The court revised the compensation amount for the family of the accident victim to over Rs 60 lakh.
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
उच्चतम न्यायालय ने दो दशक पुराने एक मोटर दुर्घटना मामले में मुआवजे की राशि बढ़ाकर 20-वर्षीय एक युवक के परिवार को 60 लाख रुपये से अधिक का मुआवजा दिया है.
वर्ष 2001 में एक कार की चपेट में आने से युवक पूरी तरह से लकवाग्रस्त और विकलांग हो गया था.
बी.कॉम. अंतिम वर्ष का 20-वर्षीय छात्र शरद सिंह दो दशकों तक निष्क्रिय रहा और उसके बाद अंततः 2021 में बीमारी के कारण उसने दम तोड़ दिया। उसकी मां ने कानूनी प्रतिनिधि के रूप में उच्चतम न्यायालय में अपील दायर की.
न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन. वी. अंजारिया की पीठ ने युवक की मां की अपील स्वीकार कर ली.
युवक की ग्रीवा कशेरुका (सी4-सी5) में उस वक्त फ्रैक्चर हो गया था, जब तेज रफ्तार एवं लापरवाही से चलाई जा रही एक कार ने उस मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी थी, जिसपर वह पीछे बैठा था.
दुर्घटना के कारण वह शत-प्रतिशत स्थायी विकलांगता के साथ लकवाग्रस्त हो गया, जिससे उसे जीवन भर बिस्तर पर रहना पड़ा.
पीठ ने कहा, ‘‘इस दुर्घटना के कारण युवक लकवाग्रस्त हो गया और उसकी आकांक्षाएं मिट्टी में मिल गईं। इस दुर्घटना के कारण उसके माता-पिता भी देश के दूसरे हिस्से में स्थानांतरित हो गए.
न्यायालय ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि अगर उसने चार्टर्ड अकाउंटेंट का प्रमाणपत्र प्राप्त नहीं भी किया होता, तो स्नातक होने पर उसे एक अकाउंटेंट के रूप में नियुक्त किया जा सकता था और अगर एक कुशल श्रमिक के लिए निर्धारित न्यूनतम मजदूरी 3,352 रुपये होती, तो उसे वर्ष 2001 में किसी भी उचित अनुमान के अनुसार 5,000 रुपये मासिक आय प्राप्त होती.’’
पीठ के समक्ष प्रमुख मुद्दों में से एक चिकित्सा व्यय की प्रतिपूर्ति का था.