The atmosphere of Varanasi has changed in the last decade; common people and tourists are happy.
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
बनारस के शिवाला घाट पर अंधेरा उतर रहा है, पर्यटकों से भरीं मोटरबोट गंगा के सीने को चीरती हुईं एक घाट से दूसरे घाट पर जा रही हैं। शिवाला घाट के किनारे मंच सज चुका है और कोई छह सौ, सात सौ लोगों की भीड़ बेसब्री से एक सांस्कृतिक समारोह के शुरू होने का इंतजार कर रही है।
कुछ ही देर में घाट की सीढियों पर जब अंधेरा छा गया, मोटरबोटों पर लगी बत्तियां लहरों पर तैरते रश्मि द्वीपों सी झिलमिलाने लगीं है।
बनारस की फिजा में पिछले एक दशक में काफी बदलाव आया है, घाट साफ सुथरे नजर आते हैं, पर्यटकों की आवाजाही बढ़ी है और स्थानीय लोगों का कहना है कि रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं।
गुलेरिया घाट से भोंसले घाट के बीच नाव चलाने वाले 27 वर्षीय राम लखन मल्लाह ने ‘भाषा’ से बातचीत में कहा कि मोदी (प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी) के बनारस से सांसद बनने के बाद शहर में बहुत बदलाव आया है।
रोजाना लगभग 12 घंटे गंगा के पाट पर नाव चलाने वाले राम लखन ने बताया,‘‘अब टूरिस्ट लोग ज्यादा आ रहे हैं। और मल्लाहों को काम भी ज्यादा मिल रहा है। रोजगार भी बढ़ गया है।’’
राम लखन को हालांकि इस बात का अफसोस है कि वह 12 घंटे काम करके भी केवल 12 हजार रूपये महीना ही कमा पाता है। उसका कहना था कि गंगा में नाव चलाने के लिए हर घाट का ठेका छूटता है और केवल माझी ही घाट का ठेका हासिल कर पाते हैं।
राम लखन का कहना था,‘‘मल्लाह सब गरीब हैं। वे सब किराये की नौकाएं चलाते हैं जो घाट का ठेका हासिल करने वाले माझी की होती हैं।’’
उसका सपना है कि एक दिन वह पैसा जोड़कर अपनी खुद की नाव खरीदे। ये अलग बात है कि गरीबी के चलते उसे अपना सपना साकार होता नजर नहीं आता।