं के दिखाए मार्ग पर चल रहा है.
 
मुख्यमंत्री ने अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण में गोरक्षपीठ के महंतद्वय के अविस्मरणीय योगदान का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि श्रीराम मंदिर निर्माण के यज्ञ का आरंभ महंत दिग्विजयनाथ जी ने किया था और 1983 से जीवन पर्यंत महंत अवेद्यनाथ जी इस कार्य के लिए संघर्षरत रहे.